सुभाष चन्द्र चौधरी /The Public World
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत मंडपम में आईसीए ग्लोबल कोऑपरेटिव कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए कहा कि कोआपरेटिव दुनिया के लिए एक मॉडल है लेकिन भारत के लिए भारतीय संस्कृति का आधार है. यह जीने का अनिवार्य अंग है और भारत में संयुक्त परिवार की परंपरा का आधार है. उन्होंने कोऑपरेटिव को ग्लोबल कॉरपोरेशन के लिए एक मजबूत माध्यम बताया.
उल्लेखनीय है कि आई सी ए ग्लोबल कोऑपरेटिव कॉन्फ्रेंस का भारत में पहली बार आयोजन किया जा रहा है. इसमें100 से अधिक देशों के 3000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. अगले 5 दिनों तक इस कांफ्रेंस में विविध विषयों पर मंथन किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर वर्ष 2025 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ कोऑपरेटिव घोषित करने के लिए धन्यवाद किया और इसे यादगार बनाने के लिए भारतीय डाक विभाग की ओर से जारी पोस्टल स्टैंप का विमोचन किया. कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह में फिजी के डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर, भूटान के प्राइम मिनिस्टर , मंगोलिया के डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर, केंद्रीय गृह मंत्री एवं कोऑपरेटिव मंत्री अमित शाह औरभारत में कोआपरेटिव के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर भी मौजूद थे.
कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में कोआपरेटिव को अधिक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बनाया गया और इसके लिए व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का प्रयास अब इसे मल्टी पर्पस बनाने का है. इसके लिए मंत्रालय का गठन किया गया नए मॉडल बायोलॉज बनाए गए और इस क्षेत्र को आईटी इनेबल सिस्टम से जोड़ा गया. पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कई कोऑपरेटिव सोसाइटीज पेट्रोल और डीजल के आउटलेट चला रही हैं. कई स्थानों पर वाटर मैनेजमेंट को मॉनिटर करती है तो कई स्थानों पर सोलर पैनल इंस्टॉल करने की जिम्मेदारी भी निभा रही है. उन्होंने कहा कि आज वेस्ट टू एनर्जी गोबर धन स्कीम के तहत कोऑपरेटिव सोसाइटीज बेहतरीन काम कर रही है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से डिजिटल सेवा दे रही है.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य 2 लाख गावों में मल्टीपरपज सहकारी समिति गठित करने का है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार चाहती है कि सर्विस सेक्टर में इसे विस्तार दिया जाए जबकि अन्न भंडारण योजना के तहत कोऑपरेटिव सोसाइटी को जोड़ने के लिए काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि 9 हजार ए फपी ओ संगठित कर वित्तीय मदद देने की व्यवस्था भी की गई है और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव सोसाइटीज को भारत में ओ एन डी सी पब्लिक ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से और भारत सरकार की जेम प्लेटफार्म से जोड़कर लाभ पहुंचाया जा रहा है.
कोऑपरेटिव सोसाइटी में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की चर्चा करते उन्होंने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ के लिए यह अहम पहलू है. इसलिए भारत में आज कोऑपरेटिव सोसाइटीज में महिलाओं की भागीदारी 60% से अधिक है और कानून में संशोधन कर इसमें महिला निदेशक बनाया जाना आवश्यक कर दिया गया है.
उनका कहना था कि क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय संस्थान बनाकर पूरी दुनिया में कोआपरेटिव को वित्तीय सहायता दी जा सकती है, इस पर विचार करना चाहिए. उनका तर्क था कि दुनिया में वर्तमान स्थिति में कोआपरेटिव के लिए बड़ा अवसर है लेकिन इसके लिए इनोवेटिव पॉलिसीज बनानी होगी. उन्होंने कहा कि इस कांफ्रेंस के माध्यम से ग्लोबल कोऑपरेशन को नई ऊर्जा मिल सकती है खासकर ग्लोबल साउथ को बड़ी मदद मिल सकती है.
पीएम मोदी ने कहा कि वह केवल प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि भारत के करोड़ों किसानों, पशुपालकों, 8 लाख कोऑपरेटिव संस्थानों , 10 करोड़ महिलाओं, सेल्फ हेल्प ग्रुप और टेक्नोलॉजी के माध्यम से कोऑपरेटिव को मजबूत करने वाले युवाओं की तरफ से सभी डेलिगेट्स का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि भारत में पहली बार इस कांफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है जिसका फायदा भारत के लोगों को होगा जबकि दुनिया के लोगों को भारत के अनुभव से भी सीखने को मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले एक दशक में उनकी सरकार ने कोऑपरेटिव मूवमेंट्स को नया विस्तार दिया है. इस अनुभव से दुनिया को नई दृष्टि मिलेगी जबकि इस कांफ्रेंस में विचार विमर्श के माध्यम से भविष्य की यात्रा के लिए महत्वपूर्ण दृष्टिकोण मिलेगा. उन्होंने कहा कि कोआपरेटिव दुनिया के लिए एक मॉडल है लेकिन भारत के लिए संस्कृति का आधार है. उन्होंने पौराणिक ग्रंथ वेद की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे वेद “एक साथ चल एक जैसा बोल बोलें ” का दर्शन सदियों से देते हैं जबकि उपनिषद ने “सर्वे संतु सुखिनः “, सह अस्तित्व को मूल तत्वके रूप में रखा है. उन्होंने कहा कि यह भारतीय जीवन का मूल तत्व है, यहां की पारिवारिक व्यवस्था का आधार है और भारतीय सभ्यता इससे फली फूली है. उन्होंने यहां तक कहा कि कोआपरेटिव से आजादी के आंदोलन को मजबूती मिली थी क्योंकि स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजी सरकार के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए यह एक मजबूत मंच मिला था.
प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को भी कोआपरेटिव पर आधारित बताया जबकि खादी ग्रामोद्योग को पिछले एक दशक में नए स्वरूप में खड़ा करने की बात की. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने भी किसानों को एकजुट किया था. उन्होंने कहा कि आजादी की क्रांति से पैदा हुआ अमूल आज दुनिया में बड़े दूध उत्पादक संस्थानों में से एक है. उनका कहना था कि सहकारिता के विचार से आंदोलन चला , आंदोलन से क्रांति उत्पन्न हुई और क्रांति से सशक्तिकरण का सफर तय किया गया.
नरेंद्र मोदी ने कहा कि सहकार और सरकार की शक्ति को जोड़ कर हम भारत के लोगों को समृद्ध बनाने का प्रयास कर रहे हैं. यही कारण है कि आज भारत में 8 लाख सरकारी समितियां काम कर रही हैं जिसका दायरा विविध और व्यापक हो गया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 98% हिस्से कवर किया गया है. भारत में चीनी, फर्टिलाइजर मत्स्य पालन और दुग्ध उत्पादन जैसे क्षेत्रों में कोऑपरेटिव सोसाइटीज बड़ी भूमिका अदा कर रही है.
पिछले 10 सालों में अर्बन कॉपरेटिव बैंकिंग और हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटीज के विस्तार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत में 2 लाख से अधिक हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटीज हैं . यह उनकी सरकार द्वारा इस क्षेत्र में किए गए रिफॉर्म्स का नतीजा है. उन्होंने कहा कि 12 लाख करोड रुपए आज कोऑपरेटिव बैंक्स में जमा है. कोऑपरेटिव बैंक्स को रिजर्व बैंक आफ इंडिया के दायरे में लाया गया और उसे डिजिटलाइज किया गया जिससे लोगों का विश्वास इसमें बढ़ा .