कोविड महामारी में दुनिया ने ‘पुलिस’ के एक मानवीय चेहरे का अनुभव किया : अमित शाह

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नई दिल्ली :  केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में 90वीं इंटरपोल महासभा के समापन सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर इंटरपोल के अध्यक्ष और सीबीआई के निदेशक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज 21 अक्टूबर का यह दिन भारतीय पुलिस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और भारत इस तिथि को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाता है। उन्होंने कहा कि भारत की एकता और लोकतंत्र की रक्षा में 35 हजार पुलिसकर्मियों ने अपना सर्वोच्‍च बलिदान दिया है और हम भारतीय इस दिन इन अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड की महामारी के बाद इंटरपोल की इस महासभा का आयोजन अपने आप में महत्वपूर्ण है। कोविड महामारी में दुनिया ने ‘पुलिस’ के एक मानवीय चेहरे का अनुभव किया है और मानवीय चेहरे को देखकर पुलिस के लिए पूरी दुनिया ने अपनी सोच को बदला है।

श्री शाह ने कहा कि पिछले 100 सालों में, इंटरपोल विश्व के 195 देशों का एक व्यापक और प्रभावी मंच बन गया है, जो पूरे विश्व में अपराधों पर नकेल कसने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। श्री शाह ने कहा कि भारत इंटरपोल के सबसे पुराने सदस्यों में से एक है 1949 से भारत इंटरपोल के साथ जुड़ा हुआ है। आज के विश्व में इंटरपोल जैसा मंच कोऑपरेशन और मल्टीलेटरिज़्म के लिए बेहद ज़रूरी और महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार, गृह मंत्रालय तथा विभिन्न भारतीय पुलिस बल सार्वजनिक सुरक्षा, विश्व शांति और स्थिरता के लिए, इंटरपोल के सार्थक प्रयासों और योगदान की सराहना करते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। शायद सबसे पहले क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर चिंतन और चिंता, दोनों भारत में शुरू हुए हैं। जब कभी भी राज्‍य की संकल्‍पना की गई होगी, तब पुलिस व्‍यवस्‍था शायद राज्‍य के सबसे पहले महत्‍वपूर्ण कार्यों के रूप में सामने आयी होगी और नागरिकों की सुरक्षा किसी भी राज्य की सबसे प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय विचारधारा में न्यायशास्त्र और दण्डनीति पर गहरा चिंतन उपलब्ध है। हजारों वर्ष पूर्व रामायण में और विदुर, शुक्राचार्य, चाणक्य, थिरुकुरल आदि ने अपने विचारों में “एमीकेबल जस्टिस एंड ड्यू पनिशमेंट” के सिद्धांत को स्वीकार किया है। श्री शाह ने कहा कि महाभारत के शान्तिपर्व में अध्याय 15 का एक श्लोक है, जिसका अर्थ है –

“अपराधियों को नियंत्रण में रखने के लिए न्याय की व्यवस्था हर प्रभावी एवं सफल शासकीय तंत्र का महत्वपूर्ण अंग होती है। न्याय ही है, जो समाज में सुशासन सुनिश्चित करता है। न्याय अगर रात्रि के समय जगता है, तभी नागरिक और समाज निर्भीक रहते हैं, और एक अच्छे समाज का निर्माण होता है।“

श्री शाह ने कहा कि पिछले 8 सालों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए निरंतर आवश्यक कदम उठा रही है कि हमारे पुलिस बल किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहें। उन्होंने बताया कि भविष्य की चुनौतियों के समाधान के लिए भारत सरकार ने हाल ही में कई नए कदम उठाए हैं, जैसे कि, भारत सरकार ने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्‍थापना की है। I.C.J.S. के रूप में क्रिमिनल जस्टिस के मुख्य स्तंभों, अर्थात ई-कोर्ट, ई-प्रिजन, ई-फॉरेंसिक तथा ई-प्रॉसिक्यूशन को ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम’ (CCTNS) के साथ जोड़ा जा रहा है। भारत सरकार ने यह भी तय किया है कि आतंकवाद, नारकोटिक्स और आर्थिक अपराध जैसे अपराधों पर राष्‍ट्रीय डेटाबेस विकसित किया जाए। साइबर अपराध के विरुद्ध व्यापक जवाबी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने इंडियन साइबर-क्राइम कोआर्डिनेशन सेण्टर (I-4C) की स्थापना की है।

​गृह मंत्री ने कहा कि आज के डाटा और सूचना क्रांति के समय में, अपराध और अपराधी दोनों का स्वरुप बदल गया है। वर्तमान समय में अपराध की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है, अगर ऐसे अपराधों और अपराधियों को रोकना है, तो हम सभी को कन्वेंशनल जियो-ग्राफिक बॉर्डर से ऊपर उठकर सोचना और कार्य करना होगा। श्री शाह ने कहा कि ‘अपराधी सिंडिकेट’ आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सांठ-गांठ कर रहे है, इसे देखते हुए ऐसा कोई कारण नहीं है कि दुनिया के देश एक-दूसरे के साथ सहयोग और समन्वय ना करें। उन्होंने कहा कि हमारी पुलिस और लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों के सामने राज्य की संप्रभुता के दायरे में कानून को लागू करने और अपराध के ग्लोबल नेचर को समझकर, अपराधियों का पता लगाकर, न्याय की चिंता करने की दोहरी चुनौती है। श्री शाह ने कहा कि इन चुनौतियों के बीच सुरक्षा एजेंसियों का काम आसान करने में इंटरपोल की भूमिका महत्त्वपूर्ण है जो भविष्य में और भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने इस दिशा में कुछ मुद्दों पर महासभा का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आतंकवाद आज एक वैश्विक समस्या है और यह अत्यंत प्रासंगिक है कि 2020-25 के लिए इंटरपोल के सात वैश्विक पुलिसिंग लक्ष्यों में पहला और सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य “टेररिज्म के खतरे का मुकाबला करना” है। उन्होंने कहा कि,“टेररिज्म मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है” और ‘क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म’ से लड़ने के लिए ‘अक्रॉस-बॉर्डर कोऑपरेशन’ अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, इसके बिना हम क्रॉस-बॉर्डर टेररिज़्म से नहीं लड़ सकते। उन्होने कहा कि इसके लिए इंटरपोल एक सर्वोत्तम प्लेटफार्म है। श्री शाह ने इस बात पर बल दिया कि सबसे पहले सभी देशों को ‘टेररिज्म’ और ‘टेररिस्ट’ की व्याख्या पर सहमति बनानी होगी। अगर ‘टेररिज्म’ और ‘टेररिस्ट’ की व्याख्या पर आम सहमति नहीं बनती है तो हम एकरूप होकर इसके सामने वैश्विक लड़ाई नहीं लड़ सकते।

​गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ एक साथ लड़ने की प्रतिबद्धता और ‘गुड टेररिज्म, बैड टेररिज्म’ तथा ‘टेररिस्ट हमला – बड़ा या छोटा’ जैसा नेरेटिव… दोनों एक साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन द्वारा सीमापार से फैलाई जा रही आतंकवादी विचारधारा की चुनौती पर भी आम सहमति बनाना आवश्यक है। उन्होने कहा कि हम इसे पॉलिटिकल आइडियोलॉजी के रूप में नहीं देख सकते हैं। ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन के प्रचार-प्रसार को अगर हम राजनीतिक समस्या मानते हैं तो टेररिज़्म के खिलाफ हमारी लड़ाई आधी-अधूरी रहेगी। हम सभी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हों कि आतंकवाद के विरूद्ध प्रभावी लड़ाई दीर्घकालिक,व्यापक और सतत होनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि भारत, वैश्विक आंतकवाद के सभी रूपों से लड़ने तथा तकनीकी सहायता और मानव संसाधन प्रदान करने के लिए इंटरपोल के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

श्री शाह ने कहा कि यह देखा गया है कि कई देशों में इंटरपोल की नोडल एजेंसी और देश की काउंटर-टेरर एजेंसी अलग-अलग हैं, ऐसी स्थिति में टेररिज्म की चुनौती से निपटने के लिए दुनिया की सभी काउंटर-टेररिज्म एजेंसियों का एक साथ आना मुश्किल लगता है। उन्होंने इंटरपोल से अनुरोध किया कि सभी सदस्य देशों की काउंटर-टेररिज्म एजेंसियों के बीच‘रियल-टाइम इनफार्मेशन एक्सचेंज लाइन’ स्थापित करने के बारे में एक स्थाई तंत्र का विचार करना चाहिए। उन्होने कहा कि ये तंत्र आने वाले दिनों में टेररिज़्म के खिलाफ हमारी लड़ाई को और पुख्ता करेगा।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के 75वें साल के मौके पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘नशा मुक्त भारत’ लक्ष्य भारत के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि नारकोटिक्स के वैश्विक व्यापार के उभरते ट्रेंड्स और नार्को-टेरर जैसी चुनौतियों को देखते हुए,सभी राष्ट्रों के बीच इनफार्मेशन और इंटेलिजेंस का आदान-प्रदान करने के लिए प्लेटफॉर्म, इंटेलिजेंस-आधारित संयुक्त अभियान, क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सहयोग, पारस्परिक कानूनी सहायता और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने का प्रभावी तंत्र जैसे क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है। श्री शाह ने कहा कि भारत के नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो ने नारकोटिक्स की जब्ती, उन्हें नष्ट करने, और केस को नतीजे तक पहुँचाने में बहुत अच्छी सफलता हासिल की है। उन्होंने इंटरपोल के ‘ऑपरेशन लायन-फिश’ और भारत के ‘ऑपरेशन गरुड़’ का जिक्र करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन लायन-फिश’ में भारत में सबसे बड़ी जब्ती करके एक बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य देशों की एंटी-नारकोटिक्स एजेंसियों के बीच रियल टाइम इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज नेटवर्क तथा एक विस्तृत नार्को डेटाबेस स्थापित करने में इंटरपोल को ज़्यादा काम करने की जरूरत है।

श्री शाह ने कहा कि इंटरपोल अपने शताब्दी वर्ष का उत्सव शुरू करने जा रहा है और उन्हें इसका साक्षी बनने का अवसर मिला है। गृह मंत्री ने कहा कि गत 4 दिनों में दिल्ली में महासभा के प्रतिभागियों ने ‘ग्लोबल क्राइम ट्रेंड रिपोर्ट 2022’ और ‘इंटरपोल विज़न 2030’ पर व्‍यापक चर्चा की। साथ में चुस्त पुलिसिंग, मेटावर्स और साइबर थ्रेट लैंडस्केप में हो रहे बदलाव पर भी चर्चा की गई है। इसके आलावा, इंटरपोल के आई-फैमिलिया (I-Familia) और अंतर्राष्ट्रीय बाल यौन शोषण डेटाबेस के उपयोग को बढ़ाने के लिए दो प्रमुख प्रस्तावों को भी पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि जब 1923 में इंटरपोल की स्थापना हुई थी, उस समय की क्राइम और पुलिसिंग की चुनौतियों तथा आज के विधि और तरीकों में बहुत परिवर्तन आया है और आने वाले दशकों में इसमें और भी बदलाव आयेगा। श्री शाह ने कहा कि क्राइम की मनोवृत्ति कभी नहीं बदलती है, लेकिन साधन बदल रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्री ने सुझाव दिया कि इंटरपोल पिछले 100 साल के अपने अनुभव और उपलब्धियों के आधार पर अगले 50 साल के लिए ‘भावी योजना’ तैयार करे। उन्होंने कहा कि इंटरपोल अपने तत्त्वाधान में एक स्टडी ग्रुप का गठन भी कर सकता है, जिसके द्वारा अगले 25 और 50 साल की चुनौतियों और उनके समाधान विस्‍तृत अनुसंधान किया जा सकता है।‘वर्ल्ड पुलिसिंग 2048 और 2073’ के नाम से रिपोर्ट अगर बनाई जाए तो पूरी दुनिया की पुलिसिंग को आने वाले 50 सालों के लिए इससे बहुत फायदा होगा। प्रत्‍येक 5 सालों के बाद इस योजना की समीक्षा की जानी भी प्रासंगिक होगा। श्री शाह ने विश्वास व्यक्ति किया कि यह अनुसंधान, सदस्य देशों की लॉ एनफोर्समेंट एजेंसीज के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने इंटरपोल के फ्लैग को ऑस्ट्रिया को सुपुर्द करते हुए विएना महासभा के आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।

गृह मंत्री ने भारत की तरफ से अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों, जैसे नार्को-टेरर, ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन, आर्गनाइज्ड सिंडिकेट और मनी लॉंड्रिंग से निपटने के लिए सहयोगी की भूमिका में इंटरपोल के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में, भारत एक डेडिकेटेड सेंटर या कन्वेंशन स्थापित करने और दुनिया भर की काउंटर-टेररिज्म और एंटी-नारकोटिक्स एजेंसियों के लिए समर्पित संचार नेटवर्क शुरू करने की दिशा में इंटरपोल की सहायता के लिए कटिबद्ध है। श्री अमित शाह ने महासभा के सफल आयोजन के लिए इंटरपोल और C.B.I की सराहना की।

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