नई दिल्ली । राज्यसभा में केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने आज प्रश्नकाल के बाद संविधान संशोधन विधेयक 2019 पेश कर दिया। उन्होंने अपने भाषण में इस बिल को जिसके माध्यम से देश के सवर्ण जातियों के गरीब परिवारों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है को एक मत से पारित करने का आग्रह किया। इस बिल के पारित होने से सवर्ण वर्ग के उन गरीब परिवारों को शैक्षणिक संस्थान एवं सरकारी नौकरियों में 10% का आरक्षण मिल सकेगा जिन्हें 5 एकड़ से कम जमीन, ₹8 लाख प्रति वर्ष से कम आय है। इस बिल को सदन के पटल पर रखने में केंद्रीय मंत्री को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। अंततः भारी हंगामे के कारण राज्यससभा की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विपक्षी दल खासकर कांग्रेस के सदस्यों द्वारा किए जा रहे शोरगुल के बीच ही संशोधन विधायक को पेश किया गया। एक तरफ केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत इस बिल की आवश्यकता, संविधान के प्रावधान एवं देश में सवर्ण वर्ग की आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति को लेकर अपना तर्क प्रस्तुत कर रहे थे तो दूसरी तरफ राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद वेल ऑफ द हाउस में आकर हंगामा मचा रहे थे।
भारी शोरगुल के बीच ही कांग्रेसी सांसद मधुसूदन मिस्त्री ने पॉइंट ऑफ आर्डर उठाया। उपसभापति ने उन्हें अपना प्वाइंट आफ आर्डर रखने की अनुमति दी। मिस्त्री ने कहा कि इस बिल को लाने की जल्दबाजी क्या थी, बिजनेस ऑफ हाउस के जो नियम है उसका पालन नहीं किया गया, इस बिल पर कितनी देर चर्चा होगी, इतनी जल्दबाजी क्यों है, यह बिल इन यह बिल इन कंप्लीट है, इसलिए इस पर मैं उपसभापति से रूलिंग की मांग करता हूं।
उन्होंने कहा कि आखिर किन नियमों के तहत इन सारे प्रावधानों को में छूट दी गई । इस पर उपसभापति ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि सभापति एम वेंकैया नायडू ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हुई बैठक के दौरान इस बात का स्पष्टीकरण कर दिया था और उन्होंने इस बिल को सदन में प्रस्तुत करने एवं इस पर चर्चा करने की अनुमति दी है। लेकिन सदन में विपक्ष के उपनेता व कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने अपनी पार्टी के सांसद मधुसूदन मिस्त्री द्वारा उठाए प्वाइंट आफ आर्डर का समर्थन किया और कहा कि हम कांग्रेस पार्टी के सांसद इस बिल के विरोध में नहीं है। हम केवल सदन में सभापति से व्यवस्था संबंधी निर्णय सुनाने की मांग करते हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी बिल को सदन में पेश करने और उसे पारित कराने की परंपरा और नियम व शर्ते हैं जिनका पालन इस संशोधन विधेयक को पेश करने में नहीं हो रहा है। इसलिए इस संबंध में सभापति को अपनी व्यवस्था देनी चाहिए।
दूसरी तरफ इस बिल का अप्रत्यक्ष विरोध करने वाली पार्टी तमिलनाडु की डीएमके सांसद कनिमोझी ने एक नोटिस देकर उपसभापति से उस पर मत विभाजन की मांग की और उनकी पार्टी के सांसद भी वेल ऑफ द हाउस में आकर हंगामा करने लगे। उपसभापति ने समझाने की कोशिश की लेकिन कनिमोझी अपनी मांग पर अड़ गई । अंततः उपसभापति ने स्पष्ट किया कि उनके द्वारा दिए गए नोटिस पर मत विभाजन संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा पूरी होने के बाद कराया जाएगा।
बताया जाता है कि डीएमके सांसद कनिमोझी ने अपने नोटिस में इस संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा करने की बजाय इसे विचार के लिए सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग की। कनिमोझी की इस मांग का समर्थन सीपीआई सांसद डी राजा ने भी किया।
शोरगुल के बीच ही उपसभापति ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत को बिल के संबंध में चर्चा आरंभ करने की अनुमति दी। थावर चंद गहलोत ने कहा कि इस बिल को लाने में कोई जल्दबाजी नहीं हुई है । हमारे प्रधानमंत्री की नियत साफ है। उनकी नीति स्पष्ट है । उन्होंने कहा कि यह बिल बेहद आवश्यक था क्योंकि इस विषय पर कई बार संसद के दोनों सदनों में कई सांसदों द्वारा प्राइवेट मेंबर बिल लाए गए। उस पर सदन में चर्चा भी हुई । कई बार कई सांसदों ने इस विषय पर सवाल भी खड़े किए और सवर्ण वर्ग के गरीब परिवारों की समस्या को देखते हुए चिंता व्यक्त की थी। उन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखते हुए यह संविधान संशोधन विधेयक लाया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पहले भी कई अलग-अलग पार्टियों की सरकारों ने राज्यों में भी इस प्रकार के बिल जिसमें आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था लाने की कोशिश की लेकिन उसे देश के सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि इसका कारण था अनुच्छेद 15, 16 में इस प्रकार का कोई प्रावधान हमारे संविधान में नहीं था जिसके तहत आर्थिक आधार पर किसी भी वर्ग को आरक्षण दिया जाए । इसलिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह निर्णय लिया कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता है और यह संविधान संशोधन विधेयक 2019 लाया गया ।
उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में भी 10% आरक्षण सवर्ण वर्ग के गरीब परिवारों के लिए देने के वायदे किए हैं। यह मांग लगातार कई दशक से होती रही है। इसलिए यह कहना कि इस बिल को लाने में नरेंद्र मोदी सरकार जल्दी बाजी कर रही है सर्वथा गलत है।
थावर चंद गहलोत के बाद उपसभापति ने भाजपा के सांसद प्रभाष झा को अपनी बात रखने को कहा । लेकिन कांग्रेस सांसदों एवं डीएम के सांसदों द्वारा किए जा रहे हंगामे के बीच उनकी आवाज दब जा रही थी। इसी बीच राजद के सांसद मनोज झा ने भी पॉइंट ऑफ आर्डर की बात की। उन्होंने केंद्रीय संसदीय राज्य मंत्री विजय गोयल के उस बयान का विरोध किया जिसमें उन्होंने कहा था कि लोकसभा में कांग्रेस पार्टी ने इस बिल का समर्थन किया। बड़े बहुमत के साथ यह वहां पारित किया गया और अब राज्यसभा में अड़ंगा लगा रही है । उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी अप्रत्यक्ष तौर पर इस बिल का विरोध करना चाह रही है ।
प्रभाष झा के भाषण को सुनना मुश्किल था जबकि विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा। सदन में विपक्ष द्वारा भारी हंगामा जारी रखने के कारण उपसभापति ने राज्य सभा की बैठक दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।