*मुख्यमंत्री ने पश्चिमी सिंहभूम के आनंदपुर प्रखंड में कुडुख सरना जागरण मंच द्वारा आयोजित करम पूर्व संध्या महोत्सव में भाग लिया।
*सरना और सनातन धर्म एक दूसरे के बगैर अधूरे
*हर जनजाति क्षेत्र में अखड़ा का निर्माण होगा
*2 वर्ष के अंदर चाईबासा राजधानी के तर्ज पर विकसित होगा
*संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत पर कोई हमला ना हो
सिंहभूम : सरना और सनातन एक दूसरे के पूरक हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। जब से संस्कृति है तब से सरना और सनातन की परम्परायें हैं। पूजा पाठ से उपर संस्कार और जीवन शैली के शाश्वत प्रवाह का पर्याय हैं। मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने पश्चिमी सिंहभूम के आनंदपुर प्रखंड में कुडुख सरना जागरण मंच द्वारा आयोजित करम पूर्व संध्या महोत्सव में जनजातीय समुदाय को सम्बोधित करते हुये यह बात कही।*
उन्होंने कहा कि हम सब को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि *पूर्वजों से प्राप्त संस्कृति और परंपरा पर कोई हमला या षडयंत्र ना हो। युवावर्ग को इससे ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है।*
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी और जनजाति समाज का इतिहास आदिकाल से है। इस समाज के लोग प्रकृति की पूजा प्राचीनकाल से करते आ रहें हैं। करम पर्व प्रकृति का संरक्षण और अपने जीवन में अच्छे कर्म करने का संदेह देता है ताकि अच्छे कर्म कर हम अपने जीवन को सुखमय बना सकें। यह देश और राज्य के लिये भी सुखद साबित होगा। श्री दास ने कहा कि झारखण्ड बिरसा मुंडा और कार्तिक उरांव की धरती है। भगवान बिरसा मुंडा ने चाईबासा की धरती से ही अपनी संस्कृति और परंपरा के संरक्षण व संवर्धन हेतु उलगुलान किया था। *यह हम सभी की यह जिम्मेवारी और नैतिक कर्तव्य है कि बिरसा आबा के आदर्शों का अनुपालन करें। श्री दास ने बताया कि आगामी बजट में सभी जनजाति क्षेत्र में अखड़ा निर्माण हेतु प्रावधान किया जायेगा जहां समाज के लोग पर्व त्योहार के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन कर सकें।*
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास हेतु सरकार प्रयासरत है। कृषि, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पेयजल, सड़क के लिये सरकार ने कार्य किया है और आगे भी यह काम जारी रहेगा। उद्योग के लिये *चाईबासा के मनोहरपुर प्रखंड और चतरा में स्टील प्लांट स्थापित होगा।* *चाईबासा को राजधानी रांची के तर्ज पर अगले 2 वर्ष में विकसित करने की योजना है।*
*हर गरीब के जीवन में बदलाव आये इस योजना पर सरकार कार्य कर रही है।*
*इस अवसर पर सांसद श्री लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि कुडुख हो आदिवासी समाज के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं। हमारी भाषा और संस्कृति ही हमारी पहचान है। इसे बचा कर रखने की जिम्मेवारी समाज के सभी लोगों की है इसके प्रति हमें गंभीर होने की आवश्यकता है।*
केंद्र और राज्य सरकार की आदिवासी समाज के उत्थान हेतु कई योजनाएं हैं बावजूद इसके इनके लिए अपनी संस्कृति की प्रस्तुति हेतु अखाड़ा का निर्माण हो जाये तो अपने त्यौहारों को समाज और बेहतर ढंग से मना सकेगा। श्री गिलुवा ने कहा कि आंनदपुर और मनोहरपुर की कुछ सड़कों को दुरुस्त करने की आवश्यकता है। सरकार क्षेत्र से पलायन रोकने हेतु कौशल विकास का कार्यक्रम संचालित कर रही है ताकि बेरोजगार युवाओं को हुनरमंद बना उन्हें राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए गुड़गांव, गुरैत, बेड़ाकुंदेदा गांव की टीम द्वारा पारंपरिक करम नृत्य और गान की प्रस्तुति दी गई। पारंपरिक वेशभूषा और वाद यंत्रों से सुसज्जित महिला और पुरुष लोक कलाकारों ने इसमें भाग लिया।
इस अवसर पर मनोहरपुर विधायक श्रीमती जोबा मांझी, पूर्व विधायक श्री गुरुचरण नायक, सरना समाज के रवि लकड़ा समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।