सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के एनसीटी सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा आयोजित दिल्ली के सभी आवासीय क्षेत्रों के आरडब्ल्यूए के साथ एक इंटरैक्टिव बैठक की। इस बैठक में पर्यावरण संतुलन के लिए चलाई जा रही सभी गतिविधियों में आरडब्ल्यूए और सामान्य नागरिकों को शामिल करने के तरीके पर चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि विभाग ने दिल्ली भर में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान की योजना शुरू की है।
हालांकि यह बैठक पर्यावरण विभाग द्वारा आयोजित की गई है लेकिन इसके राजीनीतिक दृष्टिकोण से भी इंकार नहीं किया जा सकता। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी को चिंता है और उन्हें दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए आम नागरिकों और उनके प्रतिनिधियों को अपने पाले में लाना होगा। सामाजिक दृष्टि से आर डब्ल्यू ए की महत्वपूर्ण भूमिका है ओर यह संस्था बहुत मजबूत व सक्रिय भी है। दूसरी तरफ आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल का अधिकतम फोकस आम लोगों तक सीधे पहुंचने का रहा है जबकि दिल्ली का सीएम बनने से पूर्व इन्हीं सामाजिक संस्थाओं को इन्होंने सीढ़ी बनाया था। यह कहा जा रहा है कि आप के विधायक उस स्थिति में नहीं हूं कि वे पार्टी की नैया लार कागा पाएं।
आप के नेताओं को लगता है कि अब लगभग 8 माह पूर्व से चुनाव एक्सरसाइज शुरू करना जरूरी है। दूसरी तरफ एम एल के की तुलना में आर डब्ल्यू ए के प्रतिनिधियों को अधिक तवज्जो देने से पार्टी की पैठ मजबूत हो सकती है। इसलिए दिल्ली की आप सरकार ने कई ऐसी योजनाओं का प्रारूप तैयार किया है जो सीधे आर डब्ल्यू ए के माध्यम से लागू कराया जाएगा। इससे इन्हें अपना महत्व बढ़ने का फील गुड होगा और आप सरकार को अपनी योजनाओं के प्रचार के लिये लोगों के बीच में रहने वाले लोग मिल जाएंगे जो उनकी सरकार के प्रति बनी नकरात्मकता को हल्का करने में सहयोग करेंगे। दूसरी तरफ वोटरों का एक खास सेक्शन इनके पाले में खड़ा हो जाएगा।
इस बात को नकारा नही जा सकता कि पौधरोपण दिल्ली की अहम आवश्यकता है और पर्यावरण संतुलित रखने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकाए की ही है लेकिन राजनीतिक विरोधी यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि सरकार बनने के इतने लंबे समय बाद आखिर आप सरकार को आर डब्ल्यू ए की याद क्यों आई। इससे पहले उन्हें इस प्रकार की जिम्मेदारी क्यों नहीं दी गयी।भाजपा और कांग्रेस पार्टी को इसमें विशुद्ध रुप से राजनीति ही दिखाई देती है जबकि आप के नेता इसे पर्यावरण बचाने में सामाजिक सहभागिता सुनिश्चित करने का एक मजबूत प्रयास बताते है।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली थी और सभी पर भाजपा का कब्जा हो गया था । संसद में अपने कमजोर प्रतिनिधित्व के कारण आप पार्टी अपनी बात राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से नहीं उठा पाती है इसलिए 2019 के लोकसभा चुनाव में कम से कम दिल्ली में जीत हासिल करना उनकी राजनीतिक आवश्यकता है।
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि आम आदमी पार्टी पर्यावरण संतुलन के बहाने राजनीतिक सन्तुलन बनाने की तैयारी में जुट गई है और यह काम आर डब्ल्यू ए के माध्यम से आसान हो सकता है।