अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां राहत कार्य शुरू भी नहीं किया गया
भागलपुर जिले के बिहपुर प्रखंड के दर्जनों गांवों के लोग कोसी नदी की बाढ़ से परेशान
बांध का 1987 के बाद सरकार ने नहीं किया रखरखाव, टूटने की कगार पर जमींदारी बांध
इलाके की पंचायतों के मुखिया भी निष्क्रिय, ब्लाक प्रशासन बेखबर
पटना : बिहार के के 18 जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. राज्य सरकार राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चलाने का दावा कर रही है, लेकिन मिडिया की खबरों से स्पष्ट है कि अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां राहत कार्य शुरू भी नहीं किया गया है. बिहार में बाढ़ से 1.21 करोड़ से ज्यादा की आबादी बुरी तरह प्रभावित है. मिडिया की खबरों में बाढ़ के कारन मरने वालों की संख्या 202 तक पहुंच गई है. आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि राज्य के 18 जिलों के 164 प्रखंडों की 1.21 करोड़ से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़ की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. दूसरी तरफ भागलपुर जिले के नवगछिया उपमंडल के अधीन बिहपुर प्रखंड के दर्जनों गांवों के लोग कोसी नदी पर बने जमींदारी बांध की दयनीय स्थिति के कारन बाढ़ की आशंका से भयभीत हैं. स्थानीय प्रशासन बांध के मरम्मती के प्रति निष्क्रिय है.
बताया जाता है कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पिछले 24 घंटे के दौरान बाढ़ से 49 लोगों की मौत हुई है, जिस कारण इस वर्ष बाढ़ से मरने वालों की संख्या शनिवार देर शाम तक 202 तक पहुंच गई है. खबर है कि अररिया में सबसे ज्यादा 42 लोगों की मौत हो गयी है, जबकि किशनगंज में 11, पूर्णिया में नौ, कटिहार में सात, पूर्वी चंपारण में 11, पश्चिमी चंपारण में 29, दरभंगा में 10, मधुबनी में 12, सीतामढ़ी में 31, शिवहर में चार, सुपौल में 13, मधेपुरा में नौ, गोपालगंज व सहरसा में चार-चार, मुजफ्फरपुर में एक, खगड़िया में तीन तथा सारण में दो व्यक्ति की मौत हुई है.
हालाँकि राज्य के अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी से घिरे 6.25 लाख से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का दावा किया है लेकिन बाढ़ प्रभावित इन्हीं इलाके से सटे भागलपुर जिले के नवगछिया उपमंडल के अधीन बिहपुर, खरीक व नारायणपुर प्रखंड के दर्जनों गांवों के लोग कोसी नदी पर बने जमींदारी बांध की दयनीय स्थिति के कारन बाढ़ की आशंका से भयभीत हैं. वहां के लोगों का कहना है कि बिहपुर प्रखंड के तिरमोहन घाट से खगरिया जिले के शतीश नगर व महेश्खूट तक कोसी नदी पर बने जमींदारी बांध की स्थिति बेहद कमजोर हो चली है. ख़ास कर इलाके के गाँव जयरामपुर, हरियो , मरबा, भ्रमरपुर नगरपारा, भवानीपुर, बिरबन्ना,नारायणपुर, आशा टोल, रायपुर कुशहा के सामने बांध की मरम्मत का कार्य 1987 के बाद दुबारा नहीं किया गया है.
इस क्षेत्र में बांध बहुत कमजोर हालत में है. कोसी नदी में लगातार बढ़ रहे पानी के स्तर से इन गाँव में पानी का तेज बहाव नए आशंका प्रबल हो चली है. जयरामपुर गाँव के सामने बांध की उंचाई भी अपेक्षाकृत कम है जबकि चूहों के प्रकोप ने इसे खोखला कर दिया है. यहाँ के लोग पिछले कई दिनों से खुद ही बांध की मरम्मत करने में जुटे हैं. लोगों का कहना है कि ग्रामीणों ने बिहपुर प्रखंड के बीडीओ व एनी प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी जानकारी दिया है लेकिन एहतियातन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. लोगों की शिकायत है कि स्थानीय प्रशासन बांध की मरम्मती के प्रति निष्क्रिय है. नदी का जल स्तर लगातार बढ़ने से लोग आशंकित है कि अगर बाँध टूट गया तो इस इलाके के ढाई लाख से अधिक लोग जलमग्न हो जायेंगे और जान माल का बड़ा खतरा पैदा हो सकता है.
गौरतलब है कि इस इलाके में तीन प्रमुख पंचायतों जिनमें मडवा पंचायत, जयरामपुर पंचायत और भ्रमरपुर पंचायत शामिल हैं के मुखिया भी इस अतिसंवेदनशील मुद्दे पर निष्क्रिय हैं. पंचायतों ने यहाँ के लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है. न ही ब्लाक प्रशासन और न ही पंचायटन के मुखिया इस और ध्यान दे रहे हैं. लगता है इन्हें इस बांध के टूटने का इन्तजार है.
जयरामपुर गाँव के समाजसेवी संजय चौधरी, गोपाल चौधरी, नवीन चौधरी, नवीन कुमार , अनिल कुमार सहित सैकड़ों लोगों ने स्वयं ही अपने गाँव के पास बाँध को अस्थायी तौर पर मरम्मत करने का काम किया. लेकिन इनकी आशंका है की अगर जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो हालत बिगड़ सकते हैं और बांध किसी भी समय टूट सकता है. इससे इलाके में भारी तबाही हो सकती है. सभी मांग है कि स्थानीय प्रशासन को समय रहते सतर्कता से बांध के मरम्मत के लिए कदम उठाने चाहिए अन्यथा इस क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर लोग बेघर हो जायेंगे जबकि फसलों की बर्बादी तो पहले ही हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि इन गांवो का दुर्भाग्य यह है कि ये एक तरफ गंगा नदी से घिरे है जबकि दूसरी तरफ कोसी नदी का दंश झेलने को मजबूर हैं लेकिन न तो प्रखंड के किसी अधिकारी ने इनकी सुध ली है और न ही जिला या उपमंडल स्तर के अधिकारियों ने इस और ध्यान देना जरूरी समझा है.
जिन इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है उस सम्बन्ध में आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया है सभी प्रभावित जिलों में लगातार सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम लगी हुई है. बाढ़ ग्रसित 18 जिलों में एनडीआरएफ की 28 टीम के 1,152 जवान अपनी 118 नौकाओं और एसडीआरएफ की 16 टीम के 446 जवान अपनी 92 नौकाओं तथा सेना के 630 जवान एवं 70 नौकाओं के साथ राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं.
इसके अलावा इन क्षेत्रों में 1,336 राहत शिविर खोले गए हैं, जिसमें करीब 4.22 लाख से ज्यादा लोग शरण लिए हुए हैं. 1,879 सामुदायिक रसोई खोली गई है, जिसमें लोगों को लंगर की तरह खाना खिलाया जा रहा है.”
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ चिकित्सकों का दस्ता भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में लगा हुआ है. इसके अलावे कई सरकारी और निजी नावों को भी राहत और बचाव कार्य में लगाया गया है. वैसे राहत की बात है कि पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य के सीमांचल क्षेत्रों में कहीं भी बारिश नहीं हुई है. इस बीच सीमांचल के क्षेत्रों में बाढ़ प्रभावित इलाकों से पानी घटने की सूचना है.