रक्षा मंत्री के भाषण की मुख्य विशेषताएं :
- भारत अपने समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और यह समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, 1982 के शासनादेश का समर्थन करता है
- समुद्र माल की ढुलाई, विचारों के आदान-प्रदान, नवाचारों को उत्प्रेरित करने तथा दुनिया को नजदीक लाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
- समृद्धि के स्थिर मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए इंडो-पैसिफिक की समुद्री क्षमता का कुशल और सहयोगी उपयोग करने की आवश्यकता है
- आतंकवाद, समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के लिए सहयोगात्मक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है
नई दिल्ली : भारत अपने समुद्री हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। भारत समुद्री प्रणालियों पर आधारित नियमों के रखरखाव का समर्थन करता है, जो समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस), 1982 के तहत आवश्यक है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ऐसा 27 से 29 अक्टूबर, 2021 तक वर्चुअली आयोजित हो रहे इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (आईपीआरडी) 2021 के अवसर पर अपना मुख्य भाषण देते हुए कहा। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) 1982 में निर्धारित किए गए सभी देशों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। हम यूएनसीएलओएस, 1982 के तहत शासनादेश के रूप में कानून आधारित समुद्री प्रणालियों के रखरखाव का समर्थन करते हुए अपने क्षेत्रीय जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र के संबंध में अपने देश के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करने के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
रक्षा मंत्री ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बारे में एक प्राकृतिक क्षेत्र के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए वर्णन का उल्लेख किया जहां संस्थाओं की नीति आपस में जुड़ी हुई है। रक्षा मंत्री ने कहा समुद्र माल की ढुलाई, विचारों के आदान-प्रदान, नवाचारों को उत्प्रेरित करने और दुनिया को नजदीक लाने में अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इंडो-पैसिफिक की विविधता इसकी विशेषता है, जिसमें संस्कृतियों, जातियों, आर्थिक मॉडलों, शासन प्रणालियों और विभिन्न आकांक्षाओं की बहुलता है। महासागर सामान्य बंधन की कड़ी बने हुए हैं। श्री राजनाथ सिंह ने समृद्धि के स्थिर मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए इंडो-पैसिफिक की समुद्री क्षमता का कुशल और सहयोगी उपयोग करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां समुद्र मानव जाति के पालन-पोषण और विकास के लिए अनेक अवसर प्रदान करते हैं, वहीं वे आतंकवाद, समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां भी पेश करते हैं। उन्होंने इन चुनौतियों के लिए सहयोगी प्रतिक्रिया का आह्वान किया और कहा कि इसके काफी अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री मुद्दों पर हितों और समानता के समावेश का पता लगाने की जरूरत है।
आईपीआरडी 2021 के व्यापक विषय ‘21वीं सदी के दौरान समुद्री रणनीति का विकास अनिवार्यताएं, चुनौतियां और आगे का मार्ग’ के बारे में श्री राजनाथ सिंह ने कहा यह इस क्षेत्र के अतीत पर आधारित है जो वर्तमान का आकलन करते हुए इन सिद्धांतों पर आ जाता है कि यह भविष्य के लिए समुद्री रणनीतियों की नींव स्थापित करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह वार्ता इंडो-पैसिफिक के लिए देश के साझा और सामूहिक विजन को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि वह उन सिफारिशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो इस आयोजन में हुए विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप प्राप्त होंगी।
आईपीआरडी का पहली बार 2018 में आयोजन किया गया था। आईपीआरडी भारतीय नौसेना का शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन है जो रणनीतिक स्तर पर नौसेना की भागीदारी की प्रमुख अभिव्यक्ति है। राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन नौसेना के इस आयोजन के प्रत्येक संस्करण के ज्ञान भागीदार और मुख्य आयोजनकर्ता है। इस आयोजन के प्रत्येक संस्करण का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक में पैदा होने वाले अवसरों और चुनौतियों दोनों की ही समीक्षा करना है।
व्यापक विषय के तहत, आईपीआरडी 2021 में आठ विशिष्ट उप-विषयों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा जो इस प्रकार हैं :-
- इंडो-पैसिफिक समुद्री रणनीतियां : समग्रता, विचलन, अपेक्षाएं और आशंकाएं
- समुद्री सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए अनुकूल रणनीतियां।
- बंदरगाह के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय समुद्री कनेक्टिविटी और विकास रणनीतियां।
- सहकारी समुद्री क्षेत्र जागरूकता रणनीतियां।
- कानून-आधारित इंडो-पैसिफिक समुद्री आदेश के बारे में कानून के बढ़ते हुए दायरे का प्रभाव।
- क्षेत्रीय सार्वजनिक-निजी समुद्री भागीदारी को बढ़ावा देने की रणनीतियां।
- ऊर्जा-असुरक्षा और शमन रणनीतियां।
- समुद्र में मानव रहित मानवरहित समस्या से निपटने की रणनीतियां।
इन उप-विषयों पर तीन दिनों तक लगातार आठ सत्रों में पैनल-चर्चा की जाएगी, जिससे विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार-विमर्श करने की पर्याप्त संभावना रहेगी। इसका उद्देश्य विचारों और दृष्टिकोणों के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करना है।
इस उद्घाटन सत्र के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, पूर्व नौसेना प्रमुख एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन के अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा (सेवानिवृत्त), विभिन्न देशों के क्षेत्र विशेषज्ञ और नीति निर्माता वर्चुअल रूप से उपस्थित थे।