नई दिल्ली : चुनावी प्रक्रिया के दूसरे चरण में 26 अप्रैल, 2024 को 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 88 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में लोकतंत्र के महापर्व की स्पष्ट झलक देखने को मिली। आज मतदान के दिन समाज के हर वर्ग की भागीदारी देखी गई जो लोकतंत्र की समावेशी भावना को रेखांकित करती है। चाहे पहली बार अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने के लिए अत्यंत उत्सुक मतदाता हों या महिलाएं, बुजुर्ग नागरिक और दिव्यांगजन हों, आज मतदान में समाज के विभिन्न वर्गों की व्यापक भागीदारी देखने को मिली। यह फोटो फीचर चुनाव के दिन समावेशी लोकतंत्र के स्पष्ट नजारे के साथ-साथ मतदाताओं की सामूहिक आवाज और आकांक्षाओं को भी बखूबी दर्शाता है।
लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर मतदान हुए. हालांकि चुनाव को लेकर उत्साह शाम को आए वोटिंग प्रतिशत ने कम कर दिया. इस बार का वोटिंग ट्रेंड पहले चरण के चुनाव से भी खराब रहा. दूसरे चरण में महज 61.40 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2019 में इन्हीं सीटों पर 70 फीसदी से ज्यादा लोगों ने बढ़-चढ़कर वोट किया था. कम होते इस वोटिंग प्रतिशत ने सभी राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ दिया है.
पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोट डाले गए थे. पिछले चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुए थे. यही हाल दूसरे चरण में भी रहा. किसी भी राज्य में मतदान का आंकड़ा 80 फीसदी को पार नहीं कर सका.
आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज्यादा त्रिपुरा में 78.00 प्रतिशत और सबसे कम उत्तर प्रदेश में 53.20 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. वहीं मणिपुर में 77.20 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 72.50 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 71.80 प्रतिशत, असम में 70.7, जम्मू और कश्मीर में 67.40, केरल में 65.00, कर्नाटक में 64.60, राजस्थान में 60.50, मध्य प्रदेश में 55.50, महाराष्ट्र में 53.70 और बिहार में 54.20 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किया.
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा की सीटें हैं, लेकिन वहां के वोटरों में चुनाव को लेकर उत्साह नहीं दिख रहा है. पहले चरण में जहां 57 प्रतिशत वोट पड़े, वहीं दूसरे चरण में महज 53.20 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. किसके पक्ष में ज्यादा वोट गया है यह कहना काफी मुश्किल है.
चुनाव और राजनीतिक रूप से सजग कहे जाने वाले बिहार में भी इस बार मतदाता वोट को लेकर काफी नीरस दिख रहे हैं. पहले चरण में जहां 48 फीसदी लोगों ने वोट किया, वहीं दूसरे चरण में 54.20 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. कई लोग बिहार में कम वोटिंग प्रतिशत को मौसम और पलायन से जोड़कर भी देख रहे हैं.