भारत में ऊर्जा उपभोक्ता एवं उत्पादक देशों के मंत्रियों का सबसे बड़ा सम्मेलन
शीर्ष संगठनों के प्रमुख भी इसमें भाग लेंगे
सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक
नई दिल्ली : वैश्विक ऊर्जा मानचित्र में भारत की बढ़ती अहमियत को रेखांकित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम की 16वीं मंत्रिस्तरीय बैठक (आईईएफ16) की मेजबानी भारत कर रहा है और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को करेंगे। ‘आईईएफ16’ विश्व भर के ऊर्जा मंत्रियों, औद्योगिक हस्तियों और महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों का सबसे बड़ा सम्मेलन है। इस दौरान वैश्विक ऊर्जा के भविष्य पर गहन चर्चाएं की जायेंगी।
इस वर्ष आयोजित होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक में जो गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे उनमें भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, सऊदी अरब के पेट्रोलियम एवं खनिज संसाधन मंत्री खालिद अल-फलीह, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के ऊर्जा एवं उद्योग मंत्री सुहैल मोहम्मद अल मजरोई, ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजान नामदार जांगेनेह, कतर के ऊर्जा एवं उद्योग मंत्री डॉ. मोहम्मद बिन सालेह अल-सादा, नाइजीरिया के पेट्रोलियम संसाधन राज्य मंत्री एमानुअल इबे काचीक्वू, जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग राज्य मंत्री कोसाबरो निशिमे, चीन के राष्ट्रीय ऊर्जा प्रशासन के उप प्रशासक ली फैनरोंग, रूस के ऊर्जा उप मंत्री पावेल सोरोकिन इत्यादि शामिल हैं।
इनके अलावा आईईएफ के कार्यकारी निदेशक डॉ. सन जियानशेंग, आईईए के कार्यकारी निदेशक श्री फातिह बिरोल, ओपेक के महासचिव श्री मोहम्मद सैनुसी बर्किंदो और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे कि सीएनपीसी, टोटल, वोपैक, एक्सॉन मोबिल इत्यादि के वरिष्ठ अधिकारीगण भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा फोरम (आईईएफ) का उद्देश्य इसके सदस्य देशों के बीच आपसी समझ को और ज्यादा बढ़ाना तथा ऊर्जा संबंधी साझा हितों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसके 72 सदस्य देशों ने उस आईईएफ चार्टर पर हस्ताक्षर कर रखे हैं जिसमें इस अंतर-सरकारी व्यवस्था के जरिये वैश्विक ऊर्जा संवाद की रूपरेखा को रेखांकित किया गया है। इनके अलावा 20 अन्य देश भी इस बैठक में विशेष आमंत्रित के रूप में भाग लेंगे।
समस्त छह महाद्वीपों को कवर करने वाला और तेल एवं गैस की वैश्विक आपूर्ति एवं मांग में लगभग 90 प्रतिशत की हिस्सेदारी ऱखने वाला आईईएफ इस दृष्टि से अनोखा है कि इसमें न केवल आईईए और ओपेक के उपभोक्ता एवं उत्पादक देश शामिल हैं, बल्कि इस मामले में बदलाव या संक्रमण के दौर से गुजर रहे (ट्रांजिट) देश और इन संगठनों की सदस्यता के दायरे से बाहर रहने वाले कई देश जैसे कि अर्जेंटीना, चीन, भारत, मेक्सिको, रूस और दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हैं।
‘आईईएफ16’ की मेजबानी भारत और सह-मेजबानी चीन एवं कोरिया कर रहे हैं। ‘आईईएफ16’ का लक्ष्य इस बात पर फोकस करना है कि वैश्विक स्तर पर होने वाले बदलाव, संक्रमणकालीन नीतियां और नई प्रौद्योगिकियां किस तरह से बाजार में स्थिरता के साथ-साथ ऊर्जा क्षेत्र में भावी निवेश को प्रभावित करती हैं। ‘ऊर्जा सुरक्षा एवं प्रणाली में लचीलापन किस तरह से ऊर्जा संक्रमण मार्गों के साथ विकसित होंगे और वैश्विक आर्थिक, जनसांख्यिकीय एवं पर्यावरण चुनौतियों का सामना करेंगे’ विषय पर मंत्रियों और औद्योगिक हस्तियों के बीच होने वाले संवाद से एक ऐसे ऊर्जा संबंधी भविष्य को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी जो सभी के लिए किफायती, उत्पादक, टिकाऊ और तटस्थ बना रहेगा।