स्टाम्प ड्यूटी चोरी मामले में स्टेट आर टी आई कमीशन का ऐतिहासिक निर्णय
अब टोल टैक्स व पार्किंग ठेकेदारों से होगी 500 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी की वसूली
पांच वर्षों तक मना करने वाली हरियाणा सरकार ने लिया यू टर्न
रेवेन्यू एवं डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने जारी किया सर्कुलर
सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
गुरुग्राम : आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा के अथक प्रयास एवं ईमानदार पहल के सामने प्रदेश में स्टांप ड्यूटी के रूप में 500 करोड़ की चोरी करने का मामला अब लगभग सुलझ गया है . लगभग 5 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद हरियाणा में टोल टैक्स और पार्किंग ठेका के नाम पर करोड़ों का चेपा लगाने वाली कंपनियों को अब स्टांप ड्यूटी के रूप में 500 करोड़ रु सरकार के खजाने में जमा कराने ही होंगे. स्टेट आरटीआई कमीशन के ऐतिहासिक आदेश पर हरियाणा सरकार ने अपने सभी विभागों एवं जिले के उपायुक्तों को एक सरकारी आदेश जारी कर इसकी वसूली पिछले वर्षों से करने और भविष्य में भी इस पर अमल कराने का निर्देश दिया है. जनहित में लम्बी लड़ाई के बाद इस सकारात्मक एवं महत्वपूर्ण उपलब्धि पर आरटीआई एक्टिविस्ट श्री ढींगरा ने संतोष जाहिर किया है और उम्मीद जताई है कि प्रदेश का सरकारी अमला इस पर इमानदारी से अमल करेगा .
क्या है स्टाम्प ड्यूटी चोरी का मामला ?
उल्लेखनीय है कि दिल्ली एनसीआर के प्रसिद्ध आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा ने वर्ष 2014 में हरियाणा के मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत की थी कि प्रदेश में नेशनल हाईवे और अन्य प्रोजेक्ट्स के निर्माण में लगी कंपनियां एवं इसके नाम पर टोल टैक्स वसूलने वाली कंपनियां साथ ही सभी छोटे बड़े शहरों में पार्किंग स्थल के आवंटन का काम करने वाले ठेकेदार, कॉन्ट्रैक्ट एग्रीमेंट में स्टांप ड्यूटी की बड़े पैमाने पर चोरी कर रहे हैं. उनके द्वारा लीज एग्रीमेंट 50 रु या 100 रु के स्टाम्प पेपर पर किए जा रहे हैं जबकि यह स्टाम्प ड्यूटी एक्ट की सीमा में आते हैं. अधिकारी आखें मूंद कर इसे अधिकृत कर रहे हैं. यह अनैतिक खेल वर्षों से जारी है. लेकिन लगभग 2 वर्षों तक श्री ढींगरा की इस शिकायत पर सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.
सरकार ने क्या कहा ?
इस मामले में सरकार और व्यावसायियों की ओर से जानबूझ कर की जा रही गलतियों में सुधार के लिए श्री ढींगरा लगातार कोशिश में लगे रहे. सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के अवैध कारनामे पर रोक लगे इस दिशा में वे चंडीगढ़ और गुडगाँव की ख़ाक छानते रहे . लेकिन सरकार आंखें मूंदे बैठी रही. थक हार कर अंततः वर्ष 2016 में उन्होंने आरटीआई के माध्यम से अपनी लिखित शिकायत पर की गई सरकारी कार्रवाई की जानकारी मांगी. लेकिन उन्हें जानकारी देने की बजाय यह कहा गया कि इस प्रकार के व्यवसाय में एग्रीमेंट के लिए स्टांप ड्यूटी वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है और टोल टैक्स या पार्किंग ठेका लेने के लिए एग्रीमेंट पर स्टांप ड्यूटी लगाने का कोई नियम नहीं है. यह कहा गया कि इस प्रकार के एग्रीमेंट स्टाम्प ड्यूटी एक्ट की सीमा में ही नहीं आते हैं.
उत्तराखंड सहित तीन राज्यों में भी थे विवाद
लेकिन श्री ढींगरा ने हार नहीं मानी और इस मामले में हरियाणा स्टेट आरटीआई कमीशन के सामने अपनी शिकायत को जनहित में तथ्यात्मक ठहराने के लिए उत्तराखंड राज्य के इसी प्रकार के एक विवाद में देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा दिए गए निर्णय और आंध्र प्रदेश व उत्तर प्रदेश के एक मामले में भी संबंधित राज्य के हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का साइटेशन प्रस्तुत किया. उक्त मामले में अदलत ने स्पष्ट रूप से इन व्यावसायों को स्टाम्प ड्यूटी एक्ट की सीमा में होना करार दिया है. उन तथ्यों को प्रस्तुत करने बाद सुनवाई के दौरान आरटीआई कमीशन ने माना की टोल टैक्स और पार्किंग ठेका लेने वाली कंपनियों के लीज एग्रीमेंट के लिए स्टांप ड्यूटी जमा कराने का प्रावधान होना चाहिए श्री ढींगरा की शिकायत जायज है. उन्होंने निर्णय में स्पष्ट केर दिया कि इसे हरियाणा में भी लागू किया जाना चाहिए.
स्टेट आर टी आई कमीशन ने क्या कहा ?
इस पर कमीशन ने हरियाणा सरकार को स्पष्ट निर्देश जारी किया है. निर्णय में कहा है कि हरियाणा सरकार के रेवेन्यू एवं डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को इस मामले की जांच कर टोल टैक्स एवं पार्किंग एग्रीमेंट से संबंधित स्टांप ड्यूटी के प्रावधान को लागू करना चाहिए.
सरकार का यू टर्न ?
आरटीआई कमीशन के आदेश के अनुसार प्रदेश के रेवेन्यू एवं डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने सभी जिले के संबंधित विभागों एवं अधिकारियों को गत 27 मार्च 2018 को मेमो जारी कर कहा है कि राज्य सरकार ने यह पाया है कि सभी जिलों में इंडियन स्टांप एक्ट 1899 के शिड्यूल वन एक के आर्टिकल 35 का उल्लंघन कर टोल टैक्स एवं पार्किंग एग्रीमेंट को अंजाम दिया जा रहा है. उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि पार्किंग प्लेस के लीज एग्रीमेंट के लिए और टोल कॉन्ट्रैक्ट लीज के लिए होने वाले एग्रीमेंट अंडर आर्टिकल 35 ऑफ शेड्यूल 1 ए में आते हैं. इसलिए राज्य सरकार इस तरह के एग्रीमेंट के लिए स्टांप ड्यूटी वसूलने की हकदार है. उक्त पत्र में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एंड फाइनेंसियल कमिश्नर, रेवेन्यू एवं डिजास्टर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट ने उन दो जजमेंट का जिक्र भी किया है जिसमें उत्तराखंड स्टेट वर्सेस हरपाल सिंह रावत और नसरुद्दीन वर्सेस उत्तर प्रदेश स्टेट के मामले में इसी प्रकार के विवाद को लेकर उच्च अदालतों ने स्पष्ट रूप से ऐसे एग्रीमेंट के लिए स्टांप ड्यूटी वसूलने को जायज ठहराया है.
प्रदेश के सभी जिलों में होगी वसूली
उन निर्णयों को ध्यान में रखते हुए पार्किंग प्लेस और टोल टैक्स के लिए होने वाले लीज एग्रीमेंट अगर 1 साल के लिए या इससे अधिक अवधि के लिए होते हैं तो इसके लिए रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के सेक्शन 17 एक के तहत कराना अनिवार्य है जिनका स्टांप ड्यूटी निर्धारित दरों के अनुसार जमा करना होगा. इसके लिए स्टांप एक्ट 1899 के शेडूल 1ए की धारा 35 के तहत जो दर निर्धारित है उसके अनुरूप रजिस्ट्रेशन करना और उसका चार्ज वसूलना अनिवार्य बताया गया. इस निर्णय की प्रति आरटीआई एक्टिविस्ट हरेंद्र ढींगरा को भी स्टेट आरटीआई कमीशन की ओर से भेजी गई है और उन्हें सूचित किया गया है कि उनकी शिकायत पर अब प्रदेश के सभी जिलों में अमल किया जाएगा.
500 करोड़ रुपए इस मद में प्रदेश सरकार के खजाने में आयेंगे
श्री ढींगरा का कहना है कि लंबे संघर्ष के बाद अंततः सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने की कुत्सित कोशिश पर अंकुश लगाने की स्थिति बनी है. प्रदेश सरकार स्वयं जिस बात से इनकार करती रही अब उन्हें मानना पड़ा कि पार्किंग प्लेस के लिए लीज एग्रीमेंट एवं टोल टैक्स लीज एग्रीमेंट के लिए अगर अवधि 1 साल या इससे अधिक है तो उनका रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा और स्टांप ड्यूटी चार्ज किया जाएगा. इस मामले में स्टांप ड्यूटी का प्रतिशत प्रदेश के अलग-अलग शहरों में और शहर से बाहर के प्रोजेक्ट के लिए अलग-अलग निर्धारित है. उदाहरण के तौर पर गुड़गांव में 5% (स्टाम्प ड्यूटी 3 % + एमसीजी टैक्स 2 %)जबकि अन्य कुछ शहरों में 3% स्टाम्प ड्यूटी लेना निर्धारित है. लेकिन उनका कहना है कि यह मामला बहुत पुराना है पिछले कई वर्षों से हरियाणा प्रदेश में इन दोनों प्रकार के व्यवसाय में स्टांप ड्यूटी चोरी बड़े पैमाने पर होती रही है. उनका आकलन बताता है कि न्यूनतम 500 करोड़ रुपए इस मद में प्रदेश सरकार के खजाने में आयेंगे अगर इस निर्णय पर इमानदारी से अमल किया गया.
कितनी अवधि वाले एग्रीमेंट इस श्रेणी में ?
क्योंकि पिछले वर्षों में कुछ शहरों में यह 6% था जबकि कुछ शहरों में 3%. इनमें गुड़गांव करनाल मुरथल और अन्य बड़े शहरों के नाम शामिल हैं जहां पार्किंग ठेके बड़े पैमाने पर छोड़े जाते हैं चाहे वह हुडा की पार्किंग हो या फिर नगर निगम नगर पालिका या नगर परिषद. उनका मानना है कि पार्किंग लीज अक्सर 1 साल के लिए दी जाती है इसलिए इस प्रकार के व्यवसाय के एग्रीमेंट स्टांप ड्यूटी एक्ट के तहत चार्जेबल हैं. दूसरी तरफ टोल टैक्स टेंडर लीज भी 1 साल नहीं बल्कि कई वर्षों के लिए जारी की जाती है. फिर इनके स्टांप ड्यूटी एक्ट से बहार होने का सवाल ही पैदा नहीं होता. उन्होंने यह स्पष्ट किया की एग्रीमेंट में छोड़े गए ठेके की कुल राशि के आधार पर स्टांप ड्यूटी जमा कराने का प्रावधान है. प्रदेश के गुड़गांव सहित सभी बड़े शहरों में टोल टैक्स और पार्किंग के बड़े-बड़े ठेके करोड़ों में छोड़े जाते हैं. मेट्रो स्टेशन हो या कमर्शियल भवनों के आस पास या फिर इंडस्ट्रियल इलाके , सभी जगह बड़े पैमाने पर पार्किंग स्थल के ठेके जारी किया जाते हैं. इसलिए यह सभी स्टाम्प ड्यूटी एक्ट में कवर होते हैं.
‘देर आयद दुरुस्त आयद’ की कहावत पर अमल
उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि ‘देर आयद दुरुस्त आयद’ की कहावत पर अमल करते हुए हरियाणा सरकार ने अंततः मान लिया की इस प्रकार के व्यवसाय के एग्रीमेंट इस प्रावधान की सीमा में हैं. इस महत्वपूर्ण निर्णय से ऐसे व्यवसाय करने वाले बड़े घरानों को बड़ा झटका लगा है और आने वाले समय के लिए यह मील का पत्थर साबित हो सकता है. क्योंकि प्रदेश में अगले 5 वर्षों में लाखों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स शुरू होने वाले हैं और उनके नाम पर फिर कई वर्षों तक टोल टैक्स की वसूली भी चलने वाली है. ऐसे में उनके प्रोजेक्ट की कुल राशि के आधार पर रजिस्ट्रेशन व स्टांप ड्यूटी की राशि भी करोड़ों में होगी. इसी तरह पार्किंग का ठेका प्रतिवर्ष अधिक कीमत पर छोडे जाने की परम्परा है इसलिए इस मद में भी सरकार के खजाने में स्टांप ड्यूटी के रूप में बड़ी राशि आने के प्रबल आसार हैं जिसे जनहित में खर्च किया जाना संभव होगा. उनका कहना है कि इस प्रकार के और भी कई व्यवसाय हैं जिनकी पहचान की जानी आवश्यक है और उन्हें भी स्टांप ड्यूटी टैक्स के दायरे में लाने की जरूरत है जिससे सरकार की आय में बेतहाशा वृद्धि हो सकती है जबकि जनहित के प्रोजेक्ट्स के लिए फंड की कमी नहीं होगी.
वर्षों से स्टांप ड्यूटी की चोरी का धंधा चलता रहा
टोल टैक्स के नाम पर प्रदेश में दर्जनों शहरों में हजारों करोड़ रुपए की वसूली आम जनता से की जा रही थी लेकिन सरकारी खाजने को चेपा लगा रहे थे. दूसरी तरफ प्रदेश सरकार ने जानबूझकर इस प्रावधान को अमल में नहीं लाया और वर्षों से स्टांप ड्यूटी की चोरी का धंधा चलता रहा . उन्होंने स्पष्ट किया कि आरटीआई कमीशन के निर्णय इस मामले में बेहद स्पष्ट हैं कि उसकी वसूली उन वर्षों से की जानी चाहिए जब से इस प्रकार के एग्रीमेंट हुए हैं इसलिए सरकारी खजाने में लगभग 500 करोड़ आने की संभावना है.