तलाशी का काम आंध्र प्रदेश और तेलंगाना स्थित तीन प्रमुख बुनियादी ढांचा समूहों में किया गया था । जांच में फर्जी उप-ठेकों, एक ही भुगतान के लिए बार-बार बिल देने और फर्जी बिलिंग के जरिए नकदी कमाने के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है । तलाशी के दौरान ईमेल, व्हाट्सएप संदेशों और अस्पष्ट विदेशी लेनदेन के अलावा अपराध संबंधी अनेक दस्तावेज और खुले कागजात बरामद कर जब्त किए गए हैं ।
एक जाने-माने व्यक्ति के पूर्व-निजी सचिव सहित करीबी सहयोगियों के खिलाफ भी तलाशी की कार्रवाई की गई है ।
तलाशी से पता चला कि बुनियादी ढांचा कंपनियों ने कई गैर-मौजूद / फर्जी संस्थाओं को उप-ठेका दे दिया था। प्रारंभिक अनुमान लेन-देन के माध्यम से 2000 करोड़ रुपये बेइमानी से निकालने की जानकारी देते हैं, जिन्हें अनेक कंपनियों के जरिए रखा गया था। बही खातों और करों के ऑडिट के रखरखाव से बचने के लिए श्रृंखला के अंत में छोटी कंपनियों को रखा गया था, जिनका कारोबार 2 करोड़ रुपये से भी कम था। ऐसी कंपनियां या तो अपने पंजीकृत पते पर नहीं पाई गईं या शेल कंपनियों में पाई गईं। ऐसे अनेक उप-ठेकेदारों को मुख्य ठेकेदार उनकी सभी आईटीआर फाइलिंग और मुख्य कॉर्पोरेट कार्यालय के आईपी पते से किए जा रहे अन्य अनुपालनों द्वारा नियंत्रित कर रहा था।
संदेह है कि बुनियादी ढांचा कंपनियों में से एक की समूह कंपनियों में कई करोड़ रुपये की एफडीआई प्राप्तियों की बेहिसाब धनराशि की राउंड-ट्रिपिंग की गई।
तलाशी के दौरान 85 लाख और रुपये की नकद राशि और 71 लाख रुपये के आभूषण जब्त किए गए। 25 से अधिक बैंक लॉकरों पर नियंत्रण लगा दिया गया है।