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चंडीगढ़, 7 नवंबर ; सुप्रीम कोर्ट तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के मद्देनजऱ राज्य के पर्यावरण विभाग ने पराली जलाने के मामलों पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदेशभर में मुहिम छेड़ी हुई है। इसके तहत अभी तक प्रदेशभर में 1011 उन किसानों को चिह्नित किया गया है, जो पराली जलाते हुए मिले। विभाग ने पुलिस केस दर्ज कराने के साथ-साथ उन पर जुर्माना भी लगाया है।
राज्य के पर्यावरण मंत्री विपुल गोयल ने किसानों से अपील की है कि वे अपने फसलों के अवशेष न जलाएं। पिछले दो-तीन दिनों से अचानक वायु प्रदूषण बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना सरकार कर रही है। अभी तक कुल 1011 किसानों पर कार्रवाई की गई है। 4 नवंबर को पराली जलाने के 963 मामले सामने आए और 5 नवंबर को 48 केस ही पकड़े गए।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पकड़े गए मामलों में 227 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसके अलावा 454 किसानों से 11 लाख 89 हजार 500 रुपए का जुर्माना वसूला गया है। उन्होंने कहा कि बाकी के मामलों में भी कार्रवाई की जा रही है। विपुल गोयल ने कहा कि फसलों के अवशेष जलाना कोई समाधान नहीं है। सरकार ने पराली को नष्ट करने के और कई विकल्प किसानों को दिए हैं।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि अकेले धान ही नहीं किसी भी फसल के अवशेषों को जलाया जाना पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषण बिगड़ता है बल्कि किसानों की जमीनों की उपजाऊ क्षमता भी कम होती है। उन्होंने प्रदेश के किसानों से आग्रह किया है कि वे केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण बचाने के लिए चलाई गई मुहिम में सहयोग करें। बिगड़ते पर्यावरण पर देश ही नहीं दुनियाभर में चिंता हो रही है और ऐसे में राज्य के किसानों का नैतिक दायित्व भी बनता है कि वे इस मुहिम का हिस्सा बनें।
कहां कितने मामले ?
जिला केस
फतेहाबाद 71
जींद 48
कैथल 137
करनाल 310
कुरुक्षेत्र 184
सिरसा 172
पानीपत 37
सोनीपत 26
पलवल 15
यमुनानगर 4
पंचकूला 6
कुल 1011