– मोदी सरनेम संबंधित मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने सम्बन्धी याचिका खारिज
नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मोदी सरनेम संबंधित मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है . कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट का राहुल गांधी को दोषी ठहराने का आदेश कानून सम्मत है। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं।
गुजरात हाई कोर्ट के इस निर्णय के बाद इस बात की आशंका प्रबल हो चली है कि आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी मैदान में नहीं उतर पाएंगे। हालांकि अभी उनके पास इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अधिकार है लेकिन अगर उनकी यह सजा बरकरार रही तो उनके राजनीतिक भविष्य पर बड़ा सवालिया निशान लग सकता है।
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने अभी तक इस निर्णय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन यह तय माना जा रहा है कि राहुल गांधी पुनर्विचार याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर जा सकते हैं।
इससे पूर्व राहुल गांधी की याचिका पर हाईकोर्ट ने पहली सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया था और कहा था कि समकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे। उनकी याचिका पर आज हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक हमला बोलते हुए उनके सरनेम को लेकर कटाक्ष किया था. उन्होंने कहा था कि देश में सभी बड़े घोटाले करने वाले आखिर मोदी सरनेम के क्यों है ?
राहुल गांधी के इस बयान को लेकर गुजरात की भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने 2019 में ही उनके खिलाफ मानहानि का एक मुकदमा सूरत की मेट्रो पोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में दायर किया था। हालांकि पहले याचिकाकर्ता ने इस मामले की सुनवाई पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था बाद में त्वरित सुनवाई के लिए उन्होंने गुहार लगाई थी।
भाजपा विधायक की याचिका पर सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया था और राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा मुकर्रर की थी। इसके बाद 24 मार्च को राहुल गांधी की सदस्यता लोकसभा सचिवालय ने यह कहते हुए रद्द कर दी थी कि उन्हें सजा मुकर्रर की गई है। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी ने इस मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया था। लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द करने का नोटिफिकेशन जारी करते हुये उनसे बंगला भी खाली करा लिया था.