नई दिल्ली। देश में एक बार फिर बैंक से कर्ज लेना महंगा होगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने रेपो दर को 50 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत करने का ऐलान किया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज इस बात की संभावना जताई कि मुद्रास्फीति इस वित्तीय वर्ष की तीन तिमाहियों के लिए अपर टोलरेंस लेवल से ऊपर रह सकता है। रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया है. आरबीआई के इस फैसले के बाद सरकारी से लेकर निजी बैंक और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियां होम लोन ( Home Loan) के ब्याज दरों ( Interest Rate) में बढ़ोतरी करेंगी जिसके बाद आपकी ईएमआई ( EMI) महंगी हो जाएगी. श्री दास तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के समापन के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
गत मई माह के आरम्भ में भी आरबीआई ने ऑफ-साइकिल बैठक में अर्थव्यवस्था में बढ़ती मुद्रास्फीति की चिंताओं के बीच रेपो रेट को 40 बेसिस पॉइंट से बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया था। उल्लेखनीय है कि रेपो रेट वह रेट है जिस पर रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है। इस बार रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है जिसके बाद ईएमआई और ज्यादा महंगी होगी.
उसी ऑफ-साइकिल बैठक में ही केस रिजर्व रेशियो को 50 बेसिस अंकों से बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत कर दिया गया था। रेपो रेट ( Repo Rate) बढ़ाने के फैसले के बाद हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों से लेकर बैंक कर्ज महंगा करेंगी. और महंगे कर्ज ( Costly Loan) का सबसे बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा उन लोगों को जिन्होंने हाल के दिनों में बैंक या हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों ( Housing Finance Loan) से होम लोन ( Home Loan) लेकर अपना आशियाना खरीदा है.
गौरतलब है कि भारत की खुदरा मंहगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई जो लगातार चौथे महीने केंद्रीय बैंक आरबीआई की सहनशीलता सीमा से ऊपर रही। इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि खुदरा मंहगाई दर अगले कुछ महीनों तक 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रहेगी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने आज कहा कि भारत की खुदरा मंहगाई वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही तक 6 प्रतिशत से नीचे रहने से पहले सहनशीलता सीमा से ऊपर रहने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2023 के लिए, आरबीआई ने सामान्य मानसून और औसत कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल को ध्यान में रखते हुए, पहली तिमाही में 7.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत के साथ समग्र मुद्रास्फीति को देखा।
विशेष रूप से, देश में थोक मुद्रास्फीति पिछले एक साल से अधिक समय से दोहरे अंकों में है।