01/09/2020 का पंचांग /श्री अनंत चतुर्दशी
अग्निआकाश लोक पर हवन के लिए अशुभ कारक
अथ अभिजित मुहुर्त :11 : 54 –12 : 44
भद्रा काल :- 09 : 38 से 22 : 14 मृत्युलोक सर्वकार्य विनाशनी
राहुकाल : 15 : 29 — 17 : 04
संवत् 2077
शाके 1942
संवत् नाम आनंद
मास भाद्रपद
पक्ष शुक्ल
तिथि चतुर्दशी (09:38)
वार मंगलवार
नक्षत्र धनिष्ठा(16:36)
योग अतिगंड(13:02)
करण वणिज (09:38)तदूपरांत
करण विष्टि ( 23:26)
संक्रांति कर्क
ऋतु वर्षा
अयन दक्षिणायन
संदीप पराशर
9540200014
सूर्योदय : 05 : 59 : 20 सूर्यास्त : 18 :38 : 23
चंद्रोदय : 18 : 28 : 52
चंद्र नक्षत्र: पाया ताम्र
पद,अक्षर,नक्षत्र,समाप्ति समय
1 गु धनिष्ठा 10 :11: 15
2 गे धनिष्ठा 16:36:47
3 गो शतभिषा 23:03:41
- सा शतभिषा 05: 32 : 00 अथ चौघडिया मुहूर्त :
दिवा
रोग 06:59 – 07: 34 अशुभ
उद्वेग 07: 34 – 09:09 अशुभ
चर 09:09 – 10:44 शुभ
लाभ 10:44 – 12: 19 शुभ
अमृत 12:19 – 13:54 शुभ
काल 13:54 – 15: 29 अशुभ
शुभ 15: 29 – 17: 04 शुभ
रोग 17:04 – 18: 38 अशुभ
रात्रि
काल 18 : 38 – 20: 04 अशुभ
लाभ 20: 04 – 21: 29 शुभ
उद्वेग 21: 29 – 22:54 अशुभ
शुभ 22:54 – 00 : 19 शुभ
अमृत 00 : 19 – 01 :44 शुभ
चर 25 :44 – 27 :09 शुभ
रोग 27 :09 – 28 :35 अशुभ
काल 28 :35 – 06 :59 अशुभ
अनंत चतुर्दशी पूजन विधि
अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी व्रत के महत्व का वर्णन किया गया है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने का विधान है।
इस व्रत की पूजन विधि इस प्रकार है-
इस दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा-व्रत का संकल्प लें और पूजा वाली जगह पर कलश की स्थापना करें।
इसके बाद कलश पर अष्टदल कमल की तरह अशोक, आम, केले, कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें। इसके अतिरिक्त
इसके बाद एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर उससे अनंत सूत्र तैयार कर लें। यहाँ इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस अनंत सूत्र में चौदह गांठें होनी चाहिए।
अब इस सूत्र को भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष रख दें।
इसके बाद भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजन शुरू करें , पूजा होने के बाद बनाये गए अनंत सूत्र को अपनी व परिजनों की बाजू में बांध लें। जो आपकी व परिवार की का रक्षासूत्र बनेगा
इस दिन विष्णु सहस्रनाम पढ़ने से विशेष फल की प्राप्ति होती है साथ ही भगवान शिव का पूजन करने से धन-धान्य, पुत्र-पौत्रादि के साथ ही परिवार में सुख समृद्धि व शांति बनी रहती है