प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों और ‘ऑपरेशन विजय’ से जुड़े सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को सम्मानित किया
“गोवा के लोगों ने मुक्ति और स्वराज के आंदोलनों को थमने नहीं दिया; उन्होंने भारतीय इतिहास में सबसे लंबे समय तक आजादी की लौ को जलाए रखा”
“भारत एक ऐसा भाव है, जहाँ राष्ट्र ‘स्व’ से ऊपर होता है, सर्वोपरि होता है, जहां एक ही मंत्र होता है- राष्ट्र प्रथम; जहाँ एक ही संकल्प होता है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत”
“अगर सरदार पटेल कुछ और वर्ष जीवित रहते, तो गोवा को अपनी मुक्ति के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता”
“राज्य की नई पहचान शासन के हर क्षेत्र में अग्रणी रहने से जुड़ी है; बाकी जगह जब काम की शुरुआत होती है, या काम आगे बढ़ता है, गोवा उसे तब तक पूरा कर लेता है”
प्रधानमंत्री ने पोप फ्रांसिस से मुलाकात तथा भारत की विविधता एवं जीवंत लोकतंत्र के प्रति उनके स्नेह को याद किया
“देश ने मनोहर पर्रिकर में गोवा के चरित्र की ईमानदारी, प्रतिभा और परिश्रम का प्रतिबिंब देखा था”
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोवा में आयोजित गोवा मुक्ति दिवस समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने समारोह में स्वतंत्रता सेनानियों और ‘ऑपरेशन विजय’ से जुड़े सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को सम्मानित किया। उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया, जिनमें प्रमुख हैं – पुनर्निर्मित फोर्ट अगुआड़ा जेल संग्रहालय, गोवा मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक, न्यू साउथ गोवा जिला अस्पताल, मोपा हवाई अड्डे पर विमानन कौशल विकास केंद्र और डाबोलिम-नावेलिम, मडगांव में गैस इंसुलेटेड सबस्टेशन आदि। उन्होंने गोवा में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट के इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च की आधारशिला भी रखी।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि गोवा की धरती को, गोवा की हवा को, गोवा के समंदर को, प्रकृति का अद्भुत वरदान मिला हुआ है और आज सभी का, गोवा के लोगों का ये जोश, गोवा की हवाओं में मुक्ति के गौरव को और बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे आज़ाद मैदान में शहीद मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने का सौभाग्य भी मिला। शहीदों को नमन करने के बाद मैं मीरामर में सेल परेड और फ़्लाइ पास्ट का साक्षी भी बना। उन्होंने यहां आकर ऑपरेशन विजय के वीरों को, सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को देश की ओर से सम्मानित करने का अवसर मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने गोवा द्वारा आज एक साथ इतने अवसर, अभिभूत करने वाले इतने अनुभव प्रदान करने के लिए वाइब्रेंट गोवा की भावना को धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गोवा एक ऐसे समय पुर्तगालियों के अधीन हुआ था जब देश के दूसरे बड़े भूभाग भाग में मुगलों की सल्तनत थी। उसके बाद कितने ही सियासी तूफान इस देश ने देखे। श्री मोदी ने कहा कि समय और सत्ताओं की उठापटक के बीच सदियों की दूरी के बाद भी न तो गोवा अपनी भारतीयता को भूला और न ही भारत अपने गोवा को भूला। ये एक ऐसा रिश्ता है जो समय के साथ और सशक्त ही हुआ है। गोवा के लोगों ने मुक्ति और स्वराज के आंदोलनों को थमने नहीं दिया। उन्होंने भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक आजादी की लौ को जलाए रखा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत सिर्फ एक राजनीतिक सत्ता भर नहीं है। भारत मानवता के हितों की रक्षा करने वाला एक विचार है, एक परिवार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसा भाव है जहां राष्ट्र ‘स्व’ से ऊपर होता है, सर्वोपरि होता है। जहां एक ही मंत्र होता है- राष्ट्र प्रथम। जहां एक ही संकल्प होता है – एक भारत, श्रेष्ठ भारत।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर के लोगों के दिल में एक छटपटाहट थी क्योंकि उस समय देश का एक हिस्सा तब भी पराधीन था और कुछ देशवासियों को तब भी आजादी नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि अगर सरदार पटेल कुछ वर्ष और जीवित रहते, तो गोवा को अपनी मुक्ति के लिए इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता। प्रधानमंत्री ने संघर्ष के नायकों को नमन किया। गोवा मुक्ति विमोचन समिति के सत्याग्रह में 31 सत्याग्रहियों को अपने प्राण गंवाने पड़े थे। उन्होंने सभी से इन बलिदानों और पंजाब के वीर करनैल सिंह बेनीपाल जैसे वीरों के बारे में सोचने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “गोवा के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास न केवल भारत के संकल्प का प्रतीक है, बल्कि भारत की एकता और अखंडता का एक जीवंत दस्तावेज है।”
उन्होंने कुछ समय पहले इटली एवं वैटिकन सिटी की अपनी यात्रा और पोप फ्रांसिस से हुई मुलाकात को याद किया। भारत के प्रति पोप का भाव भी उतना ही अभिभूत करने वाला था। प्रधानमंत्री ने पोप को भारत आने के लिए अपने निमंत्रण की भी चर्चा की। श्री मोदी ने अपने निमंत्रण पर पोप फ्रांसिस की प्रतिक्रिया को याद किया। पोप फ्रांसिस कहा था, “यह सबसे बड़ा उपहार है, जो आपने मुझे दिया है।” प्रधानमंत्री ने इसे भारत की विविधता, हमारे जीवंत लोकतंत्र के प्रति पोप के स्नेह के रूप में रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने सेंट क्वीन केतेवन के पवित्र अवशेषों को जॉर्जिया सरकार को सौंपे जाने के बारे में भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने सुशासन में गोवा की शानदार प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि गोवा की प्राकृतिक सुंदरता हमेशा से ही उसकी पहचान रही है। लेकिन अब यहां जो सरकार है, वह गोवा की एक और पहचान को सशक्त कर रही है। इस राज्य की यह नई पहचान है- हर काम में अव्वल रहने वाले, टॉप करने वाले राज्य की। बाकी जगह जब काम की शुरुआत होती है, या काम आगे बढ़ता है, गोवा उसे तब तक पूरा कर लेता है। प्रधानमंत्री ने इस राज्य को खुले में शौच मुक्त बनाने, टीकाकरण, ‘हर घर जल’ , जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण और लोगों की जिंदगी को और भी अधिक आसान बनाने के लिए शुरू की गई अन्य योजनाओं की शानदार प्रगति में गोवा का उदाहरण दिया। उन्होंने ‘स्वयंपूर्ण गोवा अभियान’ के प्रदर्शन की प्रशंसा की। उन्होंने राज्य के शासन में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री और उनकी टीम को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने इस राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए विभिन्न ठोस कदमों के बारे में भी बताया। उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के सफल आयोजन के लिए इस राज्य की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने दिवंगत मनोहर पर्रिकर को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘गोवा की इन उपलब्धियों को, इस नई पहचान को जब मैं मजबूत होते देखता हूं तो मुझे मेरे अभिन्न साथी मनोहर पर्रिकर जी की भी याद आती है। उन्होंने न केवल गोवा को विकास की नई ऊंचाई तक पहुंचाया, बल्कि गोवा की क्षमता का भी विस्तार किया। आखिरी सांस तक कोई कैसे अपने राज्य, अपने लोगों के लिए लगा रह सकता है, उनके जीवन में हमने ये साक्षात देखा था। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन यह कहते हुए किया कि गोवा के लोग कितने ईमानदार होते हैं, कितने प्रतिभावान और मेहनती होते हैं, देश गोवा के चरित्र को मनोहर जी के भीतर देखता था।