– 109 करोड़ सेल फोन यूजर्स पर 34,824 करोड़ का बोझ डालने का लगाया आरोप
– ट्राई और दूस संचार मंत्रालय को कटघरे में खड़े करते हुए 5 सवाल किये
-लोकसभा चुनाव के ठीक बाद 3 कंपनियों को अपनी दरों में बेतहाशा वृद्धि की
सुभाष चौधरी /The Public World
नई दिल्ली : लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अग्नीवीर योजना को लेकर दिए बयानों का तूफ़ान अभी थमा भी नहीं था कि आज कांग्रेस पार्टी ने देश की 3 मोबाइल कंपनियों द्वारा मोबाइल फ़ोन की दरों में 11 से 27 प्रतिशत वृद्धि करने के मामले में एक और बम फोड़ दिया. पार्टी के राज्यसभा सांसद और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि मोदी सरकार ने देश के 109 करोड़ सेल फोन यूजर्स पर सालाना 34,824 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ डाल कर महंगाई की खाई में धकेल दिया. कांग्रेस नेता ने यह कहते हुए गंभीर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मिलीभगत से लोकसभा चुनाव के ठीक बाद इन कंपनियों को अपनी दरें बेतहाशा बढाने की छूट दे दी. उन्होंने ट्राई और दूस संचार मंत्रालय को कटघरे में खड़े करते हुए 5 सवाल किये .
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 3 जुलाई, 2024 से इस देश में सेल फोन की दरें बढ़ा दी गईं। देश के 109 करोड़ सेल फोन यूजर्स रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन का सेल फोन इस्तेमाल करते हैं. हिंदुस्तान के सेल फोन मार्केट में सिर्फ तीन सेल फोन ऑपरेटर हैं। उन्होंने ट्राई की ओर से जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि रिलांयस जियो के – 48 करोड़ यूजर्स, एयरटेल के – 39 करोड़ यूजर्स हैं जबकि वोडाफोन आइडिया के – 22 करोड़ 37 लाख यूजर्स हैं . ट्राई की रिपोर्ट के अनुसार सेल फोन कंपनियां अपने हर सेल फोन कस्टमर से 152.55 पैसे प्रति माह कमाती हैं।
कांग्रेस महासचिव ने खुलासा किया कि 27 जून को रिलायंस जियो ने अपने रेट 12% से 27% बढ़ा दिए, 28 जून को एयरटेल ने अपने रेट 11% से 21% बढ़ा दिए और 29 जून को वोडाफोन आइडिया ने भी अपने रेट 10% से 24% तक बढ़ा दिए. इससे साफ़ है कि तीनों कंपनियों ने आपसी गठबंधन के तहत सिर्फ 72 घंटे में ही सेलफोन चार्जेज बढ़ाने की घोषणा कर दी जो अपने आप में चौकाने वाली घटना है । उन्होंने पूछा कि इस मामले में ट्राई और केन्द्रीय दूर संचार मंत्रालय क्यों मौन रहा ?
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कुल सेल फोन यूजर्स 119 करोड़ हैं . बाकी सरकारी कंपनियों के पास मुश्किल से बचते हैं 10 करोड़ के करीब. इनमें भी दो कंपनी ही देश के लगभग सारी सेल फोन मार्केट को कंट्रोल करती हैं . ट्राई ने 23 अप्रैल 2024 को यह रिपोर्ट जारी की है इसमें 31 दिसंबर 2023 तक का लेटेस्ट डाटा उपलब्ध है . इस रिपोर्ट के मुताबिक सेल फोन कंपनी का एवरेज रिवेन्यू प्रति कस्टमर 152 रुपया 55 पैसे है. सभी कम्पनियाँ हर महीने हर सेल फोन कस्टमर से औसतन 152 रुपया 55 पैसे सेल फोन से कमाती हैं.
उन्होंने कहा कि 27 जून 2024 को इफेक्टिव थर्ड जुलाई 2024 रिलायंस जिओ ने अपने रेट 12% से 27% बढ़ा दिए औसत 20% .इसकी जो सबसे अफॉर्डेबल प्लान है 155 रुपए की जो सबसे ज्यादा कस्टमर उसे यूज करते हैं. शायद उनकी संख्या 25 से 30 करोड़ देश में हो वह 155 रुपए से 189 रुपए बढ़ा दी 22% इंक्रीज . 28 जून यानी अगले दिन 2024 को इफेक्टिव थर्ड जुलाई 2024 एयरटेल ने अपने सेल फोन यूजर चार्ज 11% से 21% बढ़ा दिए औसत 15% इफेक्टिव . उससे अगले दिन 29 जून 2024 को वोडाफोन ने बढ़ा दिया.
उन्होंने यह कहते हुए आशंका व्यक्त की कि 27 को जियो बढ़ता है, 28 को एयरटेल बढ़ता है और 29 को वोडाफोन बढ़ता है . इन सभी के इफेक्टिव डेट लगभग सामान हैं . इससे साफ़ है कि तीनों कंपनियों ने सलाह करके 72 घंटे में सेल फोन चार्ज बढ़ाने की घोषणा की और दूसरा एक ही तिथि से यूजर चार्ज बढ़े 3 जुलाई और 4 जुलाई लगभग 24 घंटे के अंतराल में बढ़ा दिए. दो चीज बिल्कुल साफ हो गई अब देश के मोबाइल यूजर्स पर एडिशनल बर्डन 34824 करोड़ होगा .
उन्होंने कहा कि अगर हम सेल फोन कंपनियों की औसत आय पर नजर डालते हैं तो इससे पता चलेगा कि Reliance Jio के हर यूजर पर 30.51 रुपए की बढ़त हुई है। यानी सालाना 17,568 करोड़ रुपए . इसी तरह AIRTEL के यूजर्स पर 22.88 रुपए की बढ़त हुई है। यानी सालाना- 10,704 करोड़ रुपए जबकि Vodafone Idea के यूजर्स पर 24.40 रुपए की बढ़त हुई है। यानी सालाना- 6,552 करोड़ रुपए .
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने नरेंद्र मोदी सरकार से पूछे 5 सवाल :
• क्या मोदी सरकार ने 109 करोड़ सेलफोन यूजर्स पर लगभग 35 हजार करोड़ रुपए का बोझ डालने से पहले कोई जांच की?
• क्या मोदी सरकार ने नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम की खरीद से होने वाले असर का कोई अध्यन किया?
• क्या मोदी सरकार ने Adjusted Gross Revenue (AGR) पर दी गई पिछली रियायतों का क्या असर होगा, इसका अध्यन किया?
• ऐसा कैसे हो सकता है कि सभी सेल फोन कंपनियां अपना टैरिफ 15-20% बढ़ा दें, जबकि उनका इंवेस्टमेंट, कस्टमर बेस आदि सब अलग है।
• क्या ये सच नहीं कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार और TRAI को स्लीपिंग पार्टनर की तरह नहीं, जनता के लिए एक्टिव पार्टनर की तरह काम करने को कहा था?