गुरुग्राम अदालत ने बिजली चोरी के आरोप को गलत करार दिया

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उपभोक्ता को एक लाख 13 हजार 271 रुपए वापस करने के आदेश

बिजली निगम करेगा 6 प्रतिशत ब्याज दर से 2 माह के भीतर वापस

गुडग़ांव : बिजली निगम द्वारा बिजली चोरी के मामले में सिविल जज अंतरप्रीत सिंह की अदालत ने सुनवाई कर बिजली निगम के आरोपों को गलत साबित करते हुए उपभोक्ता को बड़ी राहत दी है। अदालत ने अपने आदेश में बिजली निगम को कहा है कि वह उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई एक लाख 13 हजार 271 रुपए की धनराशि को 6 प्रतिशत ब्याज दर से 2 माह के भीतर वापिस करे।

पीडि़त के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार डीएलएफ फेस वन के कमल बख्शी ने अदालत में वर्ष 2017 की 15 मई को सिविल सूट दायर किया कि बिजली निगम ने वर्ष 2017 की 17 अप्रैल को बिना किसी सूचना के बिजली निगम ने उसका बिजली का मीटर बदल दिया और बाद में उस आरोप लगाए गए कि उसने मीटर की सील टैम्पर्ड कर बिजली की चोरी की है और उस पर एक लाख 13 हजार 271 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया है। उपभोक्ता के सामने मीटर भी चैक नहीं किया गया था। कहीं बिजली का कनेक्शन न कट जाए, इस डर से
उपभोक्ता ने उक्त जुर्माना भी बिजली निगम में भर दिया था।

सिविल सूट पर  अदालत में सुनवाई हुई। बिजली निगम ने अदालत में जो दस्तावेज व गवाह पेश किए, उनसे उपभोक्ता पर लगे बिजली चोरी के आरोप अदालत ने सिद्ध होना नहीं पाए, जिस पर अदालत ने उपभोक्ता की गुहार को स्वीकार करते हुए बिजली निगम को आदेश दिए कि 2 माह के भीतर जमा कराई गई जुर्माना राशि को 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से उपभोक्ता को लौटाए जाएं। अधिवक्ता ने अदालत से आग्रह
किया कि बिजली निगम उपभोक्ताओं को परेशान करने के लिए इस प्रकार के बिजली चोरी के मामले बनाती आ रही है, जिनमें से अधिकांश गलत साबित हो रहे हैं।

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