नई दिल्ली : तीनों सेनाओं के संयुक्त दल के हिस्से के रूप में भारतीय नौसेना का मार्चिंग दस्ता आगामी 14 जुलाई को पेरिस में आयोजित होने वाली बैस्टिल डे परेड में भाग लेने के लिए फ्रांस पहुंच गया है। इस परेड में नौसेना की टुकड़ी के चार अधिकारी तथा 64 नाविक शामिल होंगे और कमांडर व्रत बघेल नौसैनिक दल का नेतृत्व करेंगे। नौसैन्य अधिकारी बघेल गोलाबारी एवं मिसाइल वारफेयर के विशेषज्ञ हैं और वे अभ्यास वरुण के दौरान फ्रांसीसी जहाज बीसीआर वार पर रवाना हुए थे। कमांडर व्रत बघेल के कनिष्ठ नौसैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृत (जिन्होंने आरडी परेड 2023 में भारतीय नौसेनिक दल का नेतृत्व किया), लेफ्टिनेंट कमांडर रजत त्रिपाठी और लेफ्टिनेंट कमांडर जितिन ललिता धर्मराज उनका सहयोग करेंगे।
इस उत्सव का जश्न मनाने के लिए भारतीय नौसेना की गतिविधियों का संचालन प्रथम पंक्ति के स्वदेश निर्मित विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस चेन्नई द्वारा किया जा रहा है, जिसे 12 से 16 जुलाई 2023 तक फ्रांस में तैनात किया जाएगा। इस जहाज का चालक दल फ्रांस के ब्रेस्ट में बैस्टिल डे परेड के समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा।
भारतीय नौसेना अपने युद्धपोतों, पनडुब्बियों और विमानों के शक्तिशाली बेड़े के साथ दुनिया की सबसे विशाल नौसेनाओं में से एक है। इसका आदर्श वाक्य संस्कृत में ‘शं नो वरुणः’ (जिसका अर्थ है कि महासागरों के देवता हमारा कल्याण करें) ऋग्वेद से लिया गया है और यह 1500 ईसा पूर्व का है। भारतीय नौसेना एक ‘लड़ाकू तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के खतरों से निपटने में सक्षम प्रतिरोधी बल’ है, जिसे अत्यधिक कुशल एवं पेशेवर कार्यबल द्वारा संचालित किया जाता है।
भारत की युद्धपोत निर्माण क्षमता ने भारतीय नौसेना के विकास और तेजी से आधुनिकीकरण में बहुत बड़ा योगदान दिया है। देश के शिपयार्ड आज सभी प्रकार के जहाजों का निर्माण कर रहे हैं और यह बड़े गर्व की बात है कि भारत चुनिंदा एवं विशिष्ट देशों के एक बहुत छोटे समूह में शामिल है, जिन्होंने अपने स्वयं के विमान वाहक पोत, विध्वंसक जहाज, छोटी नौकाओं और परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण व संचालन किया है। आईएनएस चेन्नई स्वदेशी प्रौद्योगिकी की अत्याधुनिकता का प्रतीक है।
इस वर्ष भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हुए हैं। दोनों देशों के बीच समुद्री क्षेत्र में गहरे संबंध हैं जो उनकी नौसेनाओं तक भी विस्तारित हुए हैं। मैसर्स मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा फ्रांस के मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से प्रोजेक्ट 75 के तहत स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण ने न केवल नौसेना की क्षमता को बढ़ाया है, बल्कि भविष्य की कई परियोजनाओं के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया है।
दोनों नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय अभ्यास (वरुण) नौसैन्य शक्ति के सभी क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक जटिल अभ्यास श्रृंखला में परिपक्व हो गया है। यह भारत-फ्रांस रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार को दर्शाता है। इस अभ्यास को साल 1993 में शुरू किया गया था और वर्ष 2001 में इसे ‘वरुण’ नाम दिया गया। अभ्यास वरुण का 21वां संस्करण 23 जनवरी को अरब सागर में आयोजित किया गया था।