नई दिल्ली : देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंगलवार से उत्तराखंड की यात्रा पर हैं . वे यहाँ तिन दिन रहेंगे. एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से जोलीग्रांट एयरपोर्ट उतरने के बाद सीधे देहरादून में राजपुर रोड पर आशियाना पहुंचें . उल्लेख्नुया है कि राष्ट्रपति निवास के लिए एक ऐतिहासिक इमारत तैयार कि गई है. इसे आशियाना नाम दिया गया है. राष्ट्रपति देहरादून में एक दिन यानि मंगलवार को ठहरेंगे.
बुधवार की सुबह राष्ट्रपति वायु सेना के हेलीकाप्टर से केदारनाथ रवाना होंगे. बताया जाता है कि राष्ट्रपति का कार्यक्रम 27 से 30 सितंबर का था लेकिन इसे अब तीन दिन कर दिया गया.उल्लेखनीय है कि कुछ माह पहले भी श्री मुखर्जी केदारनाथ दर्शन के लिए आए थे लेकिन खराब मौसम के कारण उनका हेलीकाप्टर केदारनाथ में नहीं उतर पाया था.
28 सितंबर को राष्ट्रपति केदारनाथ घाटी में पहुंचेंगे. सुबह केदारनाथ के दर्शन व विशेष पूजा अर्चना में शामिल होंगे. फिर हेलीकाप्टर से वापस देहरादून के लिए रवाना होंगे और 11 बजे जीसीटी हैलीपैड पहुंचेंगे जहाँ से आशियाना भवन जाएंगे और वहां विश्राम करेंगे.
29 सितंबर की शाम हरिद्वार पहुंचेंगे. वहां राष्ट्रपति गंगा आरती में भाग लेंगे. उसी दिन हरिद्वार से जौलीग्रांट और शाम को दिल्ली के रवाना हो जाएंगे.इस कार्यक्रम की जानकारी उनकी आगमन कि व्यवस्था में जुटे अधिकारियों की ओर से दी गई है. राष्ट्रपति के कार्यक्रम को देखते हुए प्रदेश सरकार ने सुरक्षा के इंतजाम बेहद कड़े कर दिए हैं.
18 साल बाद देश के राष्ट्रपति का आगमन
यहां ब्रिटिश काल से ही देहरादून और शिमला में राष्ट्रपति का आवास बना हुआ है। देहरादून में राष्ट्रपति का आवास राजपुर रोड स्थित द प्रेजिडेंट बाॅडीगार्ड एस्टेट के नाम से जाना जाता है। यहां 18 साल पूर्व 1998 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण आए थे। उनके बाद 18 साल तक कोई अन्य राष्ट्रपति यहां नहीं आए। जिस कारण वर्षों से द प्रेजिडेंट बाॅडीगार्ड एस्टेट सुनसान था।
हर तरफ लंबी झाड़ियां होने के साथ आवासीय इलाका भी जर्जर था। प्रणव मुखर्जी के आने के कारण इसे निखारा गया है। यह करीब 170 एकड़ भूमि में बना है। इसके आवासीय हिस्से को आशियाना का नाम दिया गया है। आवास में आठ कमरों के साथ सुरक्षा कर्मियों के रहने के लिए दो बैरक हैं। घोड़ों लिए अलग से एक अस्तबल है। लीची और आम के बाग के साथ कई तरह की बागवानी भी इस परिसर में है।
कैसा है राष्ट्रपति का आशियाना ?
लीची तथा आम के बगीचे