चंडीगढ़, 2 सितंबर : हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण(रेरा), गुरुग्राम ने गुरुग्राम में रियल एस्टेट एजेंटों द्वारा मनमर्जी से लिए जा रहे ब्रोकरेज के संबंध में रोजाना बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर एस्टेट एजेंटों को ब्रोकरेज लेने के अपने तरीकों में सुधार करने की चेतावनी दी है।
रेरा गुरुग्राम के अध्यक्ष डॉ. के.के. खंडेलवाल की अध्यक्षता में प्राधिकरण की हुई बैठक में रियल एस्टेट एजेंटों द्वारा खरीदारों एवं विक्रेताओं से निर्धारित ब्रोकरेज से अधिक ब्रोकरेज लेने की समस्या का समाधान करने के लिए ऐसे एजेंटों को ब्लैकलिस्ट करने पर विचार कर रहा है जो मनमाने ढंग से ब्रोकरेज चार्ज कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने 1 सितंबर, 2022 को हुई बैठक में यह निर्णय पारित किया कि प्रमोटर्स द्वारा इकाइयों का आबंटन करते समय आवंटियों से आधे प्रतिशत से अधिक की ब्रोकरेज नहीं ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय हरियाणा रेगुलेशन ऑफ प्रॉपर्टी डीलर्स एंड कंसल्टेंट्स रूल्स, 2009 के प्रावधानों को मद्देनजर रखते हुए लिया गया है क्योंकि इन नियमों में खरीदारों और विक्रेताओं, दोनों से केवल आधा-आधा प्रतिशत कमीशन वसूलने का प्रावधान है।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि रेरा अधिनियम के अनुसार मनमानी ब्रोकरेज लेना एक अपराध है, लेकिन एजेंटों या दलालों द्वारा रेरा अधिनियम की अवहेलना करते हुए ऐसे करना जारी रखा गया है जो कि दंडनीय है। उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन करते हुए अत्यधिक कमीशन लेने का अपराध करने वाले एजेंटों या दलालों को ब्लैकलिस्ट और डिबार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने मनमाने ढंग से उच्च ब्रोकरेज वसूलने के नाम पर आवंटियों का शोषण करने के लिए रियल एस्टेट एजेंटों और दलालों द्वारा अपनाए गए इस तरह के कार्य पर कड़ी कारवाई करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि मनमानी ब्रोकरेज को खारिज करते हुए प्राधिकरण ने सभी 1840 पंजीकृत रियल एस्टेट एजेंटों को निर्दोष विक्रेताओं और संपत्ति खरीदारों से मनमानी ब्रोकरेज लेने बारे चेतावनी जारी की है।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि प्राधिकरण को कई शिकायतें मिली, जिनमें पाया गया कि रियल एस्टेट एजेंट विक्रेताओं और खरीदारों से स्पष्ट रूप से आधे प्रतिशत से अधिक ब्रोकरेज वसूल रहे हैं जो हरियाणा रेगुलेशन ऑफ प्रॉपर्टी डीलर्स एंड कंसल्टेंट्स रूल्स, 2009 के नियम-1 के वैधानिक प्रावधानों की स्पष्ट अवहेलना है। नियम में सौदे को अंतिम रूप देने पर विक्रेताओं और खरीदारों द्वारा सहमत प्रतिफल मूल्य के आधे प्रतिशत के कमीशन का प्रावधान है।
प्राधिकरण के ध्यान में यह भी आया है कि कुछ रियल एस्टेट एजेंट उन परियोजनाओं में भूखंडों या अपार्टमेंट की बिक्री में भी शामिल हैं जो प्राधिकरण के साथ पंजीकृत नहीं हैं अन्यथा पंजीकरण योग्य हैं। इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण के समक्ष गुरुग्राम में रियल एस्टेट एजेंटों के ऐसे मामले भी आए हैं जहां आशय पत्र जारी करने के बाद भी ब्रोकर्स और प्रमोटर एक समझौता कर लेते हैं और कई इकाइयों को ब्लॉक कर देते हैं जिन्हें ऐसे समय में ब्रोकर्स को आवंटितियों के साथ बाजार में सौदे करने के लिए सौंपे जाते हैं जबकि परियोजना पंजीकृत भी नहीं होती।
डॉ. खण्डेलवाल ने कहा कि इसके कारण बड़ी संख्या में आवंटियों को ब्रोकर्स द्वारा धोखा दिया जाता है क्योंकि पंजीकरण से पहले न तो स्वीकृत योजनाएं उपलब्ध होती हैं और न ही परियोजना के विनिर्देशों के बारे में खरीदारों को पता होता है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण द्वारा पाया गया कि केवल अनुमानों पर ही ऐसे सौदे किए जाते हैं और बाद में जब वादा की गई सुविधाएं और सेवाएं नहीं मिलती हैं तो आवंटी मझधार में ही रह जाते हैं। प्राधिकरण ने प्रमोटर के साथ-साथ रियल एस्टेट एजेंट, दोनों द्वारा अपनाई जा रही इस तरह की कुप्रथा को अनुचित घोषित किया है और ऐसे मामलों में दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
प्राधिकरण के ध्यान में यह भी आया है कि ऐसी परियोजनाओं में ब्रोकर्स ऐसा झूठा प्रचार भी करते हैं कि सेवाएं एक विशेष मानक या ग्रेड की हैं और यह भी गलत बयानी की जाती है कि प्रमोटर के पास ऐसी इकाइयों की बिक्री के लिए सभी आवश्यक अनुमोदन हैं।
रेरा अध्यक्ष ने कहा कि प्राधिकरण के नोटिस में यह भी आया है कि प्रोमटर्स ने खरीदारों को उन परियोजनाओं में संपत्ति खरीदने हेतु लुभाने के लिए ईमेल भेजे जो पंजीकृत भी नहीं हैं, जबकि रियल एस्टेट एजेंटों को वैध दस्तावेजों के साथ परियोजना से संबंधित सभी जानकारी देने की आवश्यकता होती है ताकि बुकिंग या सौदे के समापन के समय किसी भी प्लॉट या अपार्टमेंट के बारे में आवंटी को अच्छी तरह से जानकारी हो और वह यह निर्णय ले सके कि किसी प्रोजेक्ट में निवेश करे या नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे ब्रोकर्स का पंजीकरण रद्द और उन्हें ब्लैकलिस्ट किये जाने की संभावना है।