नई दिल्ली : केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने इंजीनियरिंग सेवाओं, डिजाइन, निर्माण और अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इंजीनियरिंग समुदाय को प्रोत्साहित किया। आज नई दिल्ली में ‘डिजाइन, इंजीनियरिंग, निर्माण, अनुसंधान एवं विकास और पर्यावरण सेवाओं: सतत ऊर्जा, परिवहन और अवसंरचना पर वैश्विक सेवा निर्यात कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए, श्री गोयल ने देश भर के इंजीनियरों को इंजीनियर्स दिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं।
श्री गोयल ने भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति को रेखांकित किया, जैसा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 के सफल आयोजन से पता चलता है। उन्होंने कहा कि भारत की क्षमताओं और नेतृत्व को विश्व का सम्मान जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 के पहले दिन महत्वपूर्ण और साहसिक निर्णयों के साथ जी-20 नई दिल्ली नेताओं के घोषणा-पत्र को अपनाने से स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि भारत की आवाज अब न सिर्फ विकासशील देशों (ग्लोबल साउथ) बल्कि दुनिया की आवाज बन रही है।
श्री गोयल ने सभी भारतीयों से इसे 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक सफलता के रूप में मनाने की अपील की। उन्होंने भारतीय कंपनियों से विश्व स्तर पर विस्तार करने, नए बाजारों पर कब्जा करने और एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या गणित) स्नातकों के भारत के प्रचुर प्रतिभा पूल का लाभ उठाकर अपने सेक्टरों में अग्रणी वैश्विक कंपनियां बनने का आग्रह किया।
श्री गोयल ने इंजीनियरिंग क्षेत्र के अग्रणी व्यक्तियों को विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता और प्रमाणन के जर्मन मॉडल पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि इंजीनियरिंग क्षेत्र में विशेषज्ञ और कई क्षेत्रों के भी विशेषज्ञ होने से भारत के विकास और नवोन्मेषण में योगदान मिल सकता है। उन्होंने कहा कि 2020 में प्रस्तुत की गई भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने शिक्षा में कई प्रकार के अन्य परिवर्तनों के द्वार खोल दिए हैं, जिससे छात्र अब विभिन्न क्षेत्रों की खोज करने में सक्षम बन गए हैं। उनका मानना है कि यह लचीलापन अधिक कुशल और विविध कार्यबल को जन्म देगा। उन्होंने स्मरण किया कि किस प्रकार देश में पुरानी नीतियां छात्रों के लिए विकल्पों को बाधित करती थीं।
इसके अतिरिक्त, श्री गोयल ने सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (एसईपीसी) और इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) (आईईआई) से उन अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं पर एक अध्ययन करने का आह्वान किया जो वैश्विक परियोजनाओं में भारतीय इंजीनियरिंग फर्मों की भागीदारी को प्रतिबंधित करती हैं। श्री गोयल ने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार भारतीय इंजीनियरों और कंपनियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु इस शोध अध्ययन के आधार पर पारस्परिक कार्रवाई का पता लगाएगी।
श्री गोयल ने वैश्विक व्यापार पर भारत के रुख को लेकर निष्पक्ष और संतुलित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता के लिए देश की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत के दृष्टिकोण में देश के व्यवसायों, पेशेवरों और एमएसएमई को लाभ पहुंचाने वाले न्यायसंगत सौदे सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श शामिल है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य एफटीए में प्रवेश करना है जो दोनों ही देशों के लिए लाभकारी सौदा है।
श्री गोयल ने कहा कि हम एफटीए का उतना लाभ नहीं उठा पा रहे हैं जितना अन्य देश उठा पा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को उद्धृत करते हुए कहा, “हर देश की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है जब देश खुद को नए सिरे से परिभाषित करता है और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ता है। आज भारत की विकास यात्रा में वह समय आ गया है।”
श्री गोयल ने इंजीनियर्स दिवस मनाने के महत्व को रेखांकित किया और इस बात पर जोर दिया कि यह व्यक्तियों तथा राष्ट्र को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करता है। इस अवसर ने पिछली उपलब्धियों पर चिंतन और नवोन्मेषण तथा वैश्विक नेतृत्व के आह्वान के क्षण के रूप में कार्य किया। आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रभावशाली भारत के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप, श्री गोयल ने भारत के इंजीनियरों में सहयोग, नवोन्मेषण और आत्मविश्वास के महत्व को रेखांकित किया क्योंकि वे वैश्विक नेतृत्व की ओर यात्रा का सूत्रपात कर रहे हैं।