ट्रैन आते ही मचती है अफ़रातफ़री, सुराखकर्मियों को हादसे की प्रतीक्षा
रेलवे ट्रेक की ओर से रोकने वाला कोई नहीं
सुभाष चौधरी
चंडीगढ़ । दीवाली और छठ के त्योहार के उपलक्ष्य में चंडीगढ़ शहर और पंजाब से बिहार व पूर्वोत्तर राज्यों को जाने वाले यात्रियों का चंडीगढ़ स्टेशन पर हुजूम उमड़ पड़ा है। स्टेशन पर तिल रखने कीजगह नहीं है और हजारों की संख्या में महिलाएं व पुरुष किसी भी कीमत पर ट्रेन में चढ़ने को उतारू दिखे। जान की परवाह किये विना लोग प्लेटफार्म न 2 और उसके नीचे रेलवे ट्रैक के बीचोबीच खड़े कोच में चढ़ने को बेताब थे। लखनऊ चंडीगढ़ एक्सप्रेस में महिलाएं बच्चे और बूढ़े किसी भी कीमत पर ट्रेन में प्रवेश करने के लिए जद्दोजहद करते दिखे। पुलिस की कोई व्यवस्था नहीं थी और इक्क दुक्का कोई दिखे तो वो भी तमाशबीन बने हुए थे।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तो मंत्रालय के भय से आर पी एफ और जीआरपीएफ के जवान व अफसर तैनात दिखे लेकिन दो राज्यों की राजधानी और एक केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यालय इस शहर का रेलवे स्टेशन भगवान भरोसे दिखा। जैसे ही ट्रेन आय लोग उसमे जगह पाने के लिए एक दूसरे पर टूट पड़े। लोगों इस बात का बिल्कुल भी भान नहीं था कि उनके। आगे महिलाएं हैं छीटे बच्चे। स्टेशन के कार्यालय में उप अधीक्षक बैठे फोन पर व्यस्त दिखे।
केवल उद्घोषक सावधानी संबंधी उद्घोषणा कर अपनी औपचारिकता पूरी कर रहे थे। लेकिन कोई अधिकारी, पुलिस या फिर अन्य रेल कर्मी इस स्थिति से निबटने के लिए मिउजूद नहीं थे। स्थिति यह रही कि बड़ी संख्या में यात्री ट्रैन में नहीं चढ़ सके ।
दूसरी तरफ टिकट काउंटर पर भी यही स्थिति थी। एक काउंटर पर केवल एक सुरक्षा कर्मी जबकि हजारों को भीड़ ।कुछ लाइन में खड़े अपनो बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे तो कोई लाइन से बाहर काउंटर तक पहुंचने की अवैध कोशिश करते रहे।
भीड़ को नियंत्रित करने की की व्यवस्था चंडीगढ़ स्टेशन पर नहीं दिखी। भगवान भरोसे इस रेलवे स्टेशन को नॉर्थरन रेलवे का महत्वपूर्ण स्टेशन माना जाता है। इसे ग्रेड वन स्टेशन भी कहा जाता है लेकिन इस परिस्थिति से जूझने की की व्यवस्था यहाँ नहीं है। न तो आने वाले को टोकने वाल और न ही इससे बाहर निकलने वालों कोई रोकने वाला है। केवल जब वीवीआईपी ट्रैन यहां से गुजरती है तभी इसके प्रवेश और एग्जिट गेट पर कोई साहब दिखते हैं।