प्रदेश सरकार हरियाणा में लॉजिस्टिक एवं वेयरहाउस नीति शीघ्र जारी करेगी
चंडीगढ़, 12 जुलाई : हरियाणा में लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग सेक्टर को अगले स्तर तक ले जाने के लिए प्रदेश सरकार जल्द ही लॉजिस्टिक और वेयरहाउस नीति जारी करने जा रही है। इसके अलावा एमएसएमई क्षेत्र के विनिर्माण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये के निवेश से आईएमटी रोहतक में टूल रूम/टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना की जा रही है।
यह जानकारी उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल ने आज यहां आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी। उन्होंने बताया कि हमारा राज्य लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग सैक्टर को अगले स्तर तक ले जाने के लिए तैयार है। नारनौल में उत्तर भारत का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक हब विकसित करने की भी हमारी योजना है। हमारा उद्देश्य इस मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब के माध्यम से माल की ढुलाई के समय को कम करना है और इस परियोजना की प्रस्तावित लागत एक अरब अमेरिकी डॉलर है। इस क्षेत्र को और अधिक बढ़ावा देने के लिए, हम जल्द ही लॉजिस्टिक और वेयरहाउस नीति भी जारी करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र के विनिर्माण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये के निवेश से आईएमटी रोहतक में टूल रूम/टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना की जा रही है। आईएमटी रोहतक में टूल रूम/टेक्नोलॉजी सेंटर मार्च 2019 से काम करना शुरू कर देगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेशभर में सभी 21 जिला उद्योग केंद्रों के लिए एमएसएमई सुविधा डेस्क स्थापित किये हैं। जिला उद्योग केन्द्र पर स्थापित सुविधा डेस्क न केवल एमएसएमई को आवश्यक जानकारी प्रदान करता है बल्कि उन्हें भारत सरकार और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया में भी मदद करता है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अपना स्वयं का मिनी क्लस्टर विकास कार्यक्रम बनाया है, जिसके अन्तर्गत सांझा सुविधा केंद्र की स्थापना के लिए 90 प्रतिशत अनुदान सहायता (2 करोड़ रुपये तक की परियोजना) प्रदान की जा रही है, जिससे प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा। इस योजना को भारत सरकार द्वारा सर्वोत्तम स्कीम के रूप में मान्यता दी गई है। इस योजना के तहत कुल 23 क्लस्टरों की पहचान की गई हैं और जिसमें से 21 क्लस्टरों के लिए डीएसआर को स्वीकृति प्रदान की गई है। स्वीकृत 21 क्लस्टरों में से 13 क्लस्टरों के लिए डीपीआर तैयार की जा चुकी है और संबंधित क्लस्टरों में सीएफसी की स्थापना के लिए एसएलएससी द्वारा फाईनल स्वीकृति प्रदान की गई है। प्रस्तावित परियोजना की कुल लागत लगभग 4300.88 लाख रुपये है और इस योजना के तहत 11598 यूनिटस कवर की गई हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार की एमएसई-सीडीपी योजना के तहत प्रदेश में 15 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ सांझा सुविधा केन्द्र की स्थापना की जाएगी, जिसके अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 70 प्रतिशत, राज्य सरकार 20 प्रतिशत और एसपीवी 10 प्रतिशत के अनुपात में वित्तपोषण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पद्धति के अनुसार अभी तक कुल 12 कलस्टर कार्यावन्यन है, जिसमें से सात कलस्टर को भारत सरकार से फाईनल स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है और अन्य चार कलस्टर्स को भारत सरकार की आगामी स्टीयरिंग कमेटी में सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त होनी है। कुल प्रस्तावित परियोजना लागत लगभग 1,81.00 करोड़ रुपये और योजना के अंतर्गत लगभग 1625 इकाइयां लाभान्वित होने वाली हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) की मेगा फूड पार्क स्कीम (एमएफपीएस) के तहत सोनीपत जिला के बडी में लगभग 75 एकड़ में मेगा फूड पार्क स्थापित किया जा रहा है। इस परियोजना में लगभग 177 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 12,000 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वर्तमान में 91 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है जिसके परिणामस्वरूप ड्राई वेयरहाउस शत-प्रतिशत, शेड/मानक डिजाइन कारखाने शत-प्रतिशत, प्रशासकीय भवन 85 प्रतिशत, कोर प्रोसेसिंग सेंटर के सिविल कार्य 95 प्रतिशत पूरे हो चुके हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री राजीव जैन, एचएसआईआईडीसी के प्रबंध निदेशक श्री टी. एल. सत्यप्रकाश भी उपस्थित थे।