नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत व डेनमार्क के Virtual Summit का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने संबोधन में कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से दोनों देशों को विविध क्षेत्रो में सहयोग के लिए विचार करने का अवसर मिल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने डेनमार्क के COVID-19 के कारण हुई क्षति के लिए संवेदना व्यक्त की। उन्होंने इस संकट से निपटने में डेनमार्क की प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व की सराहना की।
पीएम ने कहा कि सभी व्यस्तताओं के बीच इस वार्तालाप के लिए समय निकालने के लिए डेनमार्क की प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया और कहा कि यह दोनों देशों के आपसी रिश्तों के प्रति विशेष फोकस और commitment को दर्शाता हैं।
श्री मोदी ने कहा कि हाल ही में आपका विवाह हुआ। मैं इसके लिए आपको मंगलमय शुभकामनाएं देता हूँ और आशा करता हूँ कि COVID-19 से उत्पन्न स्थिति सुधरने के बाद, शीघ्र ही हमें आपका सपरिवार भारत में स्वागत करने का अवसर मिलेगा। मुझे विश्वास है कि आपकी बेटी इदा फिर से भारत आने के लिए अवश्य आतुर होगी।
दोनों देशों के बीच व्यापार के क्षेत्र में सहयोग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले फ़ोन पर हमारी बात बहुत productive बात हुई। हमने कई क्षेत्रों में भारत और डेनमार्क के बीच सहयोग बढ़ाने के बारे में चर्चा की थी।
उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि आज हम इस Virtual Summit के माध्यम से इन इरादों को नई दिशा और गति दे रहे हैं। डेनमार्क 2009 से, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, Vibrant Gujrat Summit में लगातार सम्म्लित हो रहा हैं इसलिए डेनमार्क के प्रति मेरा विशेष लगाव भी रहा हैंl मैं दूसरे इंडिया-नार्डिक Summit को host करने के आपके प्रस्ताव के लिए आभारी हूँ। स्थिति सुधरने के बाद डेनमार्क आना और आपसे मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। पिछले कई महीनो की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे जैसे like-minded देशों का, जो एक rules-based, transparent, humanitarian और डेमोक्रेटिक value-system शेयर करते हैं, साथ मिल कर काम करना कितना आवश्यक है ।
पीएम मोदी ने कहा कि वैक्सीन development में भी like-minded countries के बीच collaboration से इस pandemic से निपटने में मदद मिलेगी। इस महामारी के दौरान, भारत की Pharma उत्पादन क्षमताएं पूरे विश्व के लिए उपयोगी रहीं हैं। हम यही प्रयास वैक्सीन के क्षेत्र में भी कर रहें हैं।
हमारे ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का भी यही प्रयास है कि प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में भारत की क्षमताएं बढ़ें, और वे विश्व के भी काम आयें।
इस अभियान के तहत हम all-round reforms पर जोर दे रहें हैं। Regulatory और taxation reforms से भारत में काम करने वाली companies को लाभ मिलेगा। अन्य क्षेत्रों में भी reforms की प्रक्रिया निरंतर चालू है। हाल ही में कृषि और Labour sectors में महत्वपूर्ण reforms किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि COVID-19 ने दिखाया है कि Global Supply Chains का किसी भी single source पर अत्यधिक निर्भर होना risky है।
हम जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिल कर supply-chain diversification और resilience के लिए काम कर रहें हैं। अन्य like-minded देश भी इस प्रयत्न में जुड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मेरा मानना है कि हमारी Virtual Summit ना सिर्फ़ भारत-डेनमार्क संबंधों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, बल्कि वैश्विक चुनौतियों के प्रति भी एक साझा approach बनाने में मदद करेगी।