नई दिल्ली। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) पर रूस के व्लादिवोस्तोक में भारत-रूसी कार्यशाला का निमंत्रण दिया। श्री सोनोवाल रूसी बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक और भारतीय बंदरगाह शहर चेन्नई के बीच वैकल्पिक व्यापार मार्ग के रूप में ईएमसी के शीघ्र संचालन की संभावनाओं की तलाश करने के उद्देश्य से सत्र को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला का 30 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2023 तक चेन्नई, भारत में होना प्रस्तावित है।
इस अवसर पर मंत्री ने कहा, “पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) के संचालन से भारत और रूस के बीच व्यापार संबंधों के एक नए युग की शुरुआत होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत अभिनव समाधान तैयार करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जो हमारे दो महान राष्ट्रों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाएगा तथा और आगे बढ़ाएगा। चूंकि हमारी टीमों ने ईएमसी के शीघ्र संचालन के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया था, व्लादिवोस्तोक, वोस्तोचन, नखोदका और कोज़मिनो की यात्रा विशेष रूप से सहायक रही। इसे आगे बढ़ाते हुए, मैं भारत के चेन्नई में सभी हितधारकों की एक कार्यशाला के आयोजन का प्रस्ताव देता हूं और इस कार्यशाला के लिए निमंत्रण देता हूं, जहां हम ईएमसी के सुचारू और तेज संचालन के लिए मिल सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं।
रूसी सरकार ने भी अपने भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से अवसरों और संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ चेन्नई बंदरगाह का दौरा करने की इच्छा व्यक्त की है। रूसी प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व रूसी संघ के ऊर्जा मंत्री के उप मंत्री श्री सर्गेई मोचलनिकोव और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय के मैक्सिम रेशेतनिकोव ने किया। सत्र का संचालन एसोसिएशन ऑफ कमर्शियल सीपोर्ट्स के निदेशक मंडल के अध्यक्ष श्री डेनिस इलातोव्स्की ने किया।
भारत के समुद्री कार्यक्रम और इसके प्रमुख कार्यक्रम सागरमाला के बारे में मंत्री ने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, 2015 में, भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सागरमाला की हमारी परिवर्तनकारी पहल शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य भारत की तटरेखा और जलमार्गों की पूरी क्षमता का उपयोग करना है। सागरमाला का विज़न, पत्तन के नेतृत्व वाले विकास के माध्यम से अधिकतम अवसंरचना निवेश के साथ घरेलू और एक्जिम कार्गो दोनों के लिए लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना है। वर्तमान में, सागरमाला कार्यक्रम के तहत 2035 तक कार्यान्वयन के लिए 65 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की 802 परियोजनाएं हैं। इनमें से 14.6 बिलियन डॉलर की 228 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 27 बिलियन डॉलर की 260 परियोजनाएं कार्यान्वयन के चरण में हैं। इसके अलावा, 24 बिलियन डॉलर की 314 परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा, तटीय जिलों के समग्र विकास के तहत, लगभग 7 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत वाली कुल 567 परियोजनाओं की पहचान की गई है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान कार्यक्रम के तहत रेलवे, सड़क मार्ग, जलमार्ग और वायुमार्ग के विकास के माध्यम से एकीकृत दृष्टिकोण के साथ उत्पादकता और रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए समग्र अवसंरचना के विकास की परिकल्पना की है। गतिशक्ति योजना नए युग की तकनीक और अत्याधुनिक नवाचार का उपयोग करके विश्व स्तरीय उत्पादों के निर्माण के लिए भारत के कायाकल्प का आधार बन गई है।
प्रिमोर्ये क्षेत्र की सरकार के उपाध्यक्ष वालेरी प्रोकोपचुक; पावेल काल्मिचेक, द्विपक्षीय सहयोग विकास विभाग, आर्थिक विकास मंत्रालय, रूसी संघ; रुस्कॉन एलएलसी के सीईओ सर्गेई बेरेज़किन ने भी सत्र को संबोधित किया। पवन कपूर, रूस में भारत के राजदूत; एस.के. मेहता, अध्यक्ष, दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण; व्लादिमीर पनोव, आर्कटिक विकास के लिए रोसाटॉम के विशेष प्रतिनिधि; रूसी निर्यात केंद्र जेएससी के विदेशी नेटवर्क विकास निदेशक दिमित्री प्रोखोरेंको ने भी सत्र में भाग लिया। दोनों पक्षों ने बंदरगाहों में आधुनिक अवसंरचना और पोत परिवहन उद्योग के लिए कार्गो सुनिश्चित करने के तरीकों और उपायों पर भी चर्चा की। चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष, एस विश्वनाथन ने “भारतीय बंदरगाहों की क्षमता और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर के संचालन की संभावना” पर एक प्रस्तुति दी। व्लादिवोस्तोक वाणिज्यिक समुद्री बंदरगाह के वाणिज्यिक निदेशक एलेना कज़ारिना ने भी “फेस्को के गहरे समुद्री मार्गों का विकास और रूस और भारत के बीच परिवहन और लॉजिस्टिक्स संबंधों को आगे की दिशा देना” पर एक प्रस्तुति दी। एसोसिएशन ऑफ कमर्शियल सीपोर्ट्स के निदेशक मंडल के अध्यक्ष डेनिस इलातोव्स्की ने स्वागत भाषण के साथ-साथ समापन भाषण भी दिया।
उल्लेखनीय है कि सितंबर 2019 में व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति श्री पुतिन की उपस्थिति में व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के दो बंदरगाहों के बीच समुद्री संचार के विकास पर एक आशय पत्र का आदान-प्रदान किया गया था। अध्ययन में पाया गया कि ईएमसी का उपयोग करके दोनों देशों के बीच व्यापार के लिए कोकिंग कोयला सबसे उपयुक्त वस्तु है। आने वाले समय में, ईएमसी के माध्यम से परिवहन की जाने वाली वस्तुओं की सूची में तेल, एलएनजी, उर्वरक जैसी अन्य वस्तुओं को जोड़ा जाएगा।
अनुमान है कि पूर्वी समुद्री गलियारा (ईएमसी); सुदूर-पूर्व क्षेत्र के रूसी बंदरगाहों और भारतीय बंदरगाहों के बीच माल परिवहन की यात्रा-अवधि को 16 दिनों तक कम कर देगा, यानि, वर्तमान में भारत से यूरोप होकर सुदूर पूर्व रूस तक माल परिवहन के लिए लगने वाले 40 दिनों की तुलना में 24 दिन। भारत में मुंबई और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के बीच वर्तमान व्यापार मार्ग 8,675 समुद्री मील का है, जिसमें लगभग 35 से 40 दिन लगते हैं। चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री मार्ग (ईएमसी) लगभग 5,600 समुद्री मील की दूरी तय करेगा। एक बड़ा कंटेनर जहाज जो 20-25 नॉट (37-46 किमी/घंटा) की सामान्य क्रूज़िंग गति से यात्रा करता है, इस दूरी को लगभग 10 से 12 दिनों में तय करने में सक्षम होगा। इस गलियारे के माध्यम से व्यापार और सहयोग के नए अवसरों के खुलने की अपार संभावनाएं हैं।