नई दिल्ली : बिहार सरकार और चंदा बाबू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शाहबुद्दीन को नोटिस जारी किया। सोमवार को अगली सुनवाई। अदालत ने पूछा है कि क्यों न हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी जाए। चंदा बाबू कि ओर से प्रमुख वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर कि है.
उल्लेखनीय है कि बिहार के बाहुबली आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन पिछले दिनों को जेल से रिहा हो गए थे। उन्हें सीवान के चर्चित तेजाब कांड में हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उसे भागलपुर जेल से रिहा किया गया था। उन पर कुछ माह पूर्व एक राष्ट्रीय हिन्दी अखबार के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के आरोपों में घिरने के बाद सीवान जेल से भागलपुर जेल शिफ्ट कर दिया गया था। जेल से रिहा होने की खबर से उनके समर्थकों में खुशी में थी लेकिन अब बैल का विरोध होने पर मायूसी छाई हुई है.
भाजपा ने जताई आपत्ति :
इस बाहुबली के जेल से बाहर आने की खबर मिलते ही भाजपा नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई। भाजपा नेताओं का कहना है कि एक तरफ जंगल राज चल रहा है जबकि दूसरी तरफ ऐसे बाहुबलियो के बाहर आने से आम लोग सहमे हुए हैं।
बाहर आते ही नीतिश को दिखाया चश्मा
जेल से बाहर आने के बाद शहाबुद्दीन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा निशाना साधते हुए स्पष्ट कर दिया था कि उनके प्रति इनके मन में कोई सकारात्मक रुख नहीं है। शाहबुद्दीन ने कहा था कि वे मेरे नेता नहीं हैं और वे बस परिस्थितियों के कारण मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा था कि लालू यादव हमारे नेता है। मुझे उनकी ही छत्रछाया में रहना है। साफ शब्दों में उन्होंने कहा कि मैं पाला बदल नहीं करूंगा। उनका कहना था कि मैं अपनी छवि क्यों बदलूं? मैं जैसा हूं, 26 साल तक लोगों ने मुझे इसी रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने दावा किया कि मुझे फंसाया गया था। न्याय व्यवस्था पर भरोसा जातातेे हुए कहा कि कोर्ट ने ही मुझे जमानत दी है।
तेजाब से नहलाने का मामला
उल्लेखनीय है कि शहाबुद्दीन दो भाइयों को तेजाब से नहलाने व उसकी हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के आरोप में भागलपुर जेल में बंद थे। हालांकि दोहरे हत्याकांड में उन्हें हाई कोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी।