गुरूग्राम, 20 अक्टूबर। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित व राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा समर्थित ‘सरस आजीविका मेला 2024’ अपने पूरे जोश के साथ जारी है और अब तक सात दिन पूरे कर चुका है। इस मेले में विभिन्न राज्यों से आए स्वयं सहायता समूह (SHG) अपनी हस्तनिर्मित वस्त्र, दस्तकारी, और स्थानीय उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। मेले का उद्देश्य ग्रामीण शिल्पकारों और कारीगरों को एक मंच प्रदान करना है ताकि वे अपने उत्पादों को बड़े बाजार तक पहुंचा सकें और आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।
अब तक मेला को जनता से भरपूर समर्थन मिल रहा है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग मेले का दौरा कर रहे हैं। मेले में प्रदर्शित वस्त्र, आभूषण, हस्तशिल्प, और घरेलू सामानों ने विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही, मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और मनोरंजन की भी भरपूर व्यवस्था की गई है, जिससे हर उम्र के लोग आकर्षित हो रहे हैं।
सरस आजीविका मेला, ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित करने का एक सशक्त माध्यम बनता जा रहा है, और अगले कुछ दिनों में भी मेले से इसी तरह की उत्साही समर्थन की उम्मीद है।
मेले के आयोजकों ने बताया कि स्थानीय लोग और पर्यटक बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं, जिससे ग्रामीण उत्पादों की बिक्री में बढ़ोतरी हो रही है। यह मेला न केवल ग्रामीण शिल्पकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनने की दिशा में एक बड़ा मंच भी दे रहा है।
सात दिनों में कई उत्पादों की अच्छी बिक्री दर्ज की गई है, खासकर पारंपरिक हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित उत्पादों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इसके साथ ही, मेले में खादी, हस्तनिर्मित आभूषण, हथकरघा वस्त्र, और स्थानीय व्यंजन लोगों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
आयोजकों ने बताया कि मेले की अवधि के दौरान कई और आकर्षक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, कार्यशालाएं, लखपति दीदियों के हौंसलें अफजाही के लिए एजुकेशनल स्पीकर और उत्पाद प्रदर्शनी शामिल हैं। ये सभी प्रयास ग्रामीण उत्पादकों और शिल्पकारों को नई संभावनाओं से जोड़ने और उनके उत्पादों की ब्रांडिंग को बढ़ावा देने की दिशा में किए जा रहे हैं।
सरस आजीविका मेला 2024 ग्रामीण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और आत्मनिर्भरता के संदेश को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहा है।