नई दिल्ली । आर्थिक गलियारे में चर्चा जोरों पर है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दोगुनी कर सकते हैं. इससे मध्य वर्ग को राहत मिल सकती है. कहा जा रहा है कि वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 5 लाख रुपये हो सकती है. इसके अलावा मेडिकल खर्चो और परिवहन भत्ते को भी फिर से बहाल किया जा सकता है । तर्क दिया जा रहा है कि मोदी सरकार द्वारा की गयी नोटबंदी से परेशान मध्य वर्ग को राहत देने की कोशिश होगी । दूसरी तरफ कुछ आर्थिक विशेषग्य कह रहे हैं कि अंतरिम बजट में बहुत अधिक मांगों को तकनीकि तौर पर पूरा करना संभव नहीं होगा लेकिन लोकसभा चुनावों को देखते हुए मध्य वर्ग को खुश करन भाजपा सरकार की मजबूरी है .
खबर है कि करों के स्लैब में कुछ परिवर्तन करने की योजना है. नए प्रत्यक्ष कर संहिता के दायरे में ज्यादा से ज्यादा कर निर्धारती (एसेसी) को कर के दायरे में लाने की कोशिश की जाएगी, ताकि अलग-अलग वर्गो के करदाताओं के लिए अधिक न्यायसंगत प्रणाली बनाई जाए, कॉर्पोरेट कर में कमी की जाए और व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी बनाई जाए।
गौरतलब है कि वर्तमान में, 2.5 लाख रुपये की आय को निजी आयकर से छूट प्राप्त है, जबकि 2.5-5 लाख रुपये के बीच की सालाना आय पर 5 फीसदी कर लगता है, जबकि 5-10 लाख रुपये की सालाना आय पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय पर 30 फीसदी कर लगता है। जबकि 80 साल के अधिक की उम्र के नागरिकों को 5 लाख रुपये सालाना की आय पर कर छूट प्राप्त है।