भारत में चीनी सामान के विरोध से घबराया चीन ?

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ब्रह्मपुत्र का पानी रोकने के मामले में दिया स्पष्टीकरण

कहा नहीं होगा नुकसान

 

नईदिल्ली /बीजिंग : भारत की आम जनता ने चीन के सामान को उपयोग नहीं करने कि मुहीम छेड़ कर चीन को अपनी स्थिति स्पष्ट करने को मजबूर कर दिया है. उन्हें लगने लगा है कि भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े बाजार और तेज बढती अर्थ व्यवस्था ने अगर उसे नकार दिया तो उनकी इकॉनमी को नुकसान पहुच सकता है.

संभव है इन्ही कारणों से बांध बनाने के लिए ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी का पानी रोकने के मामले में चीन ने आज इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया कि इससे भारत में नदी का प्रवाह प्रभावित होगा. चीन ने कहा कि इससे निचले इलाकों पर कोई विपरीत असर नहीं होगा.

ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक शियाबुकु नदी पर लालहो बांध परियोजना को तिब्बत में खाद्य सुरक्षा और बाढ़ सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण परियोजना बताते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सहायक नदी पूरी तरह चीन में स्थित है.चीन के विदेश मंत्रालय ने बांध को लेकर भारत की चिंताओं पर लिखित जवाब जारी कर कहा है कि इस परियोजना की जलाशय क्षमता ब्रह्मपुत्र के औसत वार्षिक प्रवाह का 0.02 फीसदी है. निचले इलाकों में इसके प्रवाह पर विपरीत असर नहीं हो सकता.

उल्लेखनीय है कि ब्रह्मपुत्र तिब्बत से अरुणाचल प्रदेश, असम और फिर बांग्लादेश में बहती है.चीन ने एक अक्तूबर को घोषणा की थी कि वह अपनी सबसे महंगी  बांध परियोजना के लिए तिब्बत में शियाबुकु नदी का जल प्रवाह रोकने जा रहा है.

समझा जाता है कि चीन कि सरकार भारत में उठ रहे विरोध के स्वर से आशंकित है. भारत के सभी प्रदेशों में जिस प्रकार चीन के सामान का वोरोध होने लगा है उससे वहां के उत्पादकों में हडकंप मच गया है. हो सकता है चीन के उद्यमी सरकार तक इस बात को पहुंचा रहे हैं कि इससे उनका व्यवसाय पूरी तरह ठप हो जायेगा. भारत में सोशल मिडिया पर चल; रहे चीन विरोधी अभियान ने उनकी नींद उदा दी है. हालाँकि इसका आगे किता असर होगा इसे स्पष्ट होने में थोड वक्ता और लगेगा.

 

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