नई दिल्ली। राष्ट्रव्यापी स्तर पर प्रशिक्षुता प्रशिक्षण में उद्योगों और युवाओं दोनों की भागीदारी बढ़ाने के लिए, केन्द्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) की शुरुआत की। श्री प्रधान ने एनएपीएस में डीबीटी के शुभारंभ के अवसर पर आज एक लाख प्रशिक्षुओं को लगभग 15 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना की 2016 में शुरुआत से लेकर 31 जुलाई 2023 तक कुल 25 लाख युवा प्रशिक्षु के रूप में लगे हुए हैं। वित्त वर्ष 23-24 में लगभग 2.6 लाख प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण पूरा कर लिया है।
सभी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के सक्रिय प्रयासों के कारण सक्रिय प्रतिष्ठानों की संख्या 2018-19 में 6,755 से बढ़कर 2023-24 में 40,655 हो गई।
इस पहल की सराहना करते हुए, श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि आज हमारे लिए देश में प्रशिक्षुता इकोसिस्टम को मजबूती प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण दिन है। राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना में डीबीटी का शुभारंभ हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रशिक्षुता आकांक्षी लक्ष्य की कल्पना को पूरा करने और एनईपी में कल्पना के अनुसार सीखने के साथ-साथ कमाई को भी प्रोत्साहित की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने उन सभी 1 लाख प्रशिक्षुओं को बधाई दी, जिन्हें आज डीबीटी के माध्यम से वजीफा मिला है।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में सचिव, श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि हमारे देश के युवाओं को कौशल के साथ सशक्त बनाना हमारी कल्पना के केन्द्र में है, और एनएपीएस के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की शुरूआत पारदर्शिता और दक्षता की दिशा में एक कदम है। एक कुशल कार्यबल सर्वोपरि है, और हमारी बहुआयामी रणनीति में नीति विकास, उद्योग तालमेल और बढ़ी हुई मान्यता शामिल है। भारत के समावेशिता और विविधता के मूल मूल्यों के अनुरूप, प्रशिक्षुता पर आज का चिंतन शिविर एक महत्वपूर्ण मिशन को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा, हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण करने के लिए साथ मिलकर आगे बढ़ते हैं जहां प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को उसकी सच्ची अभिव्यक्ति मिले।
धर्मेंद्र प्रधान ने महाराष्ट्र, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कुछ जीवंत उद्योग समूहों और उत्साही प्रशिक्षुओं के साथ बातचीत की। एनएपीएस की शुरुआत के बाद से प्रशिक्षुता प्रशिक्षण शुरू करने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या में 488 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। प्रशिक्षुता प्रशिक्षण को अपनाने में वृद्धि से हमारे देश के कार्यबल और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उनमें से कुछ थे महराट्टा चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्रीज एंड एग्रीकल्चर (एमसीसीआईए), हिमाचल प्रदेश का बद्दी क्लस्टर और नॉर्थ मालाबार कंसोर्टियम इंडस्ट्री क्लस्टर।
एमएसडीई ने सभी हितधारकों के बीच प्रशिक्षुता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए “प्रशिक्षुता कार्य बढ़ाना” विषय पर चिंतन शिविर का भी आयोजन किया। इस सत्र का मुख्य पहलू अन्य केंद्रीय और राज्य सरकारों, उद्योग निकायों और निजी क्षेत्र सहित विभिन्न संस्थाओं की भूमिका और जिम्मेदारी को बढ़ाना है।
चिंतन शिविर को क्रमशः तीन सत्रों में विभाजित किया गया था। इनमें प्रशिक्षुता को आकांक्षी बनाने के लिए हितधारक मेलजोल, गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षुता को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियाँ और अभ्यास, और एक विविध और समावेशी प्रशिक्षुता इकोसिस्टम बनाना शामिल है।
इन सत्रों की सह-अध्यक्षता एमएसडीई की संयुक्त सचिव, अपर सचिव, एमएसडीई श्रीमती सोनल मिश्रा और एमओई एमएसडीई में संयुक्त सचिव श्रीमती सौम्या गुप्ता; त्रिशालजीत सेठी, अपर सचिव, महानिदेशक, डीजीटी, एमएसडीई, सीईओ, एनएसडीसी और एमडी, एनएसडीसी इंटरनेशनल श्री वेद मणि तिवारी; श्री नीलांबुज शरण, वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार, एमएसडीई और श्रीमती हीना उस्मान, संयुक्त सचिव, एमएसडीई ने की।