सुभाष चौधरी /The Public World
गुरुग्राम : गुरुग्राम जिला में गुरुवार देर रात हुई मौसम की पहली बरसात ने लोगों को भीषण गर्मी से बड़ी राहत दी. जिला के सोहना तहसील क्षेत्र में सर्वाधिक 82 एम एम् वर्षा हुई जबकि सबसे कम बारीश पटौदी क्षेत्र में होने की सूचना मौसम विभाग की ओर से जारी की गई है. इस वर्षा ने एक तरफ तामपान तो कम किया दूसरी तरफ गुरुग्राम शहर की हर सड़क को जलमग्न कर नई समस्या पैदा कर दी . जिला प्रशासन, जी एम डी ए और नगर निगम के जल निकासी की व्यवस्था करने के दावे की पोल खुल गई . शहर की सभी प्रमुख सड़कों और आवासीय कालोनियों की गलियों में भारी जल जमाव ने यातायात का चक्का भी जाम कर दिया.
वाहनों को सड़कों पर रेंगते देखा गया. कई जगह दर्जनों वाहन पानी में डूबने के कारण बंद हो गये और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. कई जगह नगर निगम और जी एम डी ए की ओर से जल निकासी का अस्थायी इंतजाम किया गया लेकिन यह नाकाफी साबित हुआ. एक दिन पूर्व ही जिला के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने अधिकारियों के साथ बैठक कर जल निकासी की व्यवस्था मुक्कमल करने को कहा था और निगम व जी एम डी ए के अधिकारी पिछले दो माह से इसका दावा करते रहे हैं लेकिन हालत जस की तस बनी ही हुई है.
यह हकीकत है कि इस शहर को हर बार वर्षा के मौसम में इसी तरह जल जमाव की भीषण समस्या का सामना करना पड़ता रहा है और राज्य सरकार और उनके अमले की ओर से मौसम से पूर्व शहर से लगते ड्रेन की सफाई, सीवर सफाई, सभी मैंन सीवर लाइनों की डिसिल्टिंग करवाने और जल निकासी की स्थायी व्यवस्था करने के दावे किये जाते रहे हैं लेकिन यह बयानों और कागजों तक सीमित रहता रहा है. इस बार भी मानसून की पहली बरसात ने इस दावों की पोल खोल दी है.
पिछले कई वर्षों से गुरुग्राम शहर की हर आवासीय कालोनियों व सेक्टरों की गलियों की सीवर लाइनें महीनों जाम रहने और उफान मारने की स्थिति का सामना लोग करते रहे हैं. ख़ास कर बारिश में यह और भयावह हो जाती है. सीवर जाम और मलबे के उफान से परेशान लोग अपने घरों से बाहर नहीं आ पाते हैं.
अस्थायी व्यवस्था कर निगम के अधिकारी अस्थायी ठेके के माध्यम से सरकारी खजाना और जनता की जेब दोनों को चूना लगाते हैं. यह कथा हर बार दोहराई जाती है और अधिकारी, ठेकेदार और नेता जनता को राहत पहुंचाने के नाम पर करोड़ों रुपये बारिश में बहा देते हैं. न कोई रोकने वाला और न ही टोकने वाला.
जनता की सुनने वाला कोई नहीं है क्योंकि गुरुग्राम नगर निगम के निगम पार्षदों का कार्यकाल लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुका है. निगम का सदन अस्तित्व में नहीं है और अधिकारी किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है. जब प्रश्न पूछने वाला ही मौन कर दिया गया हो तो अधिकारियों की फ़ौज मनमानी पर उतरेगी ही. प्रदेश की भाजपा सरकार न तो निगम का चुनाव करवा रही है और न ही निवर्तमान पार्षदों को जनता की समस्याओं के निराकरण करवाने का अधिकार दे रही है . यानी जनता और स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधि दोनों बेचारगी की स्थिति में डेढ़ वर्ष से हैं. इस शहर की समस्या को लेकर विपक्ष की तलवारें भोथडी हो गई हैं क्योंकि उन्हें सत्ता की चाबी जनता द्वारा खुद ही थाली में परोस कर दिए जाने का इन्तजार है.
केन्द्रीय मंत्री व सांसद राव इंदरजीत सिंह ने अपने पिछले टर्म में और अब नए टर्म में भी निवर्तमान निगम पार्षदों को तवज्जों देने की बात अधिकारियों से कही लेकिन उनकी बात बेअसर रही है. निवर्तमान मेयर हो या निवर्तमान पार्षद अपनी बात सरकार के मुखिया के सामने कहने से पहले भी डरते थे और आज भी डरते हैं. गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला मौन व्रती हैं. लगता है उन्हें जनता से सरोकार नहीं रह गया है. पहले यह चर्चा रहती थी कि तब के मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधायक की नहीं सुनते हैं लेकिन अब कुर्सी बदल होने के बाद भी उनकी निष्क्रियता के चर्चे उफान पर हैं. उनका दर्शन शहरवासियों के लिए दुर्लभ हो गया है. यह अलग बात है कि उनकी प्रकृति सौम्य है लेकिन उनके सादगी भरे स्वभाव का लोग खामियाजा क्यों भुगते ?
यह कहना सही होगा कि सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेता इस आशंका से भयभीत रहते हैं कि ज्यादा मुखर होना उनके लिए पार्षद चुनाव में टिकट की संभावना को गर्दिश में डाल देगा . इसलिए सीवर जाम, बदहाल सफाई व्यवस्था और अब सडकों व गलियों में जल जमाव की समस्या से घिरी वार्ड की जनता पूर्व पार्षदों के कार्यालयों में खरी खोटी सुनाकर या नारेबाजी कर चली जाती है और वे मूक दर्शक बन कर देखते रहते हैं. अधिकारी सुनते नहीं और जनता सरेआम आईना दिखाने से चूकती नहीं.
खीझ में आखिर जनता भी क्या करे ? कयोंकि पहली बारिश ने ही शहर की जनता को यह बता दिया है कि पिछले वर्ष से भी बुरी हालत होने वाली है. निराशा इस बात से अधिक होती है कि हर रोज कभी डिविजनल कमिश्नर आर सी बिढ़ान इन स्थितियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते दिखते हैं तो कभी निगम कमिश्नर डॉ नरहरी सिंह बांगड़ या जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव की अधिकारियों को हिदायत देते फोटो जारी किये जाते हैं लेकिन धरातल पर कुछ दिखता नहीं.
आम जनता इस बात से हैरान और परेशान है कि स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा का गुरुग्राम दौरा केवल औपचारिकता क्यों साबित हुई ? मुख्य सचिव टी वी एस एन प्रसाद भी आए और हिदायत दे गए जबकि कुछ अधिकारियों के वेतन रोकने की खबर भी जारी की गई लेकिन उनकी कवायद बेअसर क्यों रही ? गुरुग्राम में मलाई मार रहे आधिकारी आखिर किस व्यवस्था की समीक्षा करते हैं ? क्या केवल सरकार की नजर में सक्रीय दिखना चाहते हैं ?
जिस शहर में दो दर्जन से भी अधिक विभिन्न स्तर के कमिश्नर ( डिविजनल कमिश्नर, नगर निगम कमिश्नर , डिप्टी कमिश्नर, एडिशनल डिप्टी कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर नगर निगम, जॉइंट कमिश्नर नगर निगम सहित अन्य असिस्टेंट कमिश्नर ) तैनात हों वहां केवल समीक्षा ही होगी या फिर समस्या का समाधान होता भी दिखेगा ? लोकसभा चुनाव से कई माह पूर्व से ही कूड़े के पहाड़ में तब्दील शहर में कभी डिविजनल कमिश्नर कूड़े उठाने वाले वाहन को झंडी दिखाते हैं तो कभी प्रदेश के सीएम नायब सिंह सैनी लेकिन अब तक कूड़े उठाने की व्यवस्था नियमित क्यों नहीं हो पाई है ?
जल निकासी की व्यवस्था के लिए नगर निगम का दावा 12 जेसीबी, 62 शक्सन टैंकर, 61 ट्रैक्टर माउंटेड पम्प, 25 डीजल इंजन सहित पर्याप्त संख्या में मैनपावर तैनात फिर भी शहर की प्रमुख सड़कें और कई सेक्टरों की सड़कें व गलियां जलमग्न क्यों ? जनता यह जानना चाहती है कि इस समस्या का कोई स्थायी समाधान यहाँ तैनात अधिकारियों की फ़ौज कभी निकाल पाएगी या नहीं ? क्या हलकी बारिश से हलकान इस शहर की जनता किसी महापुरुष के अवतरण का इन्तजार करे ?
किस तहसील में हुई कितनी बारिश ?
Tehsil – Gurugram. 30.(M.M)
Sub Tehsil – Kadipur .. 17.(M.M)
Sub Tehsil – Harsaru ..17.(M.M)
Tehsil – Wazirabad… 55.(M.M)
Sub Tehsil – Badshahpur… . 12 .(M.M)
Tehsil – Sohna .. 82 (M.M)
Tehsil – Manesar .. 14..(M.M)
Tehsil – Pataudi … 3.(M.M)
Tehsil – Farukh Nagar …17..(M.M