पुराने चेहरों को मिलेगा मौका
पंकज पाराशर छतरपुर
भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी आगाज हो चुका है, चुनावों की तारीखे घोषित हो गई है और आचार संहिता भी लग चुकी है। राजनैतिक पार्टियों में घमासान मच गया है। तैयारियों में और तेजी आ गई है। चुनावी रणनीति और टिकटों के मंथन पर जोर दिया जा रहा है।वही कांग्रेस इस बार सत्ता में आने के लिए ऐडी से चोटी तक का जोर लगाए हुए है।
खबर है कि कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव में अपनी नैय्या पार लगाने के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों पर भी बड़ा दांव लगा सकती है।दरअसल, कांग्रेस ने इस बार पिछले लोकसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों को मैदान में उतारने का मन बनाया है। इनमें सज्जन सिंह वर्मा, प्रेमचंद गुड्डू , मीनाक्षी नटराजन, रवि जोशी,अरुण यादव, पीसी शर्मा, अजय शाह और गजेन्द्र सिंह का नाम शामिल है।अगर पीछे चुनाव की बात करे तो सज्जन सिंह वर्मा देवास से लोकसभा का चुनाव लड़े थे, जो भाजपा प्रत्याशी मनोहर सिंह ऊटवाल से हार गए थे। वे इस बार देवास लोकसभा क्षेत्र के किसी भी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते है।
वही प्रेम चंद गुड्डू ने अपने पुत्र अजीत बौरासी को पिछला विधानसभा चुनाव पार्टी की मर्जी के खिलाफ आलोट से लड़वाया था और हार गए थे। चुंकी प्रेमचंद गुड्डू का राजनीति में अच्छा दबदबा है और काफी सक्रिय भी है , ऐसे में पार्टी गुड्डू पर दांव खेल सकती हैI इसके अलावा अरुण यादव की खरगोन-खंडवा लोकसभा सीट है, यहां उनका अच्छा प्रभाव है औऱ यादव वोट भी है, इसलिए पार्टी इस बार उन्हें विधानसभा का टिकट देकर नाराजगी दूर कर सकती है।चूंकी प्रदेशाध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद से वे पार्टी से नाराज चल रहे है, बीते दिनों उनकी अखिलेश से मुलाकात के बाद सपा में शामिल होने की अटकलों ने भी जोर पकड़ा था।इसके साथ ही मंदसौर-नीमच में अपनी धाक रखने वाली मीनाक्षी नटराजन भी इस दौड़ में शामिल है। भोपाल से लोकसभा सीट से चुनाव हारे पीसी शर्मा ने भी पार्टी के सामने अपनी दावेदारी पेश की है।
बैतूल लोकसभा सीट से हारे अजय शाह भी विधानसभा चुनाव में कूदने को तैयार है।वही पूर्व सासंद गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी भी विधानसभा चुनाव में अपना हाथ अजमा सकते है।फिलहाल पार्टी में इनके नामों को लेकर मंथन चल रहा है। दिल्ली हाईकमान से चर्चा चल रही है। जैसे ही सहमति बनती है वैसे ही नवरात्री में पहली लिस्ट जारी कर दी जाएगी।
पहले सपा और बसपा से काफी उम्मीद लगाई जा रही थी, लेकिन दोनो के गठबंधन के इंकार के बाद से ही कांग्रेस ने अपनी रणनीति को बदलकर नया फार्मूला तैयार किया है।ऐसे में अब कांग्रेस आखिरी मौके पर कोई लापरवाही नही करना चाहती जिससे नतीजे उनके खिलाफ हो।अब देखना ये है कि कांग्रेस का ये दांव विधानसभा चुनाव में कितना काम आता है।