जमशेदपुर : जमशेदपुर में रहने वाले लोगों के लिए एक खुशखबरी है. जल्द ही जमशेदपुर से कोलकाता के बीच उड़ान सेवा शुरू की जायेगी. आज केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने जमशेदपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा कि जमशेदपुर से कोलकाता के बीच 15 फरवरी से उड़ान सेवा शुरू होने की संभावना है. शुरुआत में 42 सीटों वाला प्लेन जमशेदपुर से कोलकाता के बीच उड़ान भरेगी. केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि टाटा डीजीसीए ( Directorate General of Civil Aviation) व एएआई (Airports Authority of India) के साथ मिलकर सोनारी एयरपोर्ट का तकनीकी अध्ययन करेगी. उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें सीएम का सहयोग मिल रहा है. उड़ान योजना के दूसरे चरण में बोकारो, दुमका में सेवा शुरू हो जायेगी. इसके बाद जल्द ही हजारीबाग और डॉल्टनगंज में भी इस योजना के तहत सेवा शुरू हो जायेगी.
गौरतलब है कि जमशेदपुर में जिला प्रशासन ने धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनाने के लिए 1070 एकड़ जमीन का प्रस्ताव तैयार किया है.. एयरपोर्ट के लिए सामान्य तौर पर पांच सौ एकड़ जमीन की आवश्यकता पड़ती है लेकिन चूंकि सरकार जमशेदपुर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने पर विचार कर रही है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक ओड़िशा और रांची के हवाई अड्डे आकर में छोटे हैं और साथ ही उनका रनवे भी छोटा है. ऐसे में इन हवाई अड्डों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ान संचालित नहीं हो सकता है. इसे देखते हुए धालभूमगढ़ रनवे को करीब 3.5 किलोमीटर तक ले जाने की योजना है. यह देश के बड़े रनवे में से एक होगा. दरअसल घरेलू विमानों के लिए सिर्फ 500 से 600 एकड़ की जमीन की जरूरत होती है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के संभावित सञ्चालन को देखते हुए यहां करीब एक हजार एकड़ जमीन की जरूरत होती है.दरअसल घरेलू विमानों के लिए सिर्फ 500 से 600 एकड़ की जमीन की जरूरत होती है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के संभावित सञ्चालन को देखते हुए यहां करीब एक हजार एकड़ जमीन की तलाश की गयी है.
सीधे विदेशों के लिए भर पायेंगे उड़ान
बताया जा रहा है कि अगर यह परियोजना पूरी हो गयी तो जमशेदपुर दुनियाभर के बड़े शहरों से जुड़ जायेगा.इस हवाई अड्डे के बनने से झारखंड का सीधा संपर्क देश -विदेश से हो जायेगा. इतना ही नहीं इस एयरपोर्ट के जरिए बंगाल, ओड़िशा और झारखंड के लोगों का आसानी से जुड़ाव हो सकेगा. केंद्र के मुताबिक कोलकाता के हवाईअड्डा का और अधिक विस्तार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में धालभूमगढ़ एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. वहीं ओड़िशा और रांची के हवाई अड्डे आकर में छोटे हैं और साथ ही उनका रनवे भी छोटा है. ऐसे में इन हवाई अड्डों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ान संचालित नहीं हो सकता है. इसे देखते हुए धालभूमगढ़ रनवे को करीब 3.5 किलोमीटर तक ले जाने की योजना है. यह देश के बड़े रनवे में से एक होगा.