प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित 13वीं  वेबबैठक में महुआ चटर्जी का मधुर गायन

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गुरुग्राम्। प्राचीन कला केंद्र दवारा आयोजित की जा रही साप्ताहिक वेबबैठक की 13वी कड़ी में  कोलकाता की  शास्त्रीय संगीत गायिका महुआ चटर्जी द्वारा मधुर संगीत गायन पेश किया गया । इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण प्राचीन कला केंद्र के आधिकारिक यूट्यूब चैनल एवं फेसबुक एवं इंस्टा पेज पर किया गया।

अल्पायु से ही संगीत के प्रति  रूचि रखने वाली महुआ ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपनी माताजी से प्राप्त की  उपरांत उन्होंने ने बहुत से जाने माने प्रसिद्द गुरुओं जैसे पंडित  देब कुमार  बनर्जी , प्रो देशोप्रिया बोस, डॉ. हीना बोस , विदुषी अंजना नाथ से संगीत की बारीकियां सीखी  आजकल महुआ पंडित परिमल चक्रबोर्ती से  ताल की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं  इन्होने संगीत में अपने कठिन परिश्रम और साधना से इस क्षेत्र में नए आयाम हासिल किये हैं। महुआ ने अपनी प्रस्तुतियों से संगीत प्रेमियों के दिल में खास जगह बनाई है। महुआ आल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन की इम्पैनलड आर्टिस्ट भी हैं ।

आज के कार्यक्रम की शुरुआत राग मारु बिहाग से की गई  जिस में सबसे पहले आलाप से शुरुआत कर विलम्बित एक ताल की रचना “रसिया हमारे बैरन भये ”  और द्रुत तीन ताल में निबद्ध रचना “तड़पत रैना दिन पिया बिना ” प्रस्तुत की. इस के उपरांत राग बागेश्री  में झप ताल से सजे तराने को पेश किया जो उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहिब द्वारा रचित थी ।


इसके पश्चात महुआ ने राग माज खमाज में निबद्ध झप ताल से सजी ठुमरी जिसके बोल थे ” प्रेम अगन  जियरा जलावे” पेश की. कार्यक्रम का समापन राग पीलू  में निबद्ध दादरा जिसके बोल थे “बरसन लगी सावन बुँदियाँ ”  से किया . इनके साथ तबले पर सुराजित मुख़र्जी और  हारमोनियम पर प्रभात मुख़र्जी ने बखूबी संगत की 

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