नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने मानसून सत्र 2020 को लेकर जारी एक वक्तव्य में बताया कि मानसून सत्र 2020 के दौरान लोकसभा में लगभग 167 प्रतिशत और राज्यसभा में लगभग 100.47 प्रतिशत कामकाज हुआ।
श्री जोशी ने कहा कि 14 सितंबर 2020 को शुरू हुए 2020 संसद का मानसून सत्र का समापन 1 अक्टूबर 2020 को होना था लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में आवश्यक कामकाज के बाद कोविड-19 महामारी के जोखिम के कारण सदन की कार्यवाही 23 सितंबर यानि बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान 10 दिनों में कुल 10 बैठकें हुईं।
उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान 22 विधेयक (16 लोक सभा में और 06 राज्य सभा में) पेश किए गए। लोक सभा और राज्य सभा दोनों के द्वारा 25-25 विधेयक पारित किए गए। संसद के दोनों सदनों द्वारा 27 विधेयक पारित किए गए जो विधेयकों के पारण की अभी तक की सर्वोत्तम दर अर्थात 2.7 विधेयक प्रतिदिन है। सत्र के दौरान पेश किए गए, विचार और पारित किए गए विधेयकों की सूची अनुबंध के रूप में संलग्न है।
11 अध्यादेशों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अंत:सत्रावधि के दौरान प्रख्यापित किए गए सभी 11 अध्यादेशों को मानसून सत्र 2020 के दौरान संसद के अधिनियमों द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। मंत्री ने कहा कि लोक सभा में लंबित चार पुराने विधेयकों को और राज्य सभा में लंबित एक विधेयक को वापस लिया गया।
मंत्री ने कहा कि सत्र के दौरान, वर्ष 2020-21 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों का पहला बैच और वर्ष 2016-17 के लिए अतिरिक्त अनुदान मांगों पर चर्चा की गई और उन पर पूर्ण मतदान हुआ तथा दिनांक 18 सितम्बर 2020 को लोक सभा में संबंधित विनियोग विधेयकों को पेश, विचार और पारित किया गया। राज्य सभा ने इन विधेयकों को दिनांक 23 सितम्बर 2020 को लौटाया।
कोविड-19 महामारी के बीच आयोजित सत्र के लिए की गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए, मंत्री ने कहा कि संसद के दो सदनों में काम करने वाली सभी एजेंसियों और व्यक्तियों के अथक प्रयासों के कारण इस सत्र में असाधारण कामकाज संभव हो पाया है।
मंत्री ने कहा कि इसलिए अनुच्छेद 85 की संवैधानिक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए और आवश्यक विधायी और अन्य कार्य का निष्पादन करने के लिए, यह सत्र बैठने और लॉजिस्टिक्स संबंधी असाधारण व्यवस्था करके तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और गृह मंत्रालय के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोविड-19 महामारी के दौरान आयोजित किया गया है।
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किए गए कुछ महत्वपूर्ण विधेयक निम्न प्रकार हैं:-
कृषि सुधार :
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 ऐसे पारिस्थितिक तंत्र, जिसमें कृषक और व्यापारी, ऐसी कृषक उपज के विक्रय और क्रय संबंधी चयन की स्वतंत्रता का उपभोग करते हैं, जो प्रतिस्पर्धात्मक वैकल्पिक व्यापारिक चैनलों के माध्यम से लाभकारी कीमतों को आसान बनाता है, के सृजन का उपबंध करता है; बाजारों के भौतिक परिसर या विभिन्न राज्य कृषि उपज बाजार संबंधी विधानों के अधीन अधिसूचित समझे गए बाजारों के बाहर कृषक उपज का दक्ष, पारदर्शी और निर्बाध अंतराज्यिक और अंतःराज्यिक व्यापार और वाणिज्य के संवर्धन के लिए; इलेक्ट्रॉनिक व्यापार के लिए सुसाध्य ढांचे का उपबंध करता है।
कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 निष्पक्ष और पारदर्शी रीति में पारस्परिक रूप से सहमत लाभकारी कीमत पर कृषि सेवाओं और भावी कृषि उत्पादों के विक्रय के लिए कृषि कारोबार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़ी संख्या में फुटकर विक्रेताओं के साथ कृषकों के संरक्षण और उनको सशक्त बनाने वाले कृषि करारों पर राष्ट्रीय रूपरेखा का उपबंध करता है।
आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 कृषि क्षेत्र में तत्काल निवेश को बढ़ावा देगा, प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगा और किसानों की आय बढ़ाएगा।
शिक्षा क्षेत्र:
राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 राष्ट्रीय विधि विज्ञान विश्वविद्यालय के नाम से ज्ञात एक संस्था को, अध्ययन और अनुसंधान को सुगम बनाने और उसका संवर्धन करने तथा अनुप्रयुक्त व्यवहार विज्ञान अध्ययन, विधि, अपराध विज्ञान तथा अन्य आनुषंगिक क्षेत्रों में और प्रौद्योगिकी तथा अन्य संबंधित क्षेत्रों में राष्ट्रीय महत्ता की संस्था स्थापित और घोषित करने का उपबंध करता है।
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय विधेयक, 2020 राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना करने और उसकी राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रूप में घोषणा करने और उसके निगमन का उपबंध करने का प्रस्ताव करता है। विश्वविद्यालय का अनुसंधान तथा विभिन्न पणधारियों के साथ सहयोग के माध्यम से नई जानकारी का सृजन करने और पुलिस व्यवस्था, दांडिक न्याय प्रणाली और सुधारक प्रशासन के विभिन्न खंडों में विशेषीकृत ज्ञान और नए कौशल के साथ प्रशिक्षित वृत्तिकों के पूल के लिए आवश्यकता को पूरा करने में सहायता करने के लिए एक बहुशाखा वाले विश्वविद्यालय के रूप में होना प्रस्तावित है। विश्वविद्यालय के संबंध अन्य देशों में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के साथ होंगे, जो समकालीन अनुसंधान के आदान-प्रदान, शैक्षणिक सहयोग, पाठ्यक्रम डिजाइन, तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण तथा कौशल विकास के प्रयोजनों के लिए आवश्यकता आधारित होंगे।
श्रम क्षेत्र सुधार:
वर्तमान सत्र के दौरान श्रम सुधार से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए।
उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता विधेयक, 2020 किसी स्थापना में नियोजित व्यक्तियों की उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशाओं को विनियमित करने वाली विधियों के संगत उपबंधों को समेकित, सरलीकृत और सुसंगत बनाने का उपबंध करता है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2020 संगठित या असंगठित या किन्हीं अन्य क्षेत्रों में सभी कर्मचारियों और कामगारों की सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि करने के उद्देश्य से सामाजिक सुरक्षा संबंधी विधियों को संशोधित और समेकित करने का उपबंध करता है।
औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020 व्यवसाय संघों, औद्योगिक स्थापनों या उपक्रमों में नियोजन की शर्तों, औद्योगिक विवादों के अन्वेषण तथा परिनिर्धारण से संबंधित विधियों को समेकित और संशोधित करने का उपबंध करता है।
कोविड-19 संबंधी विधान:
कोविड-19 महामारी से उत्पन्न प्रभावों को विधायी साधनों के माध्यम से कम करने के लिए कुछ अध्यादेश प्रख्यापित किए गए थे।
संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2020 संसद सदस्यों को देय वेतन को दिनांक 01 अप्रैल 2020 से एक वर्ष की अवधि तक 30% कम करता है।
मंत्री वेतन और भत्ता (संशोधन) विधेयक, 2020 प्रत्येक मंत्री को देय आतिथ्य भत्ते को दिनांक 01 अप्रैल 2020 से एक वर्ष की अवधि तक 30% कम करता है।
महामारी (संशोधन) विधेयक, 2020 का आशय कोविड-19 महामारी के दौरान शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न और संपत्ति के नुकसान सहित हिंसात्मक कार्यों की रोकथाम करना और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करना है।
दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2020 संहिता के अधीन निगमित दिवाला निपटान प्रक्रिया के आरंभ को अस्थायी रूप से, प्रारंभ में छह मास या ऐसी अतिरिक्त अवधि, जो 25 मार्च, 2020 से एक वर्ष से अधिक न हो, के लिए कोविड-19 द्वारा प्रभावित कंपनियों को दिवाला कार्यवाहियों में धकेले जाने की आशंका का सामना किए बिना वित्तीय संकट से उबरने में सहायता प्रदान करने के लिए, निलंबित करने का उपबंध करता है।
स्वास्थ्य क्षेत्र:
आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान विधेयक, 2020 तीन आयुर्वेद संस्थानों अर्थात (i) आयुर्वेद स्नातकोत्तर शिक्षण और अनुसंधान संस्थान, जामनगर, (ii) श्री गुलाबकुंवरबा आयुर्वेद महाविद्यालय, जामनगर और (iii) भारतीय आयुर्वेदिक औषधि विज्ञान संस्थान, जामनगर का आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान नाम के एक संस्थान में आमेलन का प्रस्ताव करता है। विधेयक इस संस्थान को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में घोषित करता है।
राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग विधेयक, 2020 भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1970 का निरसन करेगा और एक आयुर्विज्ञान शिक्षा प्रणाली का उपबंध करेगा जो (i) भारतीय चिकित्सा पद्धति के पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता, (ii) भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सा पेशेवरों द्वारा नवीनतम चिकित्सा अनुसंधान को अपनाया जाना, (iii) चिकित्सा संस्थानों का आवधिक मूल्यांकन, और (iv) एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र सुनिश्चित करेगा।
राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2020 होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 का निरसन करेगा और एक आयुर्विज्ञान शिक्षा प्रणाली का उपबंध करेगा जो (i) पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले होम्योपैथिक चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता, (ii) होम्योपैथिक चिकित्सा पेशेवरों द्वारा नवीनतम चिकित्सा अनुसंधान को अपनाना, (iii) चिकित्सा संस्थानों का आवधिक मूल्यांकन, और (iv) एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र सुनिश्चित करेगा।
अर्थव्यवस्था क्षेत्र/व्यापार करने में आसानी के उपाय:
वर्तमान सत्र के दौरान देश की आर्थिक आवश्यकताओं से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विधान पारित किए गए।
बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 प्रबंधन, पूंजी, लेखापरीक्षा और परिसमापन के संदर्भ में सहकारी बैंकों पर आरबीआई के विनियामक नियंत्रण का विस्तार करने का प्रस्ताव करता है ताकि सहकारी बैंकों के बेहतर प्रबंधन और उचित विनियमन का उपबंध किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि सहकारी बैंकों के मामलों का संचालन ऐसे तरीके से किया जाए जो व्यावसायिकता में वृद्धि, पूंजी तक पहुंच को सक्षम करने, प्रशासन में सुधार और भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से सार्थक बैंकिंग सुनिश्चित करते हुए जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करे।
कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2020 न्यायालयों में संपूर्ण लंबित मामलों पर विचार करते हुए कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंधों के अधीन सूक्ष्म प्रक्रियात्मक या तकनीकी गलती को सिविल दोष के रूप में अदांडिक बनाने का प्रस्ताव करता है और व्यतिक्रम के मामलों में दांडिकता को समाप्त करता है जिसे निष्पक्ष रूप से अवधारित किया जा सकता है और जिसमें अन्यथा कपट का कोई तत्व या वृहद लोक हित अंतवर्लित नहीं हो। इसके अलावा कॉरपोरेटों के बने रहने की सुगमता का उपबंध करता है।
अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय नेटिंग विधेयक, 2020 अर्हित वित्तीय संविदाओं की द्विपक्षीय नेटिंग की प्रवर्तनीयता का उपबंध करके भारतीय वित्तीय बाजारों में वित्तीय स्थिरता और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने को सुगम बनाता है।
कराधान और अन्य विधियां (कतिपय उपबंधों में छूट) विधेयक, 2020 प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर और बेनामी संपत्ति संव्यवहारों से संबंधित विनिर्दिष्ट अधिनियमों के कतिपय उपबंधों में छूट का उपबंध करता है।