अधिकतर ट्रेन्स विलंब से चल रही है
रेलवे ने स्टेशन के बाहर व अंदर लगाया यात्रियों के लिए टेंट
बड़ी संख्या में आरपीएफ व अन्य पुलिस बल तैनात
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अन्य रेलकर्मी भी तैनात
राजधानी में बैठने के लिए घंटों लाइन में खड़े होना मजबूरी
सुभाष चौधरी
नई दिल्ली । बिहार सहित अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की ओर दीवाली और छठ के अवसर पर जाने वाले यात्रियों के लिए रेल मंत्रालय ने इस बार खास व्यवस्था की है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर व अंदर टेंट की व्यवस्था की गई है जबकि प्लेटफार्म पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर पुलिस बल लगाए गए हैं। टेंट में प्रतीक्षा करने वाले यात्रियों की संख्या भी काफी अधिक है जबकि बिहार के लिए जाने वाली ट्रेन के लिए निर्धारित प्लेटफॉर्म भी खचाखच भरे रहते हैं। अधिकतर ट्रेन्स चार से 12 घंटे विलंब से चलने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हर वर्ष की भांति इस बार भी दीपावली व छठ पर्व के अवसर पर बिहार जाने के लिए लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है क्योंकि यात्रियों की संख्या के अनुसार नियमित ट्रेन्स में बर्थ की संख्या नहीं होने और स्पेशल ट्रेन्स की संख्या भी अपेक्षित नहीं होने के कारण हजारों लोगों को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर रेलवे की ओर से लगाये गए टेंट में प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। कारण है अधिकतर ट्रेन्स का देरी से चलना। लोगों को न्यूनतम चार से पांच घंटे जबकि अधिकतम 12 घंटे तक भी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। हालात यह है कि ट्रेन्स सामान्यतया छह से 12 घंटे की देरी से चल रही है। यात्रियों का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर आकर इसलिए प्रतीक्षा करनी पड़ रही क्योकि रेलवे के ऑटोमेटिक सिस्टम से कभी जानकारी मिलती है और कभी नहीं मिलती है। लोग आशंकित रहते हैं कहीं ट्रैन छूट न जाय। बिहार जाने वाले एक यात्री राजीव नयन का कहना है कि एक तो चार माह पूर्व बड़ी मुश्किल से टिकट लेते हैं और जब ट्रेन पकड़नी हो तब महाभारत की लड़ाई लड़नी पड़ी है। हालात यह है कि पटना राजधानी, गोहाटी राजधानी, डिब्रूगढ़ राजधानी या फिर कोलकाता एवं सियालदह राजधानी एक्सप्रेस जैसी तरीन में भी अपने बर्थ तक समान लेकर पहुंचना टेढ़ी खीर है। एक तो प्लेटफार्म में प्रवेश करने में एक किलोमीटर की लंबी लाइन और दूसरी तरफ अपने रिजर्व्ड कोच में अंदर जाने के लिए एक घंटे पहले ही लाइन में लग कर प्रतीक्षा करना बेहद दुखदायी हो गया है। हालांकि इस बार टेंट की व्यवस्था और पुलिस की मुस्तैदी सन्तोषजनक है लेकिन ट्रैन का देरी से चलना और संख्या कम होना इस अवसर पर बाईट जमाने की ही याद दिलाता है।
पटना जाने के लिए आठ घंटे से प्रतीक्षा कर रहे आशीष कुमार का कहना है कि जहां तक ट्रेन और बर्थ की संख्या का सवाल है लगता नहीं कि कोई सुधार हुआ है। जिस प्रकार पिछले वर्ष मुझे इसी अवसर पर ऐसी ही समस्या का सामना करनी पड़ी थी इस बार भी वही स्थिति है। रेलवे मंत्री जो दावा करें यात्री आज भी पैसे देकर भी सुविधा पाने की स्थिति में नहीं हैं। रेलवे में साफ सफाई तो ठीक हुई है लेकिन जब लोगों जगह ही नहीं मिलेगी तो लोग अपनी आवश्यकतानुसार मनमाफिक समय पर कैसे जा सकेंगे । इस देश में हालात यह है किआपको कहीं जाने के लिए हमेशा रेलवे की सुविधा के अनुसार ही यात्रा की योजना और अपने प्रोग्राम भी तय करने पड़ते है।
आधिकतर यात्रियों का कहना है कि सबसे परेशानी तब होती है जब ट्रेन विलंब होने की सूचना मिलती है। इससे कभी कभी पैसे खर्च कर भी हम निर्धारित तिथि को अपने गंतव्य पर नहीं पहुंच पाते हैं। प्रीमियम टिकट लेकर भी आप सामान्य समय में टिकट खरीदने वालों की तरह ही प्रतीक्षा करने को मजबूर होते हैं।