नई दिल्ली : भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की है कि नीतिगत रेपो दर 4 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेगी और सीमांत स्थायी सुविधा व बैंक दर 4.25 प्रतिशत ही रहेगी।
रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेगी। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति का यह विचार था कि विकास दर में तेजी लाने और अर्थव्यवस्था में फिर से उभार लेने के लिए सभी पक्षों के नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है। गवर्नर ने ऑनलाइन माध्यम से सम्बोधन में आरबीआई की द्विमासिक मौद्रिक नीति के वक्तव्य को जारी करते हुए कहा कि “इसे ध्यान में रखते हुए नीतिगत दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है और वृद्धि को फिर से बहाल करने और इसमें स्थायित्व लाने के लिए जब तक आवश्यक हो, तब तक मुद्रास्फीति को निर्धारित सीमा तक बने रहने को सुनिश्चित करते हुए ऐसे सहयोगात्मक दृष्टिकोण को जारी रखने का निर्णय लिया गया है।”
2021-22 में अर्थव्यवस्था के 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान
गवर्नर ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2021-22 में 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। इसका आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि पहली लहर के विपरीत, दूसरी लहर का प्रभाव आर्थिक गतिविधियों पर अपेक्षाकृत नियंत्रित रहने का अनुमान था क्योंकि आवागमन पर प्रतिबंध स्थानीय स्तर तक सीमित किया गया था।
अप्रैल और मई 2021 में शहरी क्षेत्र से आने वाली मांग हालांकि धीमी हो गई, तथापि आने वाले महीनों में टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है और इससे आर्थिक गतिविधियों को सामान्य स्तर तक लाने में मदद मिलेगी। वैश्विक व्यापार में फिर से उभार आने से भारत के निर्यात क्षेत्र को मजबूती मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष सामान्य मानसून के पूर्वानुमान के चलते ग्रामीण क्षेत्र से होने वाली मांग के मजबूत रहने की उम्मीद है।
गवर्नर ने कहा कि 2021-22 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
अतिरिक्त उपाय
आरबीआई गवर्नर ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से अतिरिक्त उपायों की एक श्रृंखला की भी घोषणा की।
- परस्पर संपर्क वाले क्षेत्रों के लिए ऑन-टैप लिक्विडिटी विंडो: रेपो रेट पर तीन साल तक की अवधि के लिए 31 मार्च, 2022 तक 15,000 करोड़ रुपये की एक अलग लिक्विडिटी विंडो खोली जा रही है I
इस योजना के तहत होटल, रेस्तरां, ट्रैवल एजेंटों, टूर ऑपरेटरों, विमानन सहायक सेवाओं और निजी बस ऑपरेटरों, किराए पर कार सेवा प्रदाताओं, कार्यक्रम आयोजकों, स्पा क्लीनिक, ब्यूटी पार्लर और सैलून सहित अन्य सेवाओं को बैंक नए सिरे से ऋण सहायता दे सकते हैं।
- एक वर्ष तक की अवधि के लिए रेपो दर पर नए मॉडल और संरचनाओं के माध्यम से ऑन-लेंडिंग/पुनर्वित्त के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई-सिडबी) को 16,000 करोड़ रुपये की विशेष लिक्विडिटी सुविधा। यह सुविधा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की ऋण आवश्यकताओं को और अधिक सहायता एवं समर्थन देने के लिए है, जिसमें ऋण की कमी वाले और आकांक्षी जिले भी शामिल हैं।
- स्ट्रेस रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क 2.0 के तहत ऋण लेने वालों के लिए ऋण सीमा में वृद्धि की गई, यह सुविधा सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) और लघु व्यवसायों और अपने कारोबार के लिए निजी रूप में ऋण के लिए कुल अधिकतम ऋण सीमा को 25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये किया गया।
- बैंकों के ऋण जोखिम प्रबंधन ढांचे के भीतर प्रतिभूतियों के तहत प्राधिकृत डीलर बैंकों को सरकार में लेन-देन के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से मार्जिन रखने की अनुमति दी गई। यह विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के सामने आने वाली परिचालन बाधाओं को कम करेगा और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देगा।
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अब जमा प्रमाणपत्र (सीडी) जारी कर सकते हैं
इसके अलावा, सीडी के सभी जारीकर्ताओं को कुछ शर्तों के अधीन परिपक्वता से पहले अपनी सीडी वापस खरीदने की अनुमति होगी। इससे लिक्विडिटी प्रबंधन में अधिक लचीलेपन की सुविधा होगी।
- नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (एनएसीएच) अब सप्ताह के सभी दिनों (वर्तमान में केवल बैंक के कार्य दिवसों पर उपलब्ध) पर उपलब्ध होगा, और यह 1 अगस्त, 2021 से प्रभावी होगा। बड़ी संख्या में लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का एक लोकप्रिय और प्रमुख तरीका होने के नाते एनएसीएच का यह कदम ग्राहकों की सुविधा को और बढ़ाएगा।
गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति द्वारा की गई निम्नलिखित टिप्पणियों का भी उल्लेख किया :
- सामान्य मानसून के पूर्वानुमान के कारण ग्रामीण मांग मजबूत रहने की उम्मीद है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण का बढ़ना एक नकारात्मक प्रभाव डालने वाला जोखिम है।
- अप्रैल में मुदास्फीति के 4.3 प्रतिशत पर रहने से कुछ राहत और नीति को अपनाने में सहायता मिली है।
- वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़ने का अनुमान है:
2021-22 में 9.5 प्रतिशत
पहली तिमाही (क्यू 1) में 18.5 प्रतिशत
दूसरी तिमाही (क्यू 2) में 7.9 प्रतिशत
तीसरी तिमाही (क्यू 3) में 7.2 प्रतिशत
चौथी तिमाही (क्यू 4) में 6.6 प्रतिशत
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति इस प्रकार रहने का अनुमान है:
2021-22 में 5.1 प्रतिशत
पहली तिमाही (क्यू 1) में 5.2 प्रतिशत
दूसरी तिमाही (क्यू 2) में 5.4 प्रतिशत
तीसरी तिमाही (क्यू 3) में 4.7 प्रतिशत
चौथी तिमाही (क्यू 4) में 5.3 प्रतिशत
5) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नियमित रूप से खुले बाजार का संचालन किया है और चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-एसएपी) 1.0 के तहत 60,000 करोड़ रुपये के अलावा इस वर्ष 31 मई तक 36,545 करोड़ रुपये अधिक नकदी (रुपये की अतिरिक्त लिक्विडिटी) जारी की है।
(i) 17 जून 2021 को सरकार की 40,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की खरीद के लिए जी-एसएपी 1.0 के तहत एक और प्रचालन।
ii) 01 लाख 20 हजार करोड़ रुपये के बाजार का समर्थन करने के लिए जी-एसएपी 2.0 का आयोजन वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही में द्वितीयक बाजार खरीद कार्यों के लिए किया जाएगा।
(6) मार्च, अप्रैल और मई 2021 में भारत का निर्यात बढ़ रहा है और महामारी से पहले की स्थिति से परे सतत सुधार के लिए परिस्थितियां अनुकूल बन रही हैं।
(7) 28 मई, 2021 तक, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 598.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया थाI देश अब 600 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार तक पहुंचने ही वाला है।
अपने समापन वक्तव्य में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर ने कहा कि विकास की सम्भावनाएं अभी भी बनी हुई हैं और बैंक द्वारा आज घोषित उपायों से उम्मीद की जा सकती है कि विकास की नई ऊंचाइयों तक फिर से पहुंचा जा सकेगा। उन्होंने आगे कहा कि “विश्व की वैक्सीन राजधानी के रूप में भारत के उभरने और औषधि (फार्मा) उत्पादों के क्षेत्र में अग्रणी स्थिति अब कोविड-19 के बाद के परिदृश्य को बदल सकती हैI”
आरबीआई गवर्नर के बयान को यहां पढ़ा जा सकता है।
मौद्रिक नीति वक्तव्य को यहां पढ़ा जा सकता है।
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