नई दिल्ली । काबो वर्डे, सैंट विंसेट एण्ड ग्रेनैडा, टोगो, मोल्दोवा, जांबिया, बुरकिना फासो, टोंगा, समोआ, माइक्रोनेसिया, सोलोमन आईलैण्ड एवं वैन्युटु- कुल ग्यारह देशों से संयुक्त राष्ट्र के स्थायी प्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल ने भारत निर्वाचन आयोग की यात्रा की । भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की देखरेख में यह प्रतिनिधिमंडल दिनांक 4 से 10 फरवरी तक भारत की यात्रा पर आया है । प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ओपी रावत एवं चुनाव आयुक्त श्री सुनील अरोड़ा और श्री अशोक लवासा से मुलाकात की ।
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि सभी नागरिकों को बेहतर शासन प्रणाली एवं सशक्तिकरण सुनिश्चित कराने के लिये सुदृढ़ सहभागी एवं समावेशी लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं ज़रूरी होती हैं । उन्होंने भारत की निर्वाचन प्रक्रिया का खाका पेश किया और यात्रा पर आए प्रतिनिधियों को चुनाव के प्रबंधन हेतु निर्वाचन आयोग द्वारा लाए गए नवाचारों एवं शुरुआतों के बारे में बताया । उन्होंने बताया कि निर्वाचन आयोग बढ़ती चुनौतियों का सामना करने एवं स्वयं को उनके अनुरूप बनाने के लिये अपनी प्रक्रियाओं का रूपांतरण एवं चुनाव प्रबंधन में नियमित परिवर्तन कर रहा है । मतदाताओं के नामांकन में बढ़ोतरी करने के दृष्टिकोण से निर्वाचन आयोग की पहल ‘कोई मतदाता पीछे न छूटे’ के बारे में बताते हुए उन्होंने प्रतिनिधियों को इस वर्ष के मज़मून ‘सुगम्य चुनाव’ एवं निर्वाचन आयोग द्वारा 24 जनवरी 2018 को आयोजित ‘निर्वाचन प्रक्रियाओं में दिव्यांगजनों के समावेशन’ पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, 2018 के बारे में जानकारी दी ।
निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने संविधान सभा के सदस्यों की भारत के संविधान की प्रस्तावना में झलकी दूरदृष्टि का ज़िक्र किया । उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की धारा 324 के अंतर्गत भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना से संविधान सभा के सदस्यों का दृष्टिकोण सच्चाई में परिवर्तित हो गया । उन्होंने यात्रा पर आए प्रतिनिधियों को चुनाव के प्रबंधन हेतु इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एवं वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) समेत चुनाव प्रबंधन में उपयोग की जा रही सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं, निर्वाचन आयोग द्वारा लाए गए नवाचारों एवं शुरुआतों के बारे में बताया । सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय पहुंच वाले निर्वाचन आयोग के कार्यक्रमों पर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के अंतर्राष्ट्रीय चुनाव प्रबंधन निकायों से सम्पर्कों में विस्तार हो रहा है और साझा फायदे के लिये चुनाव आयोग अन्य देशों से सर्वश्रेष्ठ तौर तरीक़ों, अनुभवों एवं नवाचारों को साझा कर रहा है ।
निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने अपने संबोधन में कहा कि शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक घटना संयुक्त राष्ट्र का उद्भव है, जो अनेक देशों को विश्व भर में सभी के प्रयोजन वाले विषयों को साझा करने एवं महत्वपूर्ण विषयों पर साझा समझ बनाने का मंच प्रदान करता है । राजनीतिक प्रक्रिया में आम जनता को न्यायसंगत भागीदारी दिलाने के लिये लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था के रूप में उभरा है एवं यह विभिन्न देशों में अपना स्थान बना रहा है। उन्होंने बताया कि निर्वाचन आयोग ने लागत-प्रभावी तरीक़ों से लोकतंत्र की प्रगति के विस्तार के लिये अनेक कदम उठाए हैं ।
इससे पहले निर्वाचन आयोग में प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त श्री उमेश सिन्हा ने उनको भारत में निर्वाचन की प्रक्रिया एवं निर्वाचन आयोग के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कार्यक्रमों के बारे में बताया । उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी निर्वाचन प्रक्रिया के प्रबंधन में भारत निर्वाचन आयोग की संरचना, भूमिका एवं कार्यों के बारे में जानकारी दी । प्रतिनिधियों को संसदीय चुनाव- 2014 पर एक संक्षिप्त फिल्म भी दिखाई गई । इसके बाद प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित हुआ जिसमें प्रतिनिधियों के लैंगिक समानता, मुख्य निर्वाचन आयुक्त/ निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति, भारतीय जनसमुदाय द्वारा मतदान आदि से जुड़े प्रश्नों का उत्तर दिया गया ।
संबोधन सत्र में धीरेंद्र ओझा, महानिदेशक; एस के मेंदीरत्ता, क़ानूनी सलाहकार (निर्वाचन आयोग) एवं भारत निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे ।