नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में 32वां इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) शताब्दी एंडॉवमेंट व्याख्यान देते हुए कहा कि पूर्वोत्तंर में आतंकवाद, वाम पंथी उग्रवाद और विद्रोह अगले पांच वर्षों में पूरी तरह समाप्त हो जाए इसके लिए मोदी सरकार निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से अच्छी तरह निपटने के लिए खुफिया ब्यूरो की प्रशंसा की। गृह मंत्री ने पिछले पांच वर्षों में आतंकी मॉड्यूल्स का खुलासा करने में खुफिया ब्यूरो द्वारा किए गए कार्य का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए वर्षों से पूर्वोत्तर विद्रोह से बहुत प्रभावी रूप से निपटने के लिए भी खुफिया ब्यूरो की सराहना की।
आगामी वर्षों में राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों को सूचीबद्ध करते हुए, विशेष रूप से पांच ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के राष्ट्रीय उद्देश्य की पृष्ठभूमि में, श्री शाह ने देश की भूमि और समु्द्रीय सीमाओं को सुरक्षित करने पर विशेष ध्यान दिया। कर्मियों को इन चुनौतियों के समाधान की पहचान करने और इनसे निपटने के नए-नए तरीकों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कर्मियों को अपने दृष्टिकोण को अधिक प्रभावी रूप से बदलने का निर्देश दिया। गृह मंत्री ने कहा कि वे आईबी कर्मियों को नमन करते हैं जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बिना थके, चुप चाप काम करते हैं और देश को मज़बूत बनाने में मदद करते हैं।
इंटेलिजेंस ब्यूरो को सुरक्षा तंत्र का मस्तिष्क बताते हुए गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने हमेशा आतंकवाद और नक्सलवाद के प्रति जीरो टोलरेंस सुनिश्चित करने में मदद की । इस संदर्भ में उन्होंने मानव और हथियारों की तस्करी, सीमा पार से घुसपैठ, नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन), हवाला लेन-देन, नशीली दवाओं की तस्करी के साथ-साथ साइबर खतरों की चुनौतियों की कडि़यों को जोड़ने की ओर इशारा किया। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक विशेष पहल की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने साइबर सुरक्षा जैसे विशेष क्षेत्रों में सहयोगी-पेशेवर विशेषज्ञों की जरूरत पर बल दिया।
विभिन्न सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल के महत्व पर जोर देते हुए श्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए त्वरित चरणवार और समयबद्ध रणनीति के साथ तेज खुफिया विश्लेषण करने के लिए कर्मियों को प्रेरित किया। अपने भाषण का समापन करते हुए गृह मंत्री ने खुफिया ब्यूरो के कर्मियों की कड़ी मेहनत और विशेषज्ञता की प्रशंसा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि उनका कार्य इतिहास के वृतान्त में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया जाएगा।