सुभाष चौधरी
गुरुग्राम । हरियाणा सरकार को अब केबल अपने खाली खजाने की चिंता है ना कि प्रदेश के आम लोगों की। गुरुग्राम जैसे शहर में निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय परिवार अब हुडा के सेक्टर में रहने का सपना नहीं देख सकते क्योंकि हरियाणा सरकार के निर्देशन में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने अब प्लॉट आवंटन के नियम में ऐसा बदलाव कर दिया है कि उसमें जन सामान्य के लिए कोई जगह नहीं है । गुरुवार को हुडा की ओर से गुरुग्राम शहर के सेक्टरों में आवासीय प्लॉट की बोली लगाई जाएगी। संभावना इस बात की प्रबल है कि इस बोली में निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए कोई जगह नहीं होगी क्योंकि प्लॉट की कीमत ₹ए एक लाख प्रति स्क्वायर गज से भी अधिक जा सकती है। इस आशंका को बल इसलिए मिल रहा है क्योंकि एक माह पहले भी हुडा की ओर से सेक्टर 3 एंड 6 मैं रिहायशी प्लॉट की बोली लगाई गई थी जहां प्लॉट्स की कीमत ₹1 एक लाख प्रति स्क्वायर गज तक पहुंच गई थी।
बताया जाता है कि 1 माह पूर्व हुडा की ओर से रिहायशी प्लॉट की लगाई गई बोली में आशा और उम्मीद के साथ पहुंचे निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय सर्विस क्लास परिवारों के लोग निराश होकर लौटे थे। रिहायशी प्लॉट्स बेचने के इस तौर तरीके से आम आदमी हतोत्साहित और निराश है। गुरुग्राम जैसे कामकाजी औद्योगिक शहर में बड़े पैमाने पर लोग काम करने आते हैं लेकिन उनके लिए रहने की सरकार की ओर से कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं होती।
प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की नीतियों के निर्देशन में यहां अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम लॉन्च की है लेकिन उन हाउसिंग स्कीम के तहत वित्तीय फायदा उठाने वाले सभी बड़े बिल्डरों ने आम लोगों को धोखा दिया है। जिन्होंने भी अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम में अपने लिए आशियाना खरीदी और अपने पूरे जीवन की गाढ़ी कमाई उसमें लगा दी वे सभी आज रो रहे हैं। दर्जनों ऐसी सोसाइटी है जहां के लोग बिल्डरों की वायदा खिलाफी के कारण लूट चुके हैं । उन्हें घटिया सामग्री के बनाए हुए मकान दिए गए जबकि मेंटेनेंस के नाम पर नियमों को ताक पर रखकर लाखों रुपए की उगाही कर रहे हैं।
इस प्रकार के विवाद को निपटाने के लिए ना तो हरेरा स्वयं संज्ञान लेता है और ना ही जिला प्रशासन की ओर से कोई कदम उठाए जा रहे हैं।
आशा और उम्मीद की कोई किरण मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बची थी तो वह केवल और केवल हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टर से। जहां पूर्व में आवासीय प्लॉट को ड्रॉ के आधार पर लोगों को आवंटित किए जाते थे । इसमें किसी भी जन सामान्य को भी प्लॉट्स लेने का मौका मिल जाता था क्योंकि प्लॉट्स की कीमत पहले से ही हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की ओर से निर्धारित होती थी। उसके अनुरूप लोग बैंक से ऋण लेकर किसी तरह अपने लिए हुडा के सेक्टरों में आशियाना बनाने में सफल हो जाते थे। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में एचएसवीपी की बदली हुई नीति के कारण अब यह सपना धरा का धरा ही रह जाएगा।
आरडब्लूए सेक्टर 3, 5 एवं 6 के प्रेसिडेंट दिनेश वशिष्ठ कहते हैं कि एचएसवीपी को सेक्टरों में रिहायशी प्लॉट आवंटित करने की पूर्व की नीति पर ही अमल करना चाहिए । इससे किसी भी आम व्यक्ति को भी प्लॉट लेने का अधिकार मिलता था। ड्रॉ के आधार पर प्लॉट आवंटित किए जाते थे लेकिन अब बोली लगाई जा रही है जिसमें आर्थिक तौर पर समृद्ध लोग ही प्लॉट लेने में कामयाब होंगे । क्योंकि प्लॉट की कीमत बोली कि प्रतिस्पर्धा में आम आदमी की आर्थिक सीमा से कई गुना ज्यादा हो जाती हैं। प्रदेश सरकार की यह नीति जनहित में नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार अगर केबल अपनी आय की चिंता करेगी तो फिर आम आदमी कहां जाएगा।
उल्लेखनीय है कि गुरुग्राम जैसे औद्योगिक शहर में रोजगार के लिए आने वाले बड़ी संख्या में ऐसे परिवार भी हैं जो ना तो अब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टर में प्लॉट ले सकेंगे और ना ही किसी नई कॉलोनी में। अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम तो इस शहर में इतनी बदनाम हो चुकी है कि लोग उस दिशा में जाने की सोच भी नहीं रहे।
आम लोगों के पास एकमात्र विकल्प नई कालोनियों मैं ही है। लेकिन सरकार और जिला प्रशासन अवैध कॉलोनियों के नाम पर नए बनने वाले मकानों को बड़ी बेरुखी से धराशाई कर देती है । लोगों का कहना है कि आखिर प्रदेश की जनता को घर मुहैया कराना भी प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। शहर में कई कालोनियां पिछले वर्षों में ना चाहते हुए भी बसी हैं लेकिन एमसीजी, जिला प्रशासन और शहरी विकास विभाग उन पर अपना फावड़ा चलाते रहते हैं। उन कालोनियों को बसने देने में आखिर यहां के अधिकारियों का ही मूकदर्शक बने रहना बड़ा कारण रहा है।
सेक्टर 3 5 एंड 6 के प्रेसिडेंट दिनेश वशिष्ठ ने बताया कि उन्होंने आम लोगों की ओर से प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं एचएसवीपी प्राधिकरण के प्रमुख अधिकारियों को ईमेल के माध्यम से एचएसवीपी की इस वर्तमान नीति का विरोध करते हुए पुरानी ड्रॉ वाली नीति लागू करने की मांग की है। लेकिन एचएसबीपी के अधिकारी गुरुग्राम में गुरुवार को एक बार फिर रिहायशी प्लॉट की बोली लगाने पर आमदा है। यह आम आदमी के सपनों को फिर बेरहमी से कुचलने जैसा होग।
हालांकि कई कालोनियों में कथित तौर पर बने अवैध मकानों से एमसीजी की ओर से हाउस टैक्स भी वसूले जा रहे हैं जबकि सीवर , बिजली, पानी जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं। और इनके चार्जेज भी वसूले जा रहे हैं। ऐसे में लोगों की आवश्यकताओं को देखते हुए छोटे डेवलपर्स की ओर से स्थापित की जाने वाली कालोनियों पर डंडा चलाने की बजाय उन्हें आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध होने वाली हाउसिंग स्कीम या फिर प्लॉट बेचने की स्कीम को अधिकृत करने की जरूरत है। उन्हें प्लाट बेचने की अनुमति मिलनी चाहिए। निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय परिवार के लिए यही एक विकल्प बचा है लेकिन सरकार इसके प्रति संवेदनशील नहीं दिखती। धरम कॉलोनी में रहने वाले प्रकाश झा का कहना है कि निजी कॉलोनियों को सरकार को बसने देना चाहिए जिससे उन्हें बड़े पैमाने पर टैक्स के रूप में आर्थिक लाभ होगा जबकि दूसरी तरफ जन सामान्य को अपनी औकात के अनुसार अपना आशियाना बनाने का अवसर मिलेगा। वर्षों से इस मामले में पूर्व की सरकारों का जो रवैया रहा वही नीति वर्तमान में भी भारतीय जनता पार्टी सरकार की भी है।आम आदमी के लिए कोई जगह नहीं है।
राजेंद्र पार्क निवासी राजेश ठाकुर का कहना है कि एक माह पहले हुडा की ओर से सेक्टर में आवासीय प्लॉट की लगाई गई बोली से साफ संदेश गया कि अब किसी आम व्यक्ति के लिए उन सेक्टरों में कोई जगह नहीं है। प्रदेश सरकार को केवल अपनी आय की चिंता है जनहित से कोई लेना देना नहीं है। पिछले दिनों बोली में लाख रुपये प्रति स्क्वायर गज की कीमत की उछाल के सामने जन सामान्य का सपना चकनाचूर हो गया और गुरुवार को लगाई जाने वाली प्लॉट्स की बोली में भी यही स्थिति रहेगी।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के नियमों में आए इस बदलाव की चर्चा गुरुग्राम शहर में जोरों पर है। खासकर निजी क्षेत्र के मध्यमवर्गीय सर्विस क्लास हुडा के सेक्टरों की ओर वर्षों से टकटकी लगाए रहते हैं कि उन्हें भी ड्रॉ के माध्यम से प्लॉट मिल सकते हैं लेकिन बोली लगाई जाने वाली नीति के कारण उनकी यह मंशा पर पानी फिर गया है।