नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में 11 दिसंबर को हुए चुनाव में एक बात सबसे अहम रही और वो है नोटा। इस बार भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने की खास वजह शायद नोटा ही बनी है। पांच राज्यों में भारी संख्या में मतदाताओं ने किसी दल को चुनने की बजाय नोटा का बटन दबाया। पूरे मध्यप्रदेश में आज आए परिणाम में करीब साढ़े चार से पांच लाख के बीच मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया। इसे मतदाताओं को किसी गुस्से का कारण भी माना जा सकता है।
मंगलवार को आए पांच राज्यों के चुनाव में दो राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण NOTA को माना जा रहा है। मध्यप्रदेश और राजस्थान के परिणामों पर गौर करें तो तो भाजपा और कांग्रेस के वोटों में जितना अंतर नहीं हैं, उससे अधिक वोट तो नोटा में डाले गए हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस ने जबरदस्त बढ़त बनाई हुई है, जबकि भाजपा इस बार अपना किला बचाने में पूरी तरह से नाकामयाब रही है। ‘चाउर वाले बाबा’ के नाम से मशहूर प्रदेश के मुख्यमंत्री का भी जादू इस बार फेल हो गया और भाजपा पूरे प्रदेश में धराशायी हो गई। इस बीच नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी के बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि हार की वजह सवर्णों का अपमान है।