पढ़िए ! न्यूज पेपर बांटने वाले छात्र व स्केचिंग कला के माहिर बलराम के संघर्ष की कहानी

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पढ़िए ! न्यूज पेपर बांटने वाले छात्र व स्केचिंग कला के माहिर बलराम के संघर्ष की कहानी 2गुरूग्राम, 1 जून। कहते हैं कि प्रतिभा किसी मंच की मोहताज नहीं होती। इस वाक्य को सार्थक कर दिखाया है बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी बलराम कुमार ने, जो अपनी स्केचिंग कला के माध्यम से आज जिलावासियों को कोरोना संक्रमण के बचाव उपायों के बारे में भी प्रेरित कर रहा है।

मात्र 17 वर्ष की उम्र के बलराम कुमार आज की दुनिया का वह नायाब रतन है जो अपनी मेहनत से अपने हुनर को तराशने के लिए अकेला सफर पर निकल पड़ा है। बलराम कुमार की यह प्रतिभा आज हर किसी को अपना दीवाना बना रही है। उनके द्वारा तैयार किए गए चित्र इतने जीवंत होते हैं कि देखने वाले दर्शको को हैरानी में डाल देते हैं। बलराम कुमार राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाला 12वीं कक्षा का छात्र है जो भले ही किसी संपन्न परिवार से ना हो लेकिन अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहा है।पढ़िए ! न्यूज पेपर बांटने वाले छात्र व स्केचिंग कला के माहिर बलराम के संघर्ष की कहानी 3

 

इस विद्यार्थी द्वारा स्टिल लाइफ पोट्रेट ,रियलिस्टिक स्केचेज और कलरफुल जैसे आर्ट वर्क किए जा रहे हैं जिसके लिए वह सामान्य आर्ट टूल का इस्तेमाल करता है। बलराम अपने द्वारा तैयार किए गए सकैच सोशल मीडिया पर भी अपलोड करते हैं जिस पर लोगों की खूब वाहवाही उन्हें मिलती है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी स्केच बलराम ने तैयार किया है जिसमें नीले रंग की जैकेट प्रधानमंत्री ने पहनी है। यह स्केच अत्यंत जीवंत व रियलिस्टिक लगता है। इसी प्रकार बलराम ने चीते ,नन्हीं बच्ची, सेब, हैरी पॉटर ,वृद्ध महिला का भी सकैच तैयार किया है। इन दिनों बलराम द्वारा फेस मास्क पहने महिला के स्केच को अत्यंत सराहा जा रहा है। यह स्केच लोगों को कोरोना संक्रमण से स्वयं का बचाव करने के लिए आमजन को प्रेरित कर रहा है।

बलराम भविष्य में आर्ट प्रोफेसर बनना चाहते हैं ताकि उनकी इस कला को वे अन्य लोगों में भी बांट सके। उनकी इच्छा है कि वे आर्ट प्रोफेसर बन कर अधिक से अधिक बच्चों को इस कला के साथ जोड़ें। बलराम का जीवन काफी संघर्ष पूर्ण है। उनकी माता समफुलवा देवी घरों में साफ-सफाई का काम करते हैं जबकि पिता चलितर दास एक निजी विद्यालय में सफाई कर्मचारी हैं। आर्थिक रूप से तंगी होने के कारण यह विद्यार्थी सुबह 4ः00 बजे न्यूज पेपर बांटने के लिए घर से निकलता है और और डेयरी में भी काम करता है।पढ़िए ! न्यूज पेपर बांटने वाले छात्र व स्केचिंग कला के माहिर बलराम के संघर्ष की कहानी 4

 

बलराम का मानना है कि जीवन में कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता और वे अपने पढ़ाई व अन्य कार्यों का खर्चा स्वयं निकालने में विश्वास रखते हैं। बलराम अपने माता-पिता के अलावा अपने अध्यापकों को अपना आदर्श मानते हैं। इस कार्य में स्कूल प्रबंधन तथा अध्यापकों द्वारा उनका पूरा सहयोग किया जाता है। विद्यालय की प्राध्यापिका आशा मिगलानी सहित आर्ट टीचर सुनील सिंह बलराम व तकत सिंह चौहान का अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए उनका मार्गदर्शन करते हैं।

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