इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत 4 सौ कर्मियों ने काले बिल्ले लगाकर निलंबन का विरोध जताया, जमकर की नारेबाजी
रमेश शर्मा का निलंबन वापस लेने की मांग की
श्री शर्मा की सेवा बहाल नहीं करने पर शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान
गुरुग्राम। गुरुग्राम नगर निगम के अधीक्षण अभियंता रमेश शर्मा के निलंबन का विवाद बढ़ गया है। श्री शर्मा के निलंबन को गलत एवं एकतरफा कार्रवाई करार देते हुए वीरवार को इंजीनियरिंग यूनियन तथा सफाई कर्मचारी यूनियन के बैनर तले कार्य स्थगन हड़ताल की शुरूआत की गई। इस कार्य स्थगन हड़ताल में नगर निगम गुरूग्राम के तीनों कार्यालयों में स्थित इंजीनियरों तथा उनके कार्यालय में काम करने वाले लगभग 400 कर्मचारियों ने काले बिल्ले लगाकर अपना विरोध जताया।
इंजीनियरिंग अधिकारियों ने कहा कि अधीक्षण अभियंता पर एकतरफा कार्रवाई करते हुए उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना निलंबित करने के आदेश न्यायसंगत नहीं हैं, जिसका सभी इंजीनियर पुरजोर विरोध करते हैं तथा अगर निलंबन आदेश वापिस नहीं लिए जाते हैं, तो शुक्रवार से सभी इंजीनियर अनिश्चिकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार व निगम प्रशासन की होगी।
नगर निगम गुरूग्राम के अधीक्षण अभियंता पर की गई इस गैर-न्यायसंगत कार्रवाई के खिलाफ गुरूग्राम के विभिन्न प्रबुद्ध नागरिकों ने भी वाट्सएप सहित विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों से अपना विरोध जताया तथा अधीक्षक अभियंता रमेश शर्मा का समर्थन किया। एक प्रबुद्ध नागरिक ने लिखा कि ऐसे अधिकारी को हटाया जाना सरासर गलत है। नगर निगम गुरूग्राम में गिने-चुने अधिकारी ही हैं, जो घपले-घोटाले की फाईल पास नहीं करते। उन्होंने इस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूण करार देते हुए कहा कि यह उन सभी अधिकारियों के लिए एक झटका है, जो ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं। एक अन्य नागरिक ने कहा कि सभी ईमानदार अधिकारी हटा दोगे तो भ्रष्टाचार और भी बढ़ जाएगा तथा मोदी जी की नीतियों की जमीन भी खिसक जाएगी। उन्होंने ईमादार अधिकारी रमेश शर्मा को बहाल करने की मांग की। नागरिकों ने कहा कि रमेश शर्मा रात 10 बजे भी समस्या को सुनते हैं और सुबह उसका रिजल्ट दिखाई देता है।
सोमवार 6 सितम्बर को गुरूग्राम की मेयर मधु आजाद ने नगर निगम गुरूग्राम में कार्यरत सलाहकारों के साथ समीक्षा बैठक की थी। बैठक में उन्होंने रमेश शर्मा से पूछा कि उनके द्वारा वार्ड-22 में दौरा करने के निर्देश दिए गए थे। इस पर अधीक्षक अभियंता ने कहा कि जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की बैठक होने के कारण वे स्वयं दौरा नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने संबंधित कार्यकारी अभियंता को दौरा करने के निर्देश दिए थे। इस बात पर कहासुनी बढऩे के चलते रमेश शर्मा बैठक छोडक़र चले गए। मेयर एवं निगम पार्षदों ने मंगलवार को निगमायुक्त से इस बात की शिकायत की तथा निगमायुक्त ने रमेश शर्मा से सभी जार्च वापिस लेकर अन्य अधीक्षण अभियंता को देने बारे आदेश जारी कर दिए। बुधवार को हरियाणा के गृह एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री के गुरूग्राम आगमन पर मेयर एवं निगम पार्षदों ने अधीक्षण अभियंता रमेश शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने बारे लिखित शिकायत दी। इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए निकाय मंत्री ने संबंधित अधीक्षक अभियंता को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए।
बुधवार को नगर निगम गुरूग्राम के मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंताओं, कार्यकारी अभियंताओं, सहायक अभियंताओं तथा कनिष्ठ अभियंताओं ने एक बैठक करके कार्य स्थगन करने का निर्णय लिया। इस बारे में जारी पत्र के माध्यम से कहा गया कि अधीक्षक अभियंता के निलंबन की कार्रवाई एकतरफा तथा गैर-न्याय संगत है। इसके विरोध में सभी इंजीनियर एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारी वीरवार को कार्य स्थगन करेंगे तथा अगर सरकार द्वारा रमेश शर्मा के निलंबन आदेशों को वापिस नहीं लिया जाता है, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। पत्र के माध्यम से कहा गया कि मेयर के पुत्र एवं पार्षद पतियों द्वारा बैठकों में इंजीनियरों के साथ दुव्र्यवहार किया जाता है, जिसे वे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। गत दिनों मुख्य अभियंता के साथ भी कुछ पाषदों एवं पार्षद पतियों द्वारा बुरा व्यवहार एवं गाली-गलौच की गई थी।
इस मौके पर नगर निगम गुरूग्राम की इंजीनियरिंग विंग के अधिकारी एवं कर्मचारी, डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन एवं सफाई कर्मचारी यूनियनों के प्रतिनिधियों ने अधीक्षक अभियंता रमेश शर्मा को तुरंत बहाल करने की मांग की।
गुरूग्राम विकास मंच के प्रतिनिधियों ने भी इस एकतरफा एवं गैर-न्यायसंगत कार्रवाई की आलोचना की तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वे अधीक्षण अभियंता रमेश शर्मा को तुरंत प्रभाव से बहाल करें। मंच के प्रतिनिधियों ने कहा कि रमेश शर्मा की छवि एक ईमानदार अधिकारी के रूप में जानी जाती है। वे गलत काम नहीं करते हैं तथा जनहित एवं निगम हित को हमेशा ध्यान में रखते हैं। गुरूग्राम की मेयर एवं निगम पार्षदों द्वारा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री को गलत रिपोर्ट दी गई है तथा मंत्री को भी चाहिए था कि वे दोनों पक्षों की सुनने के उपरान्त ही कोई निर्णय लेते। अगर इसी तरह अच्छे अधिकारियों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई होती रही तो वह दिन दूर नहीं, जब ईमानदार अधिकारी सरकार में रहेंगे ही नहीं।