राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान ने सरस आजीविका में कार्यशाला आयोजित की
सांस्कृतिक संध्या का भी लोगों ने लिया आनंद
– सुबह 11 बजे से रात्रि 9.30 तक चलने वाला यह मेला सबके लिए निःशुल्क है
गुरुग्राम, 06 नवंबर। सरस आजीविका मेला 2023 में आज स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान द्वारा किया गया। इसमें सौ से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। आज कार्यशाला के मुख्य वक्ता के रूप में आईआईएमसी के विनोद शर्मा रहे। कार्यशाला में आज इन महिलाओं को बताया गया कि सोशल मीडिया के माध्यम से ग्रामीण उत्पादों के प्रमोशन औऱ मार्केटिंग कैसे की जाय। कार्यशाला की शुरुआत राष्ट्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) के सहायक निदेशक चिरंजी लाल कटारिया के संबोधन से हुई। वहीं, विनोद शर्मा ने प्रतिभागियों को बताया कि वो अपने मोबाइल फोन के जरिए कैसे फेसबूक, यू-ट्यूब जेसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए अपने उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर सकती हैं। साथ ही उन्होंने इन महिलाओं को इसका लाइव डेमो भी दिया ताकि इन महिलाओं को समझ आ सके। इस दौरान उन्होंने बताया कि वीडियो के थम्बनेल कैसे सेट करें, बैकग्राउंड आदि कैसा हो साथ ही इसके लिए क्या कंटेंट हो ये सभी जानकारियां दी गईं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सोशल मीडिया के लिए हमारे की-वर्ड्स, हैसटैग क्या हो, ताकि सर्च करने पर जल्द से जल्द उन महिलाओं के प्रोडक्ट्स गुगल पर आ सके।
कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने इसकी सराहना की। ज्ञात हो कि उत्पादों से जुड़े अलग-2 विषयों पर मेले में भाग लेने वाली 800 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के लिए कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं। उदाहरण के तौर पर पैकेजिंग, ब्रेंडिंग, बिजनेस प्रपोजल तैयार करने, सोशल मीडिया प्लैटफार्म का उत्पादों की मार्किटिंग में उपयोग करने, वित्तीय प्रबंधन से लेकर कई अन्य विषयों के बारे मे प्रशिक्षण दिया जा रहा है तथा महिलाओं को सीधे बाज़ार से जोड़ने हेतु बी-टू-बी व बी-टू-सी बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं।
वहीं, मेले में दक्षिण भारत के भी हेंडीक्राफ्ट व हेंडलूम समेत फूड आइटम लोगों को लुभा रहा है। दक्षिण भारत के केरल की स्टेट कोआर्डिनेटर रेट्टिना बताती हैं कि उनके स्टेट से कुल पंद्रह स्टॉल लगाए गए हैं, जिसमें छह हेंडीक्राफ्ट व हेंडलूम केप्रोडक्ट हैं जबकि नौ फूड आइटम के स्टॉल लगाए गए हैं। फूड स्टॉल की अगर हम बात करें तो विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों से तैयार किया गया गुड़ लोगों को काफी लुभा रहा है। स्टॉल नंबर 333 पर लोग गुड़ की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। यह गुड़ अभी व्याप्त दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण में सेहत के लिए काफी लाभकारी है। इसका साथ ही केरला साड़ी, सोफा कवर, बेडसीट समेत हर्बल प्रोडक्ट में साबुन, हेयर ऑयल, बॉडी मशाज ऑयल, स्कीन ऑयल, पेन ऑयल आदि उपलब्ध हैं। इसके साथ ही मशाला, जूस, कोकोनट ऑयल, बनाना चिप्स, जैकफ्रुट हलवा, जैकफ्रूट बिस्कुट ये सभी आप को स्टॉल नंबर 366 पर मिल जाएंगे। इसके साथ ही मजबूत किस्म के लोहे के सामान में कढ़ाई, तवा, फ्राइंग पेन जैसे सामान हैं। अतः अगर आप मेले में घूम लें तो आप को पूरे देश भर की शैर हो जाएगी।
वहीं, मेले में सांस्कृतिक संध्या का भी लोगों ने आनंद लिया। सांस्कृतिक संध्या में नियमित रूप से पांच बजे से हरेक राज्यों के लोक नृत्य व संगीत की प्रस्तुति की जाती है।
ज्ञात हो कि राजधानी से सटे गुरुग्राम में ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा हरियाणा सरकार के सहयोग से आयोजित सरस आजीविका मेला का आयोजन किया जा रहा है। 26 अक्टूबर से 11 नवंबर तक आयोजित होने वाला मेला भारत की विविधता और सांस्कृतिक विरासत को दर्शा रहा है। पहले दिन ही इस मेले का आकर्षण लोगों को अपनी तरफ खींच लाया। यहां हर आयु वर्ग के लोग मेला देखने व खरीदारी करने में आ रहे हैं।
गुरुग्राम के सेक्टर-29 स्थित लेजरवैली ग्राउंड में लगे इस मेले में देश के 28 राज्यों के 400 से अधिक स्टॉलों पर लोग खरीदारी के लिए आ रहे हैं। मेले की विविधता लोगों को आकर्षित कर रही है। स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की महिलाओं की विशेष उपस्थिति वाला यह मेला महिला सशक्तिकरण की एक बेहतरीन मिसाल है जहां न केवल वह अपना उत्पाद लेकर आई हैं बल्कि वह भारत की विविधता और अनेकता में एकता का संदेश भी दे रही हैं। आयोजकों के लिए यह मेला निःशुल्क है। सुबह 11 बजे से रात्रि 9.30 तक चलने वाले इस मेले में लोगों की खासी दिलचस्पी है। दूसरी बार यह मेला गुरुग्राम में लग रहा है और लोग इसको लेकर उत्साहित हैं।
इस मेला में 28 राज्यों से आई स्वयं सहायता समूह की 800 दीदी अपनी कला एवं संस्कृति से जुड़े हस्तनिर्मित उत्पादों की स्टॉल लगाई हैं।