नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़े वर्गों के तहत उप-वर्गीकरण के मामले की जांच के लिए संविधान की धारा 340 के अंतर्गत गठित आयोग को 31 जुलाई, 2020 तक छह महीने के कार्यकाल-विस्तांर की मंजूरी दी।
मंत्रिमंडल ने आयोग की वर्तमान संदर्भ-शर्तों में कुछ नए संदर्भ-शर्तों को जोड़ने की भी मंजूरी दी है।
अब नए प्रावधान के तहत यह आयोग ओबीसी की केंद्रीय सूची की विभिन्न प्रविष्टियों का अध्ययन करेगा और अक्षर विन्यास या प्रतिलेखन में किसी पुनरावृत्ति, अस्पष्टता, असंगतता तथा गलतियों के संदर्भ में सुधार की अनुशंसा भी करेगा।
क्या प्रभाव पड़ेगा
अन्य पिछड़ा वर्ग की वर्तमान सूची में जिन समुदायों को केंद्र सरकार की नौकरियों में व केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण की सुविधा का विशेष लाभ प्राप्त नहीं हुआ है, आशा है कि आयोग की अनुशंसाओं के कार्यान्वयन से उन्हें लाभ मिलेगा। आयोग संभवत: ओबीसी की केंद्रीय सूची में ऐसे हाशिए के समुदायों के लाभ के लिए अनुशंसाएं प्रदान करेगा।
वित्तीय प्रभाव:
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, आयोग के प्रशासनिक व स्थापना संबंधी परिव्यय का वहन करेगा।
लाभ:
ऐसे सभी व्यक्ति, जो एसईबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल जातियों/समुदायों से ताल्लुक रखते हैं और जिन्हें केंद्र सरकार की नौकरियों में व केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण की सुविधा का विशेष लाभ प्राप्त नहीं हुआ है, उक्त अनुशंसाओं से उन्हें लाभ मिलेगा।
कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य:
महामहिम राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के पश्चात आयोग के कार्यकाल विस्तार एवं संदर्भ-शर्तों में कुछ तथ्यों को जोड़ने से संबंधित आदेश को गजट में अधिसूचित किया जाएगा।
पृष्ठभूमि:
राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद संविधान की धारा 340 के अंतर्गत आयोग का गठन 2 अक्टूबर, 2017 को किया गया था। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्रीमती जी.रोहिणी की अध्यक्षता में आयोग ने 11 अक्टूबर, 2017 को कार्य करना प्रारंभ किया और अब तक आयोग उन सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ विचार-विमर्श कर चुका है जिन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग में उप-वर्गीकरण किया है। आयोग ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों के साथ भी विचार-विमर्श किया है। आयोग अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए अतिरिक्त समय चाहता है क्योंकि अन्य पिछड़ा वर्ग की वर्तमान केंद्रीय सूची में अक्षर विन्यास या प्रतिलेखन में पुनरावृत्ति, अस्पष्टता, असंगतता तथा गलतियां विद्यमान हैं और इनमें सुधार करने की जरूरत है। इसलिए आयोग ने अपने कार्यकाल में छह महीने (31 जुलाई, 2020 तक) के विस्तार और वर्तमान संदर्भ-शर्तों में कुछ अन्य शर्तों को जोड़ने का अनुरोध किया है।