हवन-कीर्तन के साथ शहीद भगत सिंह जयंती

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भगत सिंह के दिखाए रस्ते पर चलें : कुलदीप जांघू

गुडगाँव। “मेरा रंग दे बसंती चोला” के देशभक्ति गीत के साथ मंगलवार को बसई चौक के नजदीक सदाबहार कार्यालय पर 27 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में (अब पाकिस्तान में) में जन्मे शहीद भगत सिंह के 110 वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर भगत सिंहजयंती मनाई। प्रातः 9 बजे हवन किया.  तत्पश्चात विशाल भंडारे के आयोजन में हज़ारों लोगों ने प्रशाद लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी कुलदीप जांघू ने करते हुए कहा कि शहीद भगत सिंह जी के बलिदान और कूट-कूट कर भरी देशभक्ति की बदौलत हमें आजादीमिली, ये युवा पिङ्गी के प्रेरणा श्रोत थे।

जांघू ने कहा कि भगत सिंह करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से अत्याधिक प्रभावित रहे। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह के बाल मन पर बड़ा गहरा प्रभाव डाला। उनका मन इस अमानवीय कृत्य को देख देश को स्वतंत्र करवाने की सोचने लगा। भगत सिंह ने चंद्रशेखर आज़ाद के साथ मिलकर क्रांतिकारी संगठन तैयार किया।

उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखा व संपादन भी किया। कार्यक्रम के संयोजक भगत सिंह कटारिया ने कहा कि हम सभी को इनके दिखाये रास्ते पर चलने की जरूरत है। हमें स्वार्थ त्यागकर देश की रक्षा और देश की विकसित दिशा में कार्य करने की अति आवश्यकताहै।  कार्यक्रम में सत्यवान कटारिया, देवेंद्र वर्मा, मनोज कटारिया, माइकल, कुलदीप, साहिल, जगवन्त सांगवान, सुनील, विनोद, परवीन,सुरेंद्र, राय सिंह, रजनीश, जगदीश बाल्यान आदि मौजद थे।

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