मुख्य विशेषताएं :
- वार्ता से अफ्रीकी देशों और भारत के बीच मौजूदा साझेदारियों को कायम रखने में मदद मिलेगी
- आपसी जुड़ाव के लिए नए क्षेत्रों का पता लगाना
- मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान नॉलेज पार्टनर बनेगा
- रक्षा मंत्री रक्षा प्रदर्शनी 2022 के साथ-साथ आयोजित अगली भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता में अफ्रीकी देशों के रक्षा मंत्रियों की मेजबानी करेंगे
नई दिल्ली : भारत और अफ्रीका के बीच घनिष्ठ और ऐतिहासिक संबंध हैं। भारत-अफ्रीका रक्षा संबंधों की नींव ‘सागर’ – क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’ तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ – द वर्ल्ड इज वन फैमिली जैसे दो मार्गदर्शक सिद्धांतों पर आधारित है।
रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय द्वारा 06 फरवरी, 2020 को रक्षा प्रदर्शनी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पहली बार भारत-अफ्रीका रक्षा मंत्री कॉन्क्लेव (आईएडीएमसी) आयोजित किया गया था। भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन IV के क्रम में मंत्रिस्तरीय पैन अफ्रीका कार्यक्रमों की श्रृंखला में यह पहला था। कॉन्क्लेव के परिणाम दस्तावेज़ के रूप में आईएडीएमसी 2020 के समापन के बाद एक संयुक्त घोषणा, ‘लखनऊ घोषणा’ को लागू की गई थी।
घोषणा को आगे बढ़ाने और हितधारकों के परामर्श से, भारत हर दो साल में एक बार आयोजित होने वाले क्रमिक रक्षा प्रदर्शनी के दौरान भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता को संस्थागत बनाने का प्रस्ताव करता है। भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता के संस्थापन से अफ्रीकी देशों और भारत के बीच मौजूदा साझेदारी के निर्माण में मदद मिलेगी और क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने जैसे क्षेत्रों सहित आपसी जुड़ाव के लिए नए क्षेत्रों का पता लगाने में मदद मिलेगी।
यह निर्णय लिया गया है कि मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान भारत अफ्रीका रक्षा वार्ता का नॉलेज पार्टनर होगा और भारत तथा अफ्रीका के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने में मदद करेगा।
यह भी निर्णय लिया गया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता में अफ्रीकी राष्ट्रों के रक्षा मंत्रियों की मेजबानी करेंगे। ‘भारत-अफ्रीका: रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने और तालमेल के लिए रणनीति अपनाना’ इस बार भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता का व्यापक विषय होगा।