भारत-जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगोष्ठी में बड़े मिशन की आवश्यकता पर बल

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नई दिल्ली :   भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर के विजय राघवन ने भारत-जापान वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी संगोष्ठी में पूरी धरती और क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए दोनों देशों के बीच बड़े मिशनों का आगाज करने के लिए भारत और जापान के बीच छात्रों के आदान-प्रदान और व्यक्तिगत सहयोग का आधार तैयार करने पर प्रकाश डाला।

नोबेल पुरस्कार विजेता एस एंड टी संगोष्ठी श्रृंखला-भारत-जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी नामक संगोष्ठी में मुख्य भाषण देते हुए प्रोफेसर के विजय राघवन ने बताया, ’’डेटा हैंडलिंग, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ध्यान केंद्रित करते हुए उभरती वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है और इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। साथ ही, भारत और जापान के बीच पहले से जारी सहयोग को आगे और मजबूत करने की आवश्यकता है।

भारत-जापान राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ और भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ – आजादी का अमृत महोत्सव को यादगार बनाने के लिए भारत सरकार के स्वायत्त संस्थान श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और इंडियन जेएसपीएस अलुमनाई एसोसिएशन (आईजेएए) द्वारा हाइब्रिड मोड में संयुक्त रूप से दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ 6 दिसंबर को हुआ और यह भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग एवं जेएसटी- जापान के सहयोग से जापान सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ साइंस (जेएसपीएस) और जापान स्थित भारतीय दूतावास, जापान द्वारा प्रायोजित था।

जापान के टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास में भारत के राजदूत श्री संजय कुमार वर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ जुड़ाव से भारत-जापान द्विपक्षीय साझेदारी को और बढ़ाने में मदद मिल सकती है। भारत और जापान विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी सहित कूटनीति के विभिन्न पहलुओं में पूरी तरह से संलग्न हैं और यह आयोजन करीब 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों का उत्सव मनाने का अवसर प्रस्तुत करता है, जो वर्ष 1952 में शुरू हुआ था। उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय और नवोन्मेषकों से नवाचार, सह-संवर्धन और सह-सृजन के माध्यम से उन समस्याओं के समाधान तलाशने के लिए एक साथ काम करने का आग्रह किया जिनका हम स्वतंत्र रूप से सामना कर रहे हैं लेकिन दोनों देशों के लिए खतरा है।

भारत में जापान के राजदूत श्री सुजुकी सतोशी, ने कहा, ’’हाल के वर्षों में जापान और भारत के बीच संबंधों में त्वरित एवं महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में संयुक्त चंद्र अभियान, जैव प्रौद्योगिकी, एआई, नैनो प्रौद्योगिकी और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसे अति महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जो भारत और जापान शोधकर्ताओं के बीच सहयोग और समाज को बेहतर जीवन प्रदान करने में योगदान करने के लिए रोमांचक क्षेत्र हैं। जेएसपीएस अकादमिक और वैज्ञानिक कार्यक्रमों के व्यापक क्षेत्र के माध्यम से भारत के साथ जापान के संबंधों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।’’

डॉ. एम. रविचंद्रन, सचिव, डीएसटी, भारत सरकार, ने बताया कि हाल ही में, दोनों देशों ने आईसीटी, एआई और बिग डेटा के क्षेत्र में तीन संयुक्त भारत-जापान प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं। डीएसटी सचिव ने विस्तार से बताया, ’’हमारा वर्तमान सहयोग एक मूल्य-आधारित संबंध बनाने की दिशा में निर्देशित है जो 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था में योगदान कर सकता है। हम युवाओं को अधिक अंतरराष्ट्रीय पहचान के साथ शोध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। सकुरा विज्ञान कार्यक्रम के तहत लगभग 570 भारतीय स्कूली छात्रों और शोधकर्ताओं ने जापान का दौरा किया है। साल भर चलने वाली सक्रिय एस एंड टी टॉक सीरीज से भारत-जापान सहयोग में वापस मजबूती आएगी।’’

जापान सरकार के जापान साइंस एंड टेक्नोलोजी एजेंसी (जेएसटी) सकुरा कार्यक्रम के डायरेक्टर जनरल डॉ किशी टेरुओ ने कहा, “भारत और जापान ने पिछले 70 वर्षों के दौरान शांतिपूर्ण और सफल संबंध बनाए रखा है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में दोनों सरकारें जैव प्रौद्योगिकी, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग स्थापित करने पर सहमत हुईं। जेएसटी और डीएसटी 2006 से अब तक लगभग 21 परियोजनाओं के साथ इन क्षेत्रों में सहयोग को लेकर मजबूती के साथ जुड़े हुए हैं।’’

जापान सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ साइंस (जेएसपीएस), जापान सरकार के अध्यक्ष डॉ. सुस्मु सतोमी ने बताया कि जेएसपीएस ने शोधकर्ताओं का एक नेटवर्क बनाया है और उसे कायम रखते हुए मजबूत किया है। वर्ष 2006 में स्थापित इंडिया जेएसपीएस अलुमनाई एसोसिएशन के 400 से अधिक सदस्य हैं, जिनमें से कई शीर्ष-अनुसंधानकर्ता हैं जो विश्व स्तर पर भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रो. अजीत कुमार वी.के. निदेशक, एससीटीआईएमएसटी ने दोनों देशों के बीच सहयोग को रेखांकित करते हुए कहा, “वर्तमान परिदृश्य में विभिन्न संस्थानों, एजेंसियों और सरकार के बीच सहयोग बड़े पैमाने पर लोगों के लाभ के लिए अपरिहार्य है।’’

फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में 2018 के नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. तासुकु होंजो ने अपने मुख्य भाषण में कैंसर उचार के भविष्य की संभावनाओं और इसमें दुनिया भर के वैज्ञानिकों की भूमिका के बारे में बताया।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संगोष्ठी (एससीटीआईएमएसटी) के आयोजन सचिव डॉ. पी.वी. मोहनन, इंडिया जेएसपीएस अलुमनाई एसोसिएशन (आईजेएए) के अध्यक्ष और उप निदेशक प्रो. डी. शक्ति कुमार, डॉ. संजीव के वार्ष्णेय प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, डीएसटी, भारत सरकार, डॉ. हरिकृष्ण वर्मा प्रमुख, बीएमटी विंग, एससीटीआईएमएसटी और डॉ. उषा दीक्षित काउंसलर (एस एंड टी) दूतावास भी संगोष्ठी में उपस्थित थे।

ऑनलाइन सत्रों में मुख्य प्रस्तुतियां, विशेष संबोधन, आमंत्रित वार्ताएं, भारत और जापान के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के पूर्ण व्याख्यान और छात्रों पोस्टरों की प्रस्तुतियां शामिल रहीं। बच्चों में वैज्ञानिक मनोवृति और जिज्ञासा पैदा करने के लिए कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक दस स्कूलों में इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया था।

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