नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 134 साल पुराने राममंदिर -बाबरी मस्जिद विवाद मामले में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने सर्वसम्मत फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी विवादित जमीन हिन्दू पक्ष को दी जाएगी क्योंकि मुस्लिम पक्ष इस पर अपना दावा सिद्ध नही कर पाया। सभी 5 जजों के सर्वसम्मत फैसले को सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने साफ कर दिया कि मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन अलग से मुस्लिम समाज को दी जाएगी। इस सम्बंध में केंद्र सरकार अगले तीन माह में एक स्किम बनाएगी जिसके तहत मस्जिद और मंदिर निर्माण के तौर तरीके निर्धारित किये जायेंगे। इस निर्णय में स्पष्ट हो गया कि अब ऊक्त जमीन पर मंदिर का निर्माण होगा जो एक ट्रस्ट के अधीन होगा।
-चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि फैसला सुनाने से पूर्व 40 दिन तक सुनवाई हुई
सभी फैक्ट्स पर गौर किया गया
सुप्रीम कोर्ट देश का फाइनल आर्बिट्रेटर है
मुस्लिम पक्ष ने बाबरी मस्जिद के बारे में कहा है कि बाबर ने इसका निर्माण कराया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ए एस आई एक्सपर्ट अथॉरिटी है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष में एएसआई की रिपोर्ट को देखकर अपना स्टैंड बदल लिया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा सेवा से संबंधित अपना स्टैंड सिद्ध नहीं कर सकी
कोर्ट ने कहा कि एएसआई एक एक्सपोर्ट होता रहती है इसलिए हम उसकी रिपोर्ट को नकार नहीं सकते
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की देश की सर्वोच्च अदालत का अधिकार है और जिम्मेदारी है कि वह देश की सभी धर्मों की पूजा पद्धति और उसके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित कराएं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून को सभी का सुरक्षा करना जिम्मेदारी है
कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा का दावा मेंटेनेबल नहीं है
तुम कोर्ट ने कहा कि आर्य कॉलेज गर्ल सर्वे ऑफ इंडिया ने कहा है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है
यह भी कहा गया है कि भगवान राम का जन्म स्थान अयोध्या है इस पर कोई विवाद नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमारी जिम्मेदारी संतुलन बनाए रखने की है
कोर्ट ने कहा कि हिंदू कहते हैं कि यहां राम का जन्म हुआ था जबकि मुस्लिम पक्ष का यह कहना है कि यहां बाबरी मस्जिद है
कोर्ट ने कहा की यह दोनों पक्षों की आस्था का सवाल है इसलिए दोनों पक्षों को गंभीरता से सुनने समझने और उस पर विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्रिटिश हिस्टोरियंस की रिपोर्ट और उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्य इस प्रकार के केस में निर्णय लेने के लिए आधार नहीं बन सकता
कोर्ट ने कहा कि कि हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि मुस्लिम समाज हर शुक्रवार को वहां नमाज अदा करते थे
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे पास इस बात की भी सबूत हैं कि हिंदू समाज वहां पूजा करते थे
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात की भी सबूत हैं कि 1949 तक वहां मुस्लिम समाज नमाज अता करते रहे हैं और उन्होंने कभी भी बाबरी मस्जिद ना तो खाली किया और ना ही उसे असुरक्षित घोषित किया
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात की भी सबूत हैं कि इनर कोर्टयार्ड में हिंदू समाज पूजा करते रहे हैं जबकि दूसरी तरफ मुस्लिम समाज भी नमाज अदा करते रहे हैं
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हिंदू पक्ष हमेशा या मानता रहा है कि इनर कोर्ट यार्ड ही भगवान राम का जन्म स्थान है और उसको लेकर मुस्लिम समाज की ओर से कोई भी सबूत नहीं रखा गया है
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि बाबरी मस्जिद को मुस्लिम समाज ने खाली नहीं किया बल्कि 6 दिसंबर 1992 को इसे गिराया गया
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराना गैरकानूनी था
कोर्ट ने यह भी कहा है कि निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए दावे समयसीमा में फिट नहीं बैठता
कोर्ट ने यह भी कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड यह साबित नहीं कर पाया कि उन्होंने बिना रुकावट के यहां नमाज अता की
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कि हिंदू ने जो कहा है कि आउटर कोर्टयार्ड में उनकी पूजा के स्थान हैं वह निर्विवाद है
कोर्ट ने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में ने तीन भागों में जिस तरह से यहां की भूभाग को बांटा यह पूरी तरह गलत था
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम समाज को दूसरी जगह जमीन दी जाए
कोर्ट ने यह कहा कि निर्मोही अखाड़ा के सूट को निरस्त किया जाता है जबकि मुस्लिम समाज के सूट को लिमिटेशन में माना गया
रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार अगले 3 महीने में एक स्कीम तैयार करेगी जिसके आधार पर अलग जमीन पर मस्जिद का निर्माण कराया जाएगा और सुन्नी वक्फ बोर्ड उस जमीन पर मस्जिद बनाने के लिए स्वच्छंद होंगे जबकि दूसरी तरफ मंदिर निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी
तुम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार की स्कीम बनाएगी जिसके तहत सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन मस्जिद के निर्माण के लिए आवंटित की जाएगी
बाहर की इनर कोर्टयार्ड की जमीन के लिए एक ट्रस्ट का निर्माण किया जाएगा और इसको लेकर केंद्र सरकार के पास अधिकार होगा कि किस प्रकार से मंदिर का निर्माण किया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि मुस्लिमफक उस विवादित जमीन पर अपना दावा सिद्ध नहीं कर पाई इसलिए उन्हें अलग स्थान पर 5 एकड़ जमीन मस्जिद के निर्माण के लिए आवंटित की जाएगी और इसको लेकर केंद्र सरकार अगले 3 माह में उसकी मनाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सारी विवादित जमीन हिंदू पक्ष को दी जाएगी जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड उस जमीन पर अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाई हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से लगातार उस विवादित जमीन को पर अपना हक जताया जाता रहा है
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह को रामलला का बताया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि न्यास को विवादीत जमीन देते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन महीने में सरकार योजना बनाए। अदालत ने मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जगह देने का आदेश दिया है।- संविधान पीठ ने मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जमीन देने का आदेश दिया है।
निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता प्रभात सिंह ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने हमारे दावे को ख़ारिज किया है। इस पर हम क्या कह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान है। हमारी मांग है कि मंदिर बन। आम जनमानस की मांग है मंदिर बने। हम इसका सम्मान करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे। रिकार्ड के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था।
यात्रियों के वृतांत और पुरातात्विक सबूत हिंदुओं के हक में हैं। 6 दिसंबर 1992 को स्टेटस को का ऑर्डर होने के बावजूद ढांचा गिराया गया। लेकिन सुन्नी बोर्ड एडवर्स पोसेसन की दलील साबित करने में नाकाम रहा है। लेकिन 16 दिसंबर 1949 तक नमाज हुई। सूट 4 और 5 में हमें सन्तुलन बनाना होगा हाई कोर्ट ने 3 हिस्से किये। यह तार्किक नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट -कोर्ट ने कहा है कि हिंदुओं के वहां पर अधिकार की ब्रिटिश सरकार ने मान्यता दी। 1877 में उनके लिए एक और रास्ता खोला गया। अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों की नमाज बंद हो जाने का कोई सबूत नहीं मिला है। अंग्रेज़ों ने दोनों हिस्से अलग रखने के लिए रेलिंग बनाई। 1856 से पहले हिन्दू भी अंदरूनी हिस्से में पूजा करते थे। रोकने पर बाहर चबूतरे की पूजा करने लगे। उन्होंने कहा है कि फिर भी मुख्य गुंबद के नीचे गर्भगृह मानते थे। इसलिए रेलिंग के पास आकर पूजा करते थे। साल 1934 के दंगों के बाद मुसलमानों का वहां कब्ज़ा नहीं रहा. वह जगह पर अपना दावा साबित नहीं कर पाए हैं।
एएसआइ यह स्थापित नहीं कर पाया कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट -कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ विवादित ढांचे के नीचे एक पुरानी रचना से हिंदू दावा माना नहीं जा सकता है। मुसलमान दावा करते हैं कि मस्ज़िद बनने से साल 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे, लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं है। हिंदुओं के वहां पर अधिकार की ब्रिटिश सरकार ने मान्यता दी। 1877 में उनके लिए एक और रास्ता खोला गया। अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों की नमाज बंद हो जाने का कोई सबूत नहीं मिला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम की जन्म गुंबद के नीचे हुआ था। आस्था वैयक्तिक विश्वास का विषय है। विवादित जगह पर हिंदू पूजा किया करते थे। गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन से हिन्दू दावा झूठा साबित नहीं हुआ। चबूतरा,भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है। हिन्दू परिक्रमा भी किया करते थे। लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होती है।
सुप्रीम कोर्ट -सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है।
बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी। मस्जिद के नीचे विशाल रचना थी।
सुप्रीम कोर्ट-कोर्ट ने कहा है कि एएसआई यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं। 12वीं सदी से 16 वीं सदी पर वहां क्या हो रहा था, साबित नहीं। केस का फैसला महज एएसआई के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता है। जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा है कि कोर्ट को देखना है कि एक व्यक्ति की आस्था दूसरे का अधिकार न छीने। मस्ज़िद साल 1528 की बनी बताई जाती है, लेकिन कब बनी इससे फर्क नहीं पड़ता। दिसंबर को मूर्ति रखी गयी। जगह नजूल की ज़मीन है। लेकिन राज्य सरकार हाई कोर्ट में कह चुकी है कि वह ज़मीन पर दावा नहीं करना चाहती।
फैसला पढ़ते हुए सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मीर तकी ने बनाया था। कोर्ट धर्मशास्त्र में पड़े, यह उचित नहीं है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट सभी धार्मिक समूहों के हितों की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता को बताता है।